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उड़ीसा के ब्रिटिश जेल में 95 वर्षीय कैदी देख रहा है सजा से आजादी की राह, कोर्ट ने सुनाया था आजीवन कारावास      

उड़ीसा के ब्रिटिश जेल में एक 95 वर्षीय व्यक्ति बलराम सिरा आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. हालांकि, कानून के मुताबिक अगर किसी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है और वह 65 वर्ष का पुरुष या 55 वर्ष की महिला है और वह व्यक्ति कोई जुर्म करने की हालत में नहीं है तो उसे 5 साल की सजा के बाद सिफारिश पर रिहा करने का आदेश है.

Jail Jail
हाइलाइट्स
  • कोर्ट कचहरी में चल रहा है मामला  

  • रिहाई के लिए कई बार की सिफारिश 

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सभी जाति-धर्म एवं वर्ग के लोगों ने राष्ट्रीय ध्वज को फहराकर आजादी का जश्न मनाया. वहीं, ओडिशा में ब्रिटिश काल के कोरापुट सर्कल जेल में एक 95 वर्षीय व्यक्ति बलराम सिरा आजीवन कारावास की सजा काट रहा है और वह जेल से अपनी आजादी की प्रतीक्षा कर रहा है. साल 2015 में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने बलराम सिरा को धारा 302 के तहत हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.

आजीवन कारावास की सजा काट रहा है बलराम 

जानकारी के मुताबिक बलराम सिरा बोरीगुम्मा थाना अंतर्गत देनगापदर गांव का निवासी है. वह वर्तमान समय में 95 वर्ष का है और ब्रिटिश काल के कोरापुट सर्किल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. सन् 2013 में 86 की उम्र में बलराम सिरा को गांव में जमीन विवाद के मामले में हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. जिसके बाद सन् 2015 में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने बलराम सिरा को धारा 302 के तहत हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. 

कोर्ट कचहरी में चल रहा है मामला  

95 वर्षीय बलराम का मामला सन 2013 से 2015 कोर्ट-कचहरी के बीच चला. जिसके बाद 22 जनवरी 2015 को कोर्ट ने आजीवन करावास की फैसला सुना दिया. बलराम पिछले 9 सालों से बढ़ती उम्र के साथ स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों का सामना करते हुए आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. साथ ही इस उम्र में बलराम जेल से अपनी आजादी की प्रतीक्षा कर रहा है. शायद, राज्य में बलराम सिरा आजीवन कारावास की सजा काटने वाला सबसे उम्रदराज है.

रिहाई के लिए कई बार की सिफारिश 

कोरापुट जेल अधिकारी लालतेन्दु भूषण ने बताया कि बलराम सिरा एक उम्रदराज व्यक्ति है जो कि सन् 2015 से हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. जेल प्रबंधन ने उम्र की सीमा के मद्देनजर रिहाई के लिए राज्य सजा समीक्षा बोर्ड को सिफारिश किया गया था. लेकिन पुलिस सत्यापन के दौरान बलराम सिरा के मूल निवास स्थान पर परिजनों को नहीं पाया. अब पता चला है कि उनका परिवार नबरंगपुर में रह रहा है. उम्मीद है कि बलराम की रिहाई पर जल्द ही विचार किया जाएगा. 

गौरतलब है कि, राज्य में कानून रूप से प्रबंधन है कि अगर कोई दोषी को किसी मामले के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है और वह 65 वर्ष का पुरुष या 55 वर्ष की महिला है. साथ ही वह जुर्म करने की हालत में नहीं है तो दोषी को 5 वर्ष के सजा के उपरांत सिफारिश पर रिहा करने का आदेश है.