खेलते-कूदते बच्चे अक्सर हमे खुश दिखाई पड़ते हैं लेकिन, इन बच्चों का इस दुनिया में कोई नहीं होता. ऐसे ही कुछ बच्चे हैं, जिनका अंजिना राजगोपाल के सिवा इस दुनिया में कोई नहीं है. अंजिना वैसे तो एक बुड़ी महिला हैं लेकिन, यहां हर बच्चा इन्हें मम्मी कहकर बुलाता है. क्योंकि इन सब बच्चों को मां का प्यार अंजिना ने ही दिया है. नोएडा के सेक्टर 12 में अंजिना साईं कृपा नाम से एक अनाथालय चलाती हैं. बच्चों का सहारा बनने की उनकी यात्रा 38 साल पहले शुरु हुई थी, जोकि अब तक जारी है.
दिव्यांग बच्चे को मार खाते देखा तो घर ले आईं- अंजिना
अंजिना बताती हैं कि वह शुरू से ही यह काम करना चाहती थीं लेकिन, घर में पिता की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए उन्होंने पढ़ाई के बाद नौकरी शुरू कर दी. फिर पिता की मौत के बाद उन्होंने अपने मन का काम करने की ठान ली. अंजिना ने बताया कि जब वह पहला बच्चा अपने घर लेकर आई थीं तो उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह ऐसा कुछ करेंगी. यह सब बहुत अचानक ही हुआ.
दरअसल, अंजिना रास्ते में जा रही थी तभी उन्होंने देखा कि एक आदमी एक दिव्यांग बच्चे को पीट रहा था. इतना देखते ही वह उस बच्चे को अपने पास ले आईं.
आज 27 साल की है उनकी एक गोद ली हुई बेटी
अनाथ बच्चों को अपने पास रखने का अंजिना का एक अलग जज्बा था. वह बताती हैं कि एक छोटी बच्ची जो कुछ ही दिन की थी उसकी हालत बहुत खराब थी और वह अस्पताल में एडमिट थी. अंजिना ने उस लड़की को भी गोद ले लिया था.
जब डॉक्टर्स ने कहा कि यह लड़की नहीं बच सकेगी तो, अंजिना को इस बच्चे को गोद लेने के लिए कई लोगों ने मना किया लेकिन, वो नहीं मानी और उस बच्ची को लेकर आ गई आज. वह बच्ची 27 साल की हो चुकी है और एकदम ठीक है
विदेश भी जाएगी अंजिना की एक बेटी राधिका
अंजिना ने बच्चों की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने की कोशिश की और फिर उन्हें नौकरी भी दिलाई. कई बच्चों की शादी भी की. उनकी एक बेटी राधिका बचपन से ही यहीं पर है. राधिका फिलहाल एक बड़ी प्राइवेट यूनिवर्सिटीसे फूड टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन कर रही है और कहती है कि उसका सपना है कि वह विदेश जाकर अपनी मास्टर डिग्री लेंगी और मम्मी यानी अंजिना ने इसके लिए इंतजाम भी कर दिया है.
बच्चों को ट्रेनिंग देने का काम कर रहा अंजिना का गोद लिया बेटा
राधिका की तरह ही राजेंद्र सिंह जब चार साल के थे तो यहां आए थे. आज उनकी उम्र 39 साल हो चुकी है यहीं पर उन्होंने पढ़ाई की डिग्री हासिल की और फिर होटल मैनेजमेंट में डिप्लोमा किया राजेंद्र कई जगह नौकरी भी की है लेकिन, कोविड के बाद से वह पूरी तरह से इस अनाथालय की सेवा में ही लगे हुए हैं. वह नए बच्चों को ट्रेनिंग देने का काम भी करते हैं.
इस अनाथालय में कई बच्चे पढ़- लिखकर काबिल हो चुके हैं लेकिन, तरक्की की ओर बढ़ते इन बच्चों ने अब अंजिना राजगोपाल जैसी सोच तय कर ली है. ये बच्चे हमेशा अब जरूरतमंद बच्चों के लिए खड़े रहते हैं.
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