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2 से भी कम दिन में कच्चे आम को पका देता है कैल्शियम कार्बाइड... अब इसी को ले जाने वाला जहाज केरल में डूबा... FSSAI ने कर रखा है बैन, कैसे करें इससे पकने वाले फलों की पहचान?

यह गैस न केवल ज्वलनशील है, बल्कि इंसानों  के स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है. इसे सांस के जरिए लेने से चक्कर आना, गले में जलन, उल्टी और त्वचा पर जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं. लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से गंभीर स्वास्थ्य जोखिम, जैसे कि कैंसर तक हो सकता है.

Chemically ripened fruits (Representative Image/unsplash) Chemically ripened fruits (Representative Image/unsplash)

रविवार की सुबह, केरल के कोच्चि से करीब 38 नॉटिकल मील की दूरी पर लाइबेरिया का एक बड़ा मालवाहक जहाज, MSC ELSA 3, समुद्र की गहराइयों में समा गया. यह जहाज अपने साथ ले जा रहा था 640 कंटेनर, जिनमें से 13 में खतरनाक केमिकल और 12 में कैल्शियम कार्बाइड. व्ही केमिकल जो कच्चे आम और केले को चंद घंटों में पकाने की ताकत रखता है.

लेकिन यह जहाज अब अरब सागर की तलहटी में पड़ा है, और इसके साथ ही तटवर्ती इलाकों में एक बड़े पर्यावरणीय संकट का डर सताने लगा है. भारतीय तटरक्षक बल (ICG) और नौसेना ने जहाज के सभी 24 क्रू मेंबर्स को सुरक्षित बचा लिया, लेकिन अब सवाल यह है कि इससे कितना नुकसान हो सकता है? 

MSC ELSA 3 का डूबना
MSC ELSA 3, जो विशाखापट्टनम के विजिंजम बंदरगाह से कोच्चि की ओर जा रहा था, ने अचानक 26 डिग्री के कोण पर झुकना शुरू किया. जहाज के एक हिस्से में पानी भरने की वजह से यह असंतुलित हुआ और रविवार की सुबह पूरी तरह डूब गया. इस जहाज में 84.44 मीट्रिक टन डीजल, 367.1 मीट्रिक टन फर्नेस ऑयल और 640 कंटेनर थे, जिनमें से 25 कंटेनर खतरनाक केमिकल से भरे थे. इनमें से 12 कंटेनर कैल्शियम कार्बाइड से लदे थे, जो पानी के संपर्क में आने पर एसिटिलीन गैस छोड़ता है- एक ऐसी गैस जो बेहद ज्वलनशील है और विस्फोट तक कर सकती है.

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यह हादसा केवल जहाज के डूबने तक सीमित नहीं है. कोल्लम जिले के निंदाकारा, करुनागप्पल्ली और शक्तिकुलंगारा समुद्र तटों पर इस जहाज के कई कंटेनर तैरते हुए किनारे पर आ चुके हैं. केरल स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (KSDMA) ने सख्त चेतावनी जारी की है कि कोई भी इन कंटेनरों को छूने या खोलने की कोशिश न करे. इनमें मौजूद केमिकल समुद्री जीवन और तटीय पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं.

कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल होता है फलों में 
कैल्शियम कार्बाइड (CaC₂) एक रासायनिक यौगिक है, जिसे आमतौर पर फल पकाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यह कच्चे आम, केले और अन्य फलों को 48 घंटों से भी कम समय में पका सकता है, जिससे व्यापारी इन्हें जल्दी बाजार में बेच सकें. लेकिन इसकी सच्चाई उतनी रंगीन नहीं है, जितनी पके फल दिखते हैं. जब कैल्शियम कार्बाइड पानी या नमी के संपर्क में आता है, तो यह एसिटिलीन गैस और कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड बनाता है.

यह गैस न केवल ज्वलनशील है, बल्कि इंसानों  के स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है. इसे सांस के जरिए लेने से चक्कर आना, गले में जलन, उल्टी और त्वचा पर जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं. लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से गंभीर स्वास्थ्य जोखिम, जैसे कि कैंसर तक हो सकता है.

इसी वजह से FSSAI (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने 2011 में कैल्शियम कार्बाइड को फल पकाने के लिए पूरी तरह बैन कर दिया. लेकिन फिर भी, कुछ व्यापारी चोरी-छिपे इसका इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि यह सस्ता और तेजी से काम करने वाला तरीका है. FSSAI ने हाल ही में सभी राज्यों को फल बाजारों और गोदामों में सख्त निगरानी रखने का निर्देश दिया है, खासकर मॉनसून के मौसम में, जब आम की मांग चरम पर होती है.

कैसे करें कैल्शियम कार्बाइड से पके फलों की पहचान?
कैल्शियम कार्बाइड से पके फल दिखने में भले ही आकर्षक हों, लेकिन इनमें कई ऐसी खासियतें होती हैं, जिनसे इन्हें पहचाना जा सकता है. FSSAI ने कुछ आसान टिप्स दिए हैं, जो लोगों को सतर्क रहने में मदद कर सकते हैं:

  • रंग और बनावट: कैल्शियम कार्बाइड से पके फल अक्सर बाहर से तो चमकदार और पके हुए दिखते हैं, लेकिन अंदर से कच्चे या सख्त हो सकते हैं. उदाहरण के लिए, आम का छिलका पीला दिख सकता है, लेकिन उसका गूदा बेस्वाद या कच्चा हो सकता है.
  • काले धब्बे: अगर फल के छिलके पर काले धब्बे या असामान्य पैच दिखें, तो यह संकेत हो सकता है कि इसे एसिटिलीन गैस से पकाया गया है. ऐसे फल खरीदने से बचें.
  • स्वाद और गंध: प्राकृतिक रूप से पके फल मीठे और सुगंधित होते हैं, जबकि कैल्शियम कार्बाइड से पके फल बेस्वाद या हल्की रासायनिक गंध वाले हो सकते हैं.
  • पकने की एकरूपता: प्राकृतिक फल धीरे-धीरे और असमान रूप से पकते हैं, जबकि केमिकल फल एकसमान रंग के होते हैं, जो संदेहास्पद हो सकता है.
  • विश्वसनीय विक्रेता: हमेशा भरोसेमंद या प्रतिष्ठित दुकानों से फल खरीदें. स्थानीय मंडियों में सस्ते फल आकर्षक लग सकते हैं, लेकिन उनमें कैल्शियम कार्बाइड के इस्तेमाल की आशंका ज्यादा होती है.

तो अगली बार जब आप बाजार से रसीले आम या पीले केले खरीदें, तो थोड़ा सावधान रहें. कहीं ऐसा न हो कि आपकी थाली में परोसा गया फल स्वाद के साथ-साथ जहर भी लाए.