scorecardresearch

Dhanbad: धनबाद के इस आश्रम में रहते थे शिबू सोरेन, रसोइए ने बताया किस्सा

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन का 81 साल की उम्र में निधन हो गया. टुंडी का पोखरिया आश्रम शिबू सोरेन के संघर्षो का गवाह है. शिबू सोरेन के लिए खाना बनाने वाले ननकू मुर्मू ने उनके बारे में बताया.

Pokhariya Ashram in Tundi Pokhariya Ashram in Tundi

लंबे समय से बीमार चल रहे दिशोम गुरु शिबू सोरेन की दिल्ली के सर गंगा अस्पताल में निधन हो गया. उनके निधन के बाद शोक की लहर दौड़ गई है. टुंडी के पोखरिया आश्रम उनके संघर्षों का गवाह रहा हैं. पोखरिया आश्रम में ही ननकू मुर्मू ना सिर्फ उनके साथी के रूप में थे, बल्कि उनके लिए रसोइया का भी काम करते थे. शिबू सोरेन के लिए ननकू मुर्मू खाना बनाने का काम करते थे. आश्रम में उनकी देखभाल का जिम्मा ननकू मुर्मू पर ही था. उन्होंने शिबू सोरेन से जुड़ी यादों को साझा किया.

पोखरिया आश्रम में रहते थे दिशोम गुरू-
ननकू मुर्मू ने कहा कि पोखरिया आश्रम में शिबू सोरेन के लिए खाना बनाने का काम करते थे. गुरु जी को कुर्थी का दाल और मुनगा का साग बहुत पसन्द था. उनके लिए यह व्यंजन हर दिन बनाते थे. उनके साथ बिनोद बिहारी महतो और कॉमरेड एके राय भी पहुंचते थे. गांव के ही सूरजू किस्कू, श्याम लाल मुर्मू, भादी मुर्मू समेत कुछ और लोग भी उनकी सेवा में लगे रहते थे. बाहर के कुछ नेता लोग भी आश्रम पहुंचते थे. सैकड़ों लोगों की भीड़ हमेशा आश्रम में रहती थी.

बच्चों की पढ़ाई पर करते थे फोकस- मुर्मू
ननकू मुर्मू ने कहा कि यहां के लोग महाजनी प्रथा में फंसे हुए थे. महाजनों ने जमीन हड़प लिए था, उसे वापस कराने के लिए पहला आंदोलन हुआ. जिसमें महाजनी प्रथा समाप्त हुई. सभी लोग अपनी खेती करने लगे. लोकसभा और विधायक का चुनाव लड़ने के लिए जोड़ा पत्ता में खड़ा हुए थे. लेकिन टुंडी के आदमी जीत नहीं दिला सके. इसके बाद दुमका चले गए. दुमका से सांसद और विधायक के लिए चुने गए. दुमका से ही मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे. साल 1971-72 में ही टुंडी पलमा को अपना गढ़ बनाया था. पोखरिया आश्रम उन्होंने ही बनाया था. उनका राजनीतिक जीवन और आंदोलन पोखरिया से ही शुरू हुआ था. उन्होंने बताया कि वह बच्चों को पढ़ाने में पर विशेष जोर देते थे. वह अक्सर बच्चों को पढ़ाने के लिए कहते रहते थे.

ननकू की पत्नी मुनिका देवी ने बताया कि पति से कभी हमे एतराज नहीं हुआ. वह हमेशा गुरुजी की सेवा में लगे रहते थे. मैं अपने बच्चों और सास ससुर की सेवा में लगे रहते थे.

(सिथुन मोदक की रिपोर्ट)

ये भी पढ़ें: