दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में एक वकील की हरकत पर कड़ी नाराज़गी जताई, जिसने सुनवाई के दौरान अपने मुंह पर टेप लगाकर अदालत में दस्तक दी. वकील का कहना है कि पिछली सुनवाई में उन्हें चुप करा दिया गया था. इसलिए वह मुंह पर टेप लगाकर खुद ही आएं है. यह एक तरीके का उनका विरोध जताने का तरीका है जो उनके साथ पिछली सुनवाई में हुआ.
एक मामले की सुनवाई में 1 दिसंबर को अवमानना याचिका और उससे जुड़ी रिट याचिका पर बहस हो रही थी, उस समय याचिकाकर्ता के वकील आर. के. सैनी लाल टेप लगाकर अदालत में आए. जस्टिस नितिन सांबरे और अनिश दयाल ने पहले सोचा कि शायद उन्हें चोट लगी है, लेकिन सैनी ने बताया कि यह उनका प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन है.
मुझे बोलने नहीं दिया गया था!
सैनी का कहना था कि पिछली दो सुनवाईयों में उन्हें लगातार रोका गया और वे अपनी दलीलें पूरी तरह पेश नहीं कर पाए. इसलिए उन्होंने इस बार विरोध जताने के लिए मुंह पर टेप लगाया है. अदालत ने अपने आदेश में इस काम को पूरी तरह वकील के पेशे के अनुकूल नहीं बताया. बेंच ने स्पष्ट किया कि उन्होंने केवल इसलिए वकील को अपनी दलीलें रोकने को कहा था, क्योंकि वे बहुत लंबी और दोहराव वाली होती जा रही थीं, और अदालत को विपक्ष की दलीलें भी सुननी थीं.
कार्रवाई से परहेज़, मगर नाराज़गी दर्ज
कोर्ट ने कहा कि ऐसे व्यवहार पर कार्रवाई हो सकती थी, लेकिन सैनी के 25+ साल के अनुभव को देखते हुए उन्होंने कोई औपचारिक कदम नहीं उठाया. बेंच ने कहा कि हम उनके लंबे अनुभव का सम्मान करते हुए कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, लेकिन उनकी यह हरकत पूरी तरह अनुचित और अपमानजनक है. जबकि आर. के. सैनी का कहना है कि मुझे प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया था.
42 साल के अनुभव वाले सैनी, जिन्हें दिल्ली हाई कोर्ट में पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) की अवधारणा शुरू करने का श्रेय दिया जाता है, ने अपना पक्ष बताते हुए कहा कि पिछली सुनवाई में उन्हें लगभग हटा दिया गया था. उन्होंने दावा किया कि वे दोहराव वाली बातें नहीं कर रहे थे, बल्कि सिर्फ यह अनुरोध किया था कि मामले को दिसंबर के पहले सप्ताह में सूचीबद्ध किया जाए. सैनी का कहना है कि उन्हें बिना किसी चेतावनी प्रक्रिया से अलग कर देना, सहभागिता रोकने जैसा है.