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सिलीसेढ़ झील को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान, 100 से ज्यादा पक्षी प्रजातियों का है आश्रय स्थल, पाए जाते हैं 500 से अधिक मगरमच्छ

अलवर के पास स्थित खूबसूरत सिलीसेढ़ झील को देश की 96वीं रामसर साइट घोषित किया गया है. इससे पहले राजस्थान के फलौदी स्थित खींचन और उदयपुर की मेनार झील को रामसर दर्जा मिल चुका है. अब सिलीसेढ़ झील के शामिल होने से यह राजस्थान की पांचवीं रामसर साइट बन गई है. इस घोषणा के बाद अलवर सहित पूरे इलाके में खुशी का माहौल है.

अलवर की सिलीसेढ़ झील को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान अलवर की सिलीसेढ़ झील को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान

अरावली की पहाड़ियों के बीच सिलीसेढ़ झील अपनी खूबसूरती के लिए देश-विदेश में अपनी खास पहचान रखती है. अब राजस्थान के अलवर जिले के लिए गर्व का पल है. अलवर के पास स्थित खूबसूरत सिलीसेढ़ झील को देश की 96वीं रामसर साइट घोषित किया गया है. इससे पहले राजस्थान के फलौदी स्थित खींचन और उदयपुर की मेनार झील को रामसर दर्जा मिल चुका है. अब सिलीसेढ़ झील के शामिल होने से यह राजस्थान की पांचवीं रामसर साइट बन गई है. इस घोषणा के बाद अलवर सहित पूरे इलाके में खुशी का माहौल है.

सिलीसेढ़ झील देश की राजधानी दिल्ली से करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यह झील अरावली की पहाड़ियों के बीच बसी हुई है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जानी जाती है. झील का निर्माण वर्ष 1845 में अलवर के महाराज विनय सिंह ने करवाया था. वर्षों से यह झील न केवल पानी का स्रोत रही है, बल्कि पर्यटन और जैव विविधता का भी अहम केंद्र बनी हुई है.

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने जुलाई 2025 में जिंबॉब्वे में आयोजित वेटलैंड कन्वेंशन के दौरान महासचिव डॉ. मुसोंडा मुंबा से मुलाकात की थी. इस दौरान उन्होंने सिलीसेढ़ झील के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व की जानकारी दी और इसे रामसर साइट घोषित करने का प्रस्ताव रखा. इसके बाद सिलीसेढ़ को यह अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली.

500 से ज्यादा मगरमच्छ
सिलीसेढ़ झील जैव विविधता के लिहाज से बेहद समृद्ध है. यहां 500 से ज्यादा मगरमच्छ पाए जाते हैं. इसके अलावा झील और इसके आसपास 100 से अधिक प्रजातियों के देसी और विदेशी पक्षी रहते हैं. सर्दियों के मौसम में बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी यहां आते हैं, जिससे यह इलाका पक्षी प्रेमियों के लिए खास बन जाता है. झील में साल भर बोटिंग की सुविधा भी उपलब्ध है.

झील के किनारे स्थित सिलीसेढ़ होटल, जिसे राजस्थान पर्यटन विकास निगम (RTDC) संचालित करता है, पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है. सर्दियों में जब अरावली की पहाड़ियां हरियाली से ढक जाती हैं, तब सिलीसेढ़ की सुंदरता और भी बढ़ जाती है. अब रामसर साइट का दर्जा मिलने के बाद उम्मीद की जा रही है कि सिलीसेढ़ झील को विश्व स्तर पर नई पहचान मिलेगी.

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