
Delhi Fire Safety Rules: दिल्ली के मुंडका मेट्रो स्टेशन के पिलर नंबर 544 के पास स्थित एक चार मंजिला इमारत में शुक्रवार रात आग लगने से कई लोगों की मौत हो गई. जिसमें प्राथमिक जांच में पुलिस को पता चला है कि बिल्डिंग के ओनर के पास फायर एनओसी (Fire No Objection Certificate) नहीं था. हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं था कि किसी बिल्डिंग के पास एनओसी नहीं है और वहां दुर्घटना न हुई हो. बीते कुछ समय से कई ऐसी बिल्डिंग में आग लगने की खबरें सामने आई है जिनके पास फायर एनओसी नहीं था. लेकिन आखिर ये है क्या? चलिए जानते हैं कि आखिर दिल्ली में इसे लेकर क्या नियम हैं?
फायर एनओसी क्या है?
दरअसल, फायर नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट किसी भी राज्य या नगर पालिका के फायर डिपार्टमेंट अथॉरिटी द्वारा जारी किया जाता है. इस डॉक्यूमेंट का मतलब होता है कि वह इमारत (आवासीय या कमर्शियल) आग प्रतिरोधी (Fire Resistant) है और किसी भी आग की दुर्घटना को रोकने के लिए कानून में जो भी मानदंड निर्धारित किये गए हैं उन्हें पूरा करती है.
ये एक तरह का कन्फर्मेशन है कि जिस भी इमारत को यह इश्यू किया जा रहा है, उसमें अगर आग लगने जैसी दुर्घटनाएं होती हैं तो जानमाल को नुकसान होने की संभावना नहीं है. आमतौर पर ये तब इश्यू किया जाता है जब बिल्डिंग या इमारत का निर्माण हो रहा होता है. इसे समय-समय पर रेन्यू भी किया जाता है.
दिल्ली में कौन जारी करता है फायर एनओसी?
दरअसल, फायर सर्टिफिकेट के अपने कई नियम होते हैं, जैसे अगर बिल्डिंग में लिफ्ट लगी है तो वहां सीढ़ियां होनी चाहिए. ताकि आग लगे तो बाहर जाया जा सके आदि. दिल्ली का स्टेट फायर डिपार्टमेंट इस सर्टिफिकेट को इश्यू करता है. इसमें वे उन गतिविधियों का निरीक्षण करते हैं, जो एक इमारत में आग दुर्घटना का कारण बन सकती हैं.
कितनी होती है पेनल्टी?
आपको बता दें, हर राज्य में ये जुर्माना अलग-अलग होता है. दिल्ली फायर सर्विस एक्ट, 2007 के मुताबिक, अगर कोई अपनी बिल्डिंग के लिए इस सर्टिफिकेट को नहीं लेता है तो उसे धारा 37, 49 और 52 के तहत तीन से छह महीने की कैद और 1,000 रुपये से लेकर 50,000 तक जुर्माना भरना पड़ सकता है.
क्या सभी बिल्डिंग के लिए ये जरूरी होता है?
हालांकि, हर प्रकार की बिल्डिंग के लिए फायर एनओसी नहीं चाहिए होता. दिल्ली फायर सर्विस रूल्स 2010 में इसके बारे में बताया गया है. कौन सी इमारतों के लिए जरूरी होता है एनओसी
1. रेजिडेंशियल बिल्डिंग (होटल और गेस्ट हाउस के अलावा) जिसकी ऊंचाई 15 मीटर से ज्यादा या ग्राउंड+ चार फ्लोर हों.
2. 12 मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाले होटल और गेस्ट हाउस जिनमें ग्राउंड प्लस तीन ऊपरी मंजिलें शामिल हैं, जिनमें मेजेनाइन फ्लोर भी शामिल है.
3. शैक्षिक भवन जिनकी ऊंचाई 9 मीटर से ज्यादा हो या जिनमें ग्राउंड प्लस दो ऊपरी मंजिलें हों. इसमें भी मेजेनाइन फ्लोर शामिल है.
4. इंस्टीट्यूशनल बिल्डिंग जिनकी ऊंचाई 9 मीटर से अधिक या ग्राउंड प्लस दो ऊपरी मंजिलें हैं और जिसे मेजेनाइन फ्लोर हो.
5. सभी असेंबली बिल्डिंग.
6. बिजनेस बिल्डिंग जिसके ऊंचाई 15 मीटर से अधिक हो या जिनमें ग्राउंड प्लस चार ऊपरी मंजिलें हों.
7. मर्केंटाइल बिल्डिंग जिनकी ऊंचाई 9 मीटर से अधिक या ग्राउंड प्लस दो ऊपरी मंजिलें हैं.
8. अंडरग्राउंड स्ट्रक्चर.
साल 2019 में कई नियमों में किया गया था बदलाव
आपको बता दें, 2019 में करोल बाग के एक होटल में आग लग गई थी. 12 फरवरी को करोल बाग के होटल अर्पित पैलेस में लगी भीषण आग में 17 लोगों की मौत हो गई थी. जिसके बाद दिल्ली में नए फायर सेफ्टी नियम लागू किये गए थे दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने इन्हें जारी करते हुए दिल्ली फायर सर्विस को सभी भवनों के कोचिंग सेंटरों के इंस्पेक्शन के आदेश दिए थे.
इन नए नियमों में कहा गया था, "किसी भी छत बेसमेंट में किचन बनाने की अनुमति नहीं होगी. साथ ही किसी तरह का कोई भी खाना छत या बेसमेंट पर नहीं बनाया जाएगा. इसके अलावा, कोई भी जलने वाला सामान छत या छत पर किसी भी अस्थायी छत की अनुमति नहीं होगी.”
फायर डिटेक्टर और फायर अलार्म जरूरी
आपको बता दें, दिल्ली फिर सर्विस के मानकों के अनुसार, इमारतों में कार्बन मोनोऑक्साइड फायर डिटेक्टर और अलार्म लगाने का भी प्रावधान है. इसके साथ छत पर कोई भी जलने वाली सामग्री के भंडारण पर प्रतिबंध लगाने के अलावा इमारतों में सीढ़ियों और कॉरिडोर के लिए उचित एयर वेंटिलेशन की भी बात कही गयी है.
साथ ही साथ, नियमों में ये भी कहा गया है कि अगर किसी बिल्डिंग के फ्लोर पर 10 से ज्यादा लोग हैं तो हर फ्लोर पर एक फायर सेफ्टी डोर होना चाहिए.
कितनी स्टेज में मिलता है एनओसी?
दिल्ली फायर सर्विस नियम, 2010 के नियम 27 के तहत दो चरणों में एनओसी मिलता है. इसमें पहला चरण, बिल्डिंग के बनने से पहले का होता है. जिसमें बिल्डिंग प्लान को मंजूरी दी जाती है और फायर सेफ्टी रिकमेन्डेशन इश्यू होती है. वहीं दूसरा चरण, कंस्ट्रक्शन खत्म होने के बाद का होता है. जिसमें सभी तरह के सेफ्टी मेजर बिल्डिंग में इंस्टॉल कर दिए जाते हैं.
कितने समय तक का होता है एक सर्टिफिकेट?
आपको बता दें, फायर सेफ्टी के नियम 35 के मुताबिक, रेजीडेंशियल बिल्डिंग (होटल के अलावा) के लिए ये टाइम 5 साल का है. 5 साल के बाद एक बार फिर बिल्डिंग के सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई करना पड़ता है. वहीं गैर-आवासीय बिल्डिंग के लिए ये अवधि 3 साल की होती है.
एक और बात अगर ये सर्टिफिकेट किसी बिल्डिंग के पास नहीं होता है तो इसका पूरा जिम्मेदार उस बिल्डिंग का मालिक होता है, जिसपर कार्रवाई हो सकती है.
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