Kids Digging Well with Bare Hands
Kids Digging Well with Bare Hands कहा जाता है कि जब बच्चे कुछ ठान लेते हैं तो उसे पूरा करके ही दम लेते हैं. इसी कड़ी में अब बच्चों ने लोगों की प्यास बुझाने के लिए कुआ तक खोद दिया. दरअसल, ये मामला गुजरात के छोटे से जिले उदेपुर के डब्बा गांव का है. गर्मी की छुट्टियों में जब बच्चों ने लोगों को पानी के लिए परेशान होते देखा तो उन्होंने मजा करने के बजाय पीने के पानी के दैनिक कोटे को पूरा करने के लिए एक कुआ खोदने में अपना पूरा समय लगा दिया
सभी को मिल सके साफ पानी
ये आदिवासी बच्चे भोर होते ही उठकर अपने घरों के पास खोदे गए कुएं पर चले जाते हैं और अपने नंगे हाथों से मिट्टी निकालना शुरू करते हैं. जितना ज्यादा वे खोदते हैं, उतनी ही अधिक संभावना होती है कि उन्हें दिन भर के लिए पर्याप्त पीने का पानी मिल जाएगा. इसे लेकर टीओआई से एक निवासी ने कहा, "नसवाड़ी तालुका के एक सुदूर इलाके में स्थित हमारे गांव के कई निवासियों के लिए यह एक रूटीन बन गया है. बच्चों से लेकर बड़ों तक, हर कोई बारी-बारी से कुआं खोदता है और दैनिक उपयोग के लिए पानी लाता है.
पीने के पानी के लिए मिट्टी खोदना जरूरी है
गांव के निवासी कहते हैं कि पानी हमारे लिए प्राथमिकता है. अगर हम कुएं से अधिक मिट्टी खोदते हैं, तो हमें बेहतर गुणवत्ता वाला पानी मिलता है. इसलिए, हमारे बच्चे भी खुदाई में हमारे साथ शामिल होते हैं. बच्चे भी अपने दिन का एक लंबा समय कुए की मिट्टी खोदने में बिताते हैं.
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, सीतावाला फलिया में बोरवेल है, लेकिन उसमें पानी नहीं आता. वहीं एक और बोरवेल गांव से दो किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी पर स्थित है. जयंती भील ने कहते हैं, "हमारे लिए हर दिन असमान पहाड़ी इलाकों के माध्यम से कच्ची सड़कों पर 5 किमी की यात्रा करना संभव नहीं है. इसलिए, हमारे पास हमारे इलाके के पास कुआं खोदने के अलावा कोई विकल्प नहीं है."