

उम्र बढ़ने के साथ कभी-कभी भूल जाना सामान्य है लेकिन अगर कोई बार-बार रास्ता भूलने लगे, लगातार एक ही सवाल पूछे, या अपनों के नाम और चेहरे पहचानने में मुश्किल हो, तो यह सिर्फ सामान्य भूल नहीं, बल्कि अल्जाइमर या डिमेंशिया का संकेत हो सकता है. हर साल 21 सितंबर को मनाया जाने वाला वर्ल्ड अल्जाइमर डे हमें यही याद दिलाता है कि यह बीमारी सिर्फ याददाश्त पर ही नहीं, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी और इमोशनल हेल्थ पर भी असर डालती है. समय रहते जागरूक रहकर और सही जीवनशैली अपनाकर हम खुद और अपने परिवार को इस चुनौती से बचा सकते हैं.
सिर्फ भूलने की बीमारी नहीं है अल्जाइमर
अल्जाइमर केवल याददाश्त कम होने तक सीमित नहीं है. यह दिमाग के सोचने, फैसला लेने और रोजमर्रा के काम करने की क्षमता को भी प्रभावित करता है. बिल भरना, निर्देश समझना या किसी से बातचीत करना भी चुनौती बन सकता है. भाषा समझने में कठिनाई और ध्यान केंद्रित न कर पाने की समस्या आम है.
वर्ल्ड अल्जाइमर डे पर GNT डिजिटल ने बात की मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, शालीमार बाग के डायरेक्टर ऑफ न्यूरोलॉजी डॉ. मनोज खनाल से. उन्होंने बताया कि अल्जाइमर केवल भूलने की बीमारी नहीं है. इसके प्रभाव से सोचने-समझने, निर्णय लेने और रोजमर्रा के काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है.
डिमेंशिया न्यूरोलॉजिकल रोगों का एक स्पेक्ट्रम है, जिसमें मैमोरी लॉस, व्यवहार में बदलाव आदि शामिल हैं. डिमेंशिया का सबसे आम कारण अल्जाइमर है. एशियाई देशों में डिमेंशिया के अन्य कारणों में वेस्कुलर डिमेंशिया, स्ट्रोक के बाद होने वाली डिमेंशिया, न्यूरोसिस्टिकरकोसिस या ट्यूबरकुलोमा जैसी सूजन, ब्रेन ट्यूमर, फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया, और लेवी बॉडी डिमेंशिया शामिल हैं.
अल्जाइमर के 5 सबसे आम लक्षण
याददाश्त में कमी (Memory Loss): तुरंत की बातें भूल जाना, बार-बार एक ही सवाल पूछना या हाल ही की घटनाओं को याद न रख पाना.
रोजमर्रा के कामों में कठिनाई: रोजमर्रा के काम जैसे खाना बनाना, बिल भरना या कपड़े पहनना मुश्किल लगना.
भाषा और बातचीत में समस्या : शब्द भूल जाना, सही शब्द न मिलना, बातचीत में रुकावट.
निर्णय लेने और सोचने में कठिनाई : छोटे-छोटे निर्णय लेने में परेशानी, वित्तीय या रोजमर्रा के फैसलों में गड़बड़ी.
व्यवहार और मूड में बदलाव : चिड़चिड़ापन, अवसाद, चिंता, सामाजिक व्यवहार में बदलाव।
सामान गलत जगह पर रखना: चीजें अक्सर गलत जगह पर रखना और उन्हें ढूंढने में असमर्थ होना, कभी-कभी चोरी का आरोप लगाना.
डिमेंशिया का खतरा कम करने के 5 आसान तरीके
1. फिजिकल एक्टिविटी करें
सप्ताह में कम से कम 150 मिनट तेज चलना या किसी मध्यम स्तर की व्यायाम करें. रोजाना एक्सरसाइज दिमाग तक ब्लड फ्लो बढ़ाता है और दिल की सेहत को भी बेहतर बनाता है, जो दिमाग के लिए जरूरी है.
2. हेल्दी डाइट लें
फल, सब्ज़ियां, साबुत अनाज, नट्स, स्वस्थ वसा और मछली जैसे Mediterranean आहार को अपनी डाइट में शामिल करें. प्रोसेस्ड फूड, चीनी, रेड मीट और जरूरत से ज्यादा शराब पीने से बचें.
3. दिमाग वाले गेम खेलें
नई चीजें सीखें, स्ट्रैटेजी गेम खेलें, किताबें पढ़ें और मानसिक चुनौतियों में हिस्सा लें. पजल खेलना और सामाजिक गतिविधियों में शामिल होना भी दिमाग को एक्टिव रखता है और डिमेंशिया के शुरुआती लक्षणों में देरी की वजह बनता है.
4. बीपी-शुगर को कंट्रोल रखें
हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और टाइप 2 डायबिटीज जैसी बीमारियों को कंट्रोल में रखें. हेल्दी वजन बनाए रखना भी जरूरी है. ये सभी उपाय वेस्कुलर डिमेंशिया के जोखिम को कम करते हैं.
5. अपनों से बातचीत करते रहें
दोस्तों और परिवार के साथ नियमित बातचीत करें. यह मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने और अवसाद से बचने में मदद करता है. सामाजिक रूप से जुड़े रहना दिमागी कार्यक्षमता को मजबूत बनाता है. 65 साल से ऊपर हर व्यक्ति को डिमेंशिया के लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए और रोकथाम के उपाय अपनाने चाहिए.