
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के फर्टिलिटी सेंटर के डॉक्टरों ने हाल ही में एक बेहद खास रिपोर्ट शेयर की है. इसमें उन्होंने बताया कि कैसे STAR AI (स्पर्म ट्रैकिंग एंड रिकवरी) तकनीक की मदद से एक महिला को 19 साल बाद मां बनने का सुख मिला. यह उपलब्धि विशेष रूप से उन कपल्स के लिए एक नई आशा बनकर आई है, जो पुरुष बांझपन, खासतौर पर एज़ोस्पर्मिया से जूझ रहे हैं.
क्या है STAR तकनीक?
STAR यानी Sperm Tracking and Recovery एक नई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित तकनीक है, जो उन पुरुषों की मदद के लिए बनाई गई है जो एज़ोस्पर्मिया जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं. यह ऐसी स्थिति होती है जब पुरुष के सीमन में स्पर्म नहीं पाए जाते.
एज़ोस्पर्मिया क्या है?
एज़ोस्पर्मिया एक ऐसी समस्या है जिसमें पुरुष के सीमन में बिल्कुल भी स्पर्म नहीं होते. यह पुरुष में इनफर्टिलिटी का एक प्रमुख कारण है. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं होता कि ऐसे पुरुष कभी पिता नहीं बन सकते. आधुनिक तकनीक और ट्रीटमेंट से अब इस पर काबू पाया जा सकता है.
एज़ोस्पर्मिया दो प्रकार का होता है:
इस समस्या के पीछे कई वजह हो सकती हैं जैसे:
जेनेटिक बीमारी
हार्मोन की कमी
इन्फेक्शन
रिप्रोडक्शन सिस्टम से जुड़ी सर्जरी
जन्म से मौजूद कोई शारीरिक असामान्यता
कैसे मदद करता है STAR AI?
एज़ोस्पर्मिया वाले पुरुषों में कभी-कभी सीमन में बहुत कम स्पर्म होते हैं जो सामान्य जांच में दिखते नहीं. STAR AI तकनीक इस समस्या को हल करती है. इसमें हाई-पावर इमेजिंग और AI का इस्तेमाल करके पूरे सैंपल की लाखों तस्वीरें ली जाती हैं- करीब 80 लाख तस्वीरें हर घंटे.
फिर AI इन तस्वीरों का विश्लेषण करके उन दुर्लभ स्पर्म को पहचानता है जिन्हें इंसानी आंख नहीं देख पाती. एक खास चिप के ज़रिए इन स्पर्म को अलग कर लिया जाता है- बिना किसी नुकसान या केमिकल के. इससे उन्हें सुरक्षित रूप से फर्टिलाइज़ेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
19 साल बाद माता-पिता बनने की खुशी
यह सफलता सिर्फ तकनीकी रूप से नहीं, भावनात्मक रूप से भी बेहद खास है. जिस दंपति ने यह ट्रीटमेंट कराया, वे पिछले 19 सालों से संतान पाने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने 15 बार IVF (टेस्ट ट्यूब बेबी) कराया, लेकिन हर बार असफलता मिली. आखिरकार 16वीं बार STAR तकनीक की मदद से गर्भधारण संभव हुआ.
डॉ. ज़ेव विलियम्स इस प्रोजेक्ट के प्रमुख और कोलंबिया यूनिवर्सिटी फर्टिलिटी सेंटर के निदेशक हैं. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है. इस AI तकनीक को आगे चलकर भ्रूण चयन, जेनेटिक जांच जैसे अन्य इलाजों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
आगे की राह
STAR AI तकनीक फिलहाल ट्रायल फेज में है, लेकिन इसकी सफलता ने रिप्रोडक्शन मेडिसिन के क्षेत्र में नई उम्मीदें जगाई हैं. इससे IVF के सफल होने की संभावना बढ़ सकती है और मरीजों को कई बार इलाज कराना नहीं पड़ेगा. AI के ज़रिए यह प्रक्रिया न सिर्फ तेज़ और सटीक बनती है, बल्कि डॉक्टरों का समय भी बचाती है जिससे वे मरीजों की देखभाल पर ज़्यादा ध्यान दे सकें.
भविष्य में ऐसी तकनीकें उन लाखों लोगों के लिए वरदान बन सकती हैं जो सालों से माता-पिता बनने की कोशिश कर रहे हैं. STAR तकनीक ने दिखा दिया है कि जब विज्ञान और तकनीक साथ आते हैं, तो असंभव भी संभव हो सकता है.