

क्या आप जानते हैं कि आज के दौर में बच्चे पैदा करने की क्षमता यानी फर्टिलिटी रेट तेजी से क्यों घट रही है? क्या समाज का नजरिया और हमारी बदलती लाइफस्टाइल इसके लिए जिम्मेदार है? विश्व IVF डे के मौके पर GNT डिजिटल ने प्राइम IVF सेंटर की डॉक्टर निशी सिंह और Birla फर्टिलिटी एंड IVF के CEO अभिषेक अग्रवाल से बात की. उन्होंने इनफर्टिलिटी के बढ़ते मामलों, इसके कारणों, और IVF जैसे आधुनिक समाधानों के बारे में खुलकर बताया.
CEO अभिषेक अग्रवाल के अनुसार, भारत में हर 6 में से 1 व्यक्ति को प्रजनन संबंधी समस्याएं हो रही हैं, जबकि शहरों में यह आंकड़ा 4 में 1 तक पहुंच रहा है. जीवनशैली में बदलाव, मोटापा, पीसीओएस, थायरॉइड, तनाव और देर से शादी जैसे कारण इस वृद्धि के पीछे हैं. अब यह समस्या सिर्फ शहरी नहीं, बल्कि पूरे देश में फैल चुकी है.
नया नहीं है इनफर्टिलिटी का मुद्दा
वहीं, डॉ. निशी ने इंटरव्यू की शुरुआत में ही साफ किया कि इनफर्टिलिटी का मुद्दा पहले जैसा नहीं है. "70-80 के दशक में फर्टिलिटी रेट इतनी अच्छी थी कि एक महिला के 4-5 बच्चे होना आम बात थी. उस समय IVF की जरूरत ही नहीं पड़ती थी. लेकिन आज स्थिति बदल गई है. अब भारत में फर्टिलिटी रेट सिर्फ 1.9 है, यानी एक महिला औसतन दो बच्चे भी पैदा नहीं कर पा रही." यह आंकड़ा चौंकाने वाला है, और इसके पीछे कई कारण हैं जो हमारी आधुनिक जीवनशैली से जुड़े हैं.
क्या है इनफर्टिलिटी के कारण?
डॉ. निशी ने बताया कि इनफर्टिलिटी के मामलों में बढ़ोतरी के पीछे कई कारण हैं:
1. देर से शादी: पहले महिलाएं 20-22 साल की उम्र में शादी कर लेती थीं, लेकिन अब करियर और शिक्षा के चलते शादी की उम्र बढ़कर 30-35 साल हो गई है. उम्र बढ़ने के साथ अंडों की गुणवत्ता और संख्या कम होती है, जो फर्टिलिटी को प्रभावित करती है.
2. तनाव भरी जिंदगी: आज की भागदौड़ वाली जिंदगी में तनाव एक बड़ा कारण है. काम का दबाव, कम नींद, और मानसिक तनाव हार्मोन्स को असंतुलित करते हैं, जिससे बांझपन की समस्या बढ़ती है.
3. गलत खानपान: फास्ट फूड, मैदा से बनी चीजें (जैसे पिज्जा, पास्ता, समोसे), और जंक फूड का ज्यादा सेवन शरीर के मेटाबॉलिज्म को खराब करता है. यह PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) जैसी समस्याओं को बढ़ाता है, जो फर्टिलिटी को प्रभावित करता है.
4. सेडेंटरी लाइफस्टाइल: कम शारीरिक गतिविधि और बैठे रहने वाली जीवनशैली भी फर्टिलिटी पर बुरा असर डालती है. नियमित व्यायाम की कमी से हार्मोनल असंतुलन होता है.
5. पुरुषों में भी समस्याएं: पुरुषों में तनाव, शराब, धूम्रपान, और खराब लाइफस्टाइल के कारण स्पर्म काउंट और क्वालिटी कम हो रही है, जो इनफर्टिलिटी का 40% कारण है.
डॉ. निशी ने जोर देकर कहा, "इनफर्टिलिटी सिर्फ महिलाओं की समस्या नहीं है. समाज में यह मिथक है कि बांझपन (Infertility) का जिम्मेदार सिर्फ महिला होती है, लेकिन 40% मामलों में पुरुष भी उतने ही जिम्मेदार हैं. 10% मामलों में तो कोई स्पष्ट कारण ही नहीं मिलता."
पुरुष और महिला दोनों की जिम्मेदारी
डॉ. निशी ने एक दिलचस्प कहानी साझा की जो समाज के गलत नजरिए को उजागर करती है. "एक कपल मेरे पास आया. तीन महीने तक पति अपनी पत्नी का ही इलाज करवाता रहा, यह कहकर कि पहले मेरी पत्नी को ठीक करो. लेकिन जब मैंने जिद की कि उनका सीमेन एनालिसिस टेस्ट करवाएं, तो पता चला कि समस्या पुरुष में थी. एक साधारण एंटीबायोटिक ट्रीटमेंट के बाद अगले महीने वह कपल गर्भवती हो गया." यह कहानी बताती है कि समाज को शिक्षित करने की जरूरत है- इनफर्टिलिटी का इलाज दोनों पार्टनर को मिलकर करना चाहिए.
डॉ. निशी सलाह देती हैं, "जब भी कोई कपल मेरे पास आता है, मैं दोनों को टेस्ट करवाने के लिए कहती हूं. यह समझना जरूरी है कि दोनों की बराबर जिम्मेदारी है."
CEO अभिषेक बताते हैं कि छोटे शहरों जैसे सिलीगुड़ी, वाराणसी, नागपुर, इंदौर और रांची IVF सेवाओं के नए केंद्र बन रहे हैं. FY25 में कई टियर-2 और टियर-3 शहरों में विस्तार हुआ है और FY26 में 10-15 नए केंद्र खोलने की योजना है. वहीं, IVF के खर्च को लेकर वे कहते हैं कि हमने कीमतें पारदर्शी और समान रखी हैं. ज़ीरो कॉस्ट EMI और आसान भुगतान विकल्प भी दिए जा रहे हैं ताकि इलाज रुक न जाए.
साथ ही वे बताते हैं कि पुरुषों की भागीदारी भी बढ़ रही है और अब वे खुद जांच के लिए आगे आ रहे हैं. साथ ही, डिजिटल माध्यम से जागरूकता बढ़ाई जा रही है ताकि लोग समय पर इलाज ले सकें.
IVF को लेकर क्या मिथक हैं
विश्व IVF डे पर IVF को लेकर बात करना बेहद जरूरी है, क्योंकि भारत में इसे अभी भी एक टैबू माना जाता है. लोग कहते हैं, "IVF बच्चा ट्यूब में बनता है," या इसे अप्राकृतिक मानते हैं. डॉ. निशी इस मिथक को तोड़ती हैं: "IVF एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जो उन कपल्स को माता-पिता बनने का मौका देती है जिनके लिए प्राकृतिक गर्भधारण मुश्किल है. लेकिन लोग अभी भी इसे स्वीकार करने में हिचकते हैं."
IVF की कितनी गारंटी है?
डॉ. निशी कहती हैं, "जैसे एक किसान 100 बीज बोता है, लेकिन सभी पौधे नहीं उगते, वैसे ही IVF में भी कोशिश जरूरी है. हमारा लक्ष्य हर कपल को सकारात्मक परिणाम देना है, लेकिन यह कई कारकों पर निर्भर करता है."
IVF कब चुनना चाहिए?
-अगर आपकी उम्र 35 साल से कम है और आप 1 साल तक बिना सुरक्षा के गर्भधारण की कोशिश करते हैं, लेकिन सफलता नहीं मिलती, तो इनफर्टिलिटी विशेषज्ञ से मिलें.
-35 साल से अधिक उम्र में, 6 महीने की कोशिश के बाद विशेषज्ञ से सलाह लें.
-अगर ट्यूब्स बंद हैं या स्पर्म काउंट कम है, तो IVF जल्दी चुनना बेहतर हो सकता है.
एग फ्रीजिंग क्या है और कब महिलाओं को ये करवाना चाहिए
आज की करियर-फोकस्ड महिलाएं शादी और मां बनने को बाद के लिए टाल रही हैं. डॉ. निशी ने एग फ्रीजिंग को एक क्रांतिकारी समाधान बताया. "अगर आप 28 साल की उम्र में अपने अंडे फ्रीज कराती हैं, तो 38 साल की उम्र में भी आप उन अंडों से गर्भधारण कर सकती हैं. आपके अंडे की उम्र वही 28 साल रहेगी, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ती है."
यहां देखें पूरा इंटरव्यू-
डॉक्टर निशी ने Gnt डिजिटल को एग फ्रीजिंग के फायदे बताए
डॉ. निशी ने एक 18-20 साल की मरीज का उदाहरण दिया, जिसने कैंसर ट्रीटमेंट से पहले अपने अंडे फ्रीज कराए, ताकि भविष्य में मां बन सके. यह तकनीक आज की महिलाओं को अपने करियर और फैमिली प्लानिंग की योजना को मैनेज करने की आजादी देती है.
इनफर्टिलिटी के मामलों में बढ़ोतरी
डॉ. निशी, जो 2005 से इस क्षेत्र में हैं, बताती हैं कि पहले उनके पास 10 मरीजों में 1-2 ही इनफर्टिलिटी के मामले आते थे. लेकिन अब 10 में 5-6 मरीज बांझपन की समस्या लेकर आते हैं. "यह सिर्फ भारत की समस्या नहीं, बल्कि वैश्विक है. कुछ देशों में तो निगेटिव फर्टिलिटी रेट है, यानी बच्चे पैदा ही नहीं हो रहे." भारत में जनसंख्या बढ़ रही है, लेकिन यह बुजुर्ग आबादी की वजह से है, जबकि युवा आबादी और फर्टिलिटी रेट कम हो रहा है.
समाज को जागरूक करने की जरूरत
डॉ. निशी ने जोर दिया कि समाज को इनफर्टिलिटी के बारे में जागरूक करना जरूरी है. "लोगों को समझना चाहिए कि यह सिर्फ महिला की नहीं, बल्कि पुरुष और महिला दोनों की जिम्मेदारी है. IVF को टैबू की तरह देखने के बजाय इसे एक वैज्ञानिक समाधान के रूप में स्वीकार करना चाहिए."
उन्होंने यह भी बताया कि कई कपल्स पहले ही यूट्यूब और गूगल से जानकारी लेकर आते हैं, लेकिन गलत धारणाओं के कारण सही समय पर इलाज नहीं लेते. "मेरे पास ज्यादातर वे कपल्स आते हैं जिनका पहले कहीं और इलाज फेल हो चुका होता है. हम उन्हें पूरी जानकारी देते हैं और सही दिशा में ले जाते हैं."
इनफर्टिलिटी आज की दुनिया में एक आम समस्या है, लेकिन इसका समाधान भी मौजूद है. चाहे आप IVF चुनें या एग फ्रीजिंग, सही जानकारी और समय पर इलाज आपके सपनों को हकीकत में बदल सकता है. ऐसे में जरूरी है कि फर्टिलिटी को लेकर जागरूकता बढ़ाई जाए और इससे जुड़े सामाजिक मिथकों को तोड़ा जाए.