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120 करोड़ रुपए.. ट्रस्ट और फर्जी खातों में टांस्फर.. जानें कैसे हत्थे चढ़ा गैंग का मास्टरमाइंड

टेक्निकल यूनिवर्सिटी के नाम पर प्राइवेट बैंक में फर्जी खाता खोलकर करोड़ों की धोखाधड़ी करने वाला गैंग का मास्टरमाइंड गिरफ्तार.

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लखनऊ में टेक्निकल यूनिवर्सिटी के नाम पर प्राइवेट बैंक में फर्जी खाता खोलकर ₹120 करोड़ की ठगी करने वाले गैंग के मास्टरमाइंड को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इससे पहले साइबर क्राइम थाना लखनऊ इस मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार कर चुका है. अब मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी के बाद उम्मीद है कि इस हाई-टेक गैंग की पूरी जड़ें पकड़ी जा सकेंगी.

पुलिस कमिश्नर लखनऊ के निर्देश पर गठित स्पेशल टीम ने इस ठगी का पर्दाफाश किया. साइबर क्राइम प्रभारी ब्रजेश कुमार यादव की अगुवाई में जांच आगे बढ़ाई जा रही है. पुलिस पूछताछ में आरोपी ने खुलासा किया कि उसने ₹1 करोड़ लखनऊ और ₹30 लाख सूरत हवाला से भिजवाए थे. जो रकम बची, उसे कमीशन के रूप में अपने पास रख लिया. जांच में सामने आया कि M.I. ट्रेडर्स नाम से जो खाता खोला गया, वह गुजरात के महेसाणा निवासी इदरीस मालेक के नाम पर था.

ट्रस्ट में करवाए पैसे टांस्फर
पुलिस के अनुसार, 7 जून को लखनऊ से एक करोड़ रुपये की डिमांड आने पर आरोपी ने श्रद्धा एजुकेशनल ट्रस्ट से ₹17 लाख फर्जी खाते में ट्रांसफर करवाए. इसके बाद अपनी दूसरी फर्म गैशाला के अकाउंट में ₹135 लाख मंगवाए और ₹61 लाख नकद में निकाल लिए. आरोपी ने बताया कि मई 2024 में अहमदाबाद में हुई मीटिंग में यूपी में आने वाले बड़े सरकारी फंड को क्लियर कराने की साजिश रची गई थी. वह अहमदाबाद से ऑपरेशन संभाल रहा था और हवाला व RTGS के ज़रिए करोड़ों रुपये ट्रांसफर करता था.

हवाला का लिया गया सहारा
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि बैंक ने बिना शक किए यूनिवर्सिटी के नाम से फर्जी खाता खोल दिया, जिसमें सरकारी फंड के ₹120 करोड़ जमा हुए. कुछ ही घंटों में यह रकम RTGS और हवाला के ज़रिए अलग-अलग खातों में भेज दी गई. 12 जून 2024 को बैंक के मैनेजर को AKTU की ओर से फिक्स डिपॉजिट (FD) के नाम पर ईमेल आया था. ईमेल में भेजे गए सभी डॉक्यूमेंट्स—मेल आईडी, लेटरहेड और सिग्नेचर—पूरी तरह असली जैसे थे, जिससे बैंक अधिकारी भी गुमराह हो गए.