
गुजरात में आतंकवाद के खिलाफ एक और बड़ी कामयाबी हासिल हुई है, जिसने पूरे देश को चौंका दिया है. गुजरात एंटी-टेरर स्क्वॉड (ATS) ने अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) से जुड़े एक खतरनाक आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ करते हुए चार आतंकियों को धर दबोचा है. ये आतंकी न केवल नकली नोटों का गोरखधंधा चला रहे थे, बल्कि सोशल मीडिया और ऑटो-डिलीट ऐप्स के जरिए आतंक की विचारधारा को फैला रहे थे.
इस सनसनीखेज खुलासे ने सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता को एक बार फिर साबित किया है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर ये ऑटो-डिलीट ऐप्स क्या हैं और कैसे आतंकी इनका इस्तेमाल कर रहे थे?
चार आतंकियों की गिरफ्तारी
गुजरात ATS ने 21 और 22 जुलाई को एक सटीक और समन्वित ऑपरेशन के तहत चार आतंकियों को गिरफ्तार किया. इनमें से दो आतंकी गुजरात से, एक दिल्ली से और एक नोएडा, उत्तर प्रदेश से पकड़ा गया. गिरफ्तार आतंकियों की पहचान मोहम्मद फैक (दिल्ली), मोहम्मद फरदीन (अहमदाबाद), सैफुल्लाह कुरैशी (मोदासा, अरवल्ली) और जीशान अली (नोएडा) के रूप में हुई है. ATS के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG) सुनील जोशी ने बताया कि ये चारों लंबे समय से अल-कायदा के साथ जुड़े हुए थे और सोशल मीडिया के जरिए आतंकी संगठन की विचारधारा को बढ़ावा दे रहे थे.
ATS को जून में मिली एक गुप्त सूचना के आधार पर इन आतंकियों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी. जांच में पता चला कि ये लोग इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर कई फर्जी अकाउंट्स के जरिए जिहादी सामग्री, भड़काऊ वीडियो और "गजवा-ए-हिंद" जैसे उकसावे वाले फतवों को फैला रहे थे. इनका मकसद भारत की लोकतांत्रिक सरकार के खिलाफ हिंसा भड़काना और शरिया कानून स्थापित करना था.
ऑटो-डिलीट ऐप
इस मामले में सबसे चौंकाने वाला खुलासा रहा इन आतंकियों द्वारा ऑटो-डिलीट ऐप्स का इस्तेमाल. लेकिन आखिर ये ऑटो-डिलीट ऐप्स हैं क्या? और कैसे ये आतंकियों के लिए मददगार साबित हो रहे हैं? ऑटो-डिलीट ऐप्स ऐसे मोबाइल एप्लिकेशन हैं, जो चैट या मैसेज को एक निश्चित समय के बाद अपने आप डिलीट कर देते हैं. इन ऐप्स में भेजे गए मैसेज, फोटो, वीडियो या डॉक्यूमेंट्स कुछ सेकंड, मिनट या घंटों बाद गायब हो जाते हैं, जिससे कोई सबूत नहीं बचता.
ऐसे ऐप्स का सबसे बड़ा फायदा यह है कि ये एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का इस्तेमाल करते हैं, जिससे मैसेज को बीच में कोई तीसरा पक्ष पढ़ नहीं सकता. आतंकी इन ऐप्स का इस्तेमाल अपनी गुप्त योजनाओं को साझा करने, निर्देश देने और आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए करते हैं, क्योंकि ये ऐप्स उनके कम्युनिकेशन के डिजिटल निशान मिटा देते हैं. उदाहरण के लिए, अगर कोई आतंकी अपने हैंडलर से कोई संदेश प्राप्त करता है, तो वह संदेश कुछ समय बाद अपने आप डिलीट हो जाता है, जिससे जांच एजेंसियों के लिए सबूत जुटाना मुश्किल हो जाता है.
कैसे कर रहे थे ऑटो डिलीट ऐप का इस्तेमाल?
ATS सूत्रों के मुताबिक, इन चारों आतंकियों ने ऐसे ही ऑटो-डिलीट ऐप्स का इस्तेमाल करके अपनी बातचीत को छिपाने की कोशिश की. ये लोग न केवल एक-दूसरे से संपर्क में थे, बल्कि सीमा पार बैठे अपने हैंडलर्स के साथ भी इन ऐप्स के जरिए जुड़े हुए थे. खास तौर पर, मोहम्मद फैक नामक आतंकी ने पाकिस्तानी इंस्टाग्राम अकाउंट्स जैसे "gujjar_sab.111" और "M Salauddin Siddiqui 1360" के साथ मिलकर भारत सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार किया. ATS ने इनके 25 इंस्टाग्राम अकाउंट्स और 62 अन्य संबंधित अकाउंट्स की जांच शुरू की है.
कानूनी कार्रवाई और आगे की जांच
गुजरात ATS ने इन चारों आतंकियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम, 1967 (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया है. इसमें धारा 13 (गैरकानूनी गतिविधि), 18 (साजिश), 38 (आतंकी संगठन की सदस्यता) और 39 (आतंकी संगठन को समर्थन) शामिल हैं. दो आतंकियों को 14 दिनों की ATS हिरासत में भेजा गया है, जबकि बाकी दो के खिलाफ कानूनी कार्रवाई चल रही है. ATS अब इनके सोशल मीडिया अकाउंट्स, चैट्स और डिजिटल डिवाइस की गहन जांच कर रही है ताकि इनके नेटवर्क का और खुलासा हो सके.