

देवानंद का ये गाना तो आपने सुना ही होगा, "चूड़ी नहीं ये मेरा दिल है". सच बात है, चाहे पुरुष हो या महिला, सुंदर चूड़ियां सभी का मन मोह लेती हैं. चूड़ियां महिलाओं के श्रृंगार का एक अहम हिस्सा होती हैं. चूड़ियों के शहर फिरोजाबाद में हर दिन लाखों चूड़ियां बनाई जाती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं फैक्ट्री में सिर्फ चूड़ियां बनाई जाती हैं इन्हें मोती और स्टोन से सजाने का काम छोटे-छोटे कमरों में यहां की महिलाएं करती हैं.
एक दिन में दर्जनों चूड़ियों पर करती हैं काम
दरअसल फैक्ट्री से बनकर आने वाली चूड़ियां पूरी तरह से तैयार नहीं होती इसलिए इन चूड़ियों को रंग और रूप देने का काम ये महिलाएं करती हैं. यहां पर हर सातवें घर में चूड़ियां सजाने का काम किया जाता है. चूड़ियां जैसे ही फैक्ट्री से बनकर आती हैं उसके बाद उन पर केमिकल और कलर के मिश्रण को चढ़ाया जाता है. रंग चढ़ाने के बाद इस पर महिलाएं कलाकारी का काम करती हैं. इस पर अलग-अलग तरह के मोती, नाक और कान के छोटे-छोटे टुकड़े लगाए जाते हैं. यह महिलाएं एक दिन में दर्जनों चूड़ियों पर कलाकारी का काम करती हैं. लेकिन चूड़ियों पर रंग चढ़ा रही महिलाओं की जिंदगी थोड़ी फीकी नजर आती है.
200-250 रुपए ही होती है कमाई
महिलाएं बताती हैं कि वो जितना भी काम करती हैं उतना पैसा उन्हें नहीं मिल पाता है. वह मुश्किल से 1 दिन के 200 से 250 रुपए ही कमा पाती हैं. वे निराश हैं क्योंकि उन्हें सरकार की तरफ से न राशन मिलता है ना किसी तरह की आर्थिक सहायता मुहैया कराई जाती है. यहां काम कर रही महिलाओं का कहना है कि सरकार द्वारा लाई गई योजनाओं का लाभ उन्हें अब तक नहीं मिल पाया है. वे चाहती हैं कि फिरोजाबाद और पूरे उत्तर प्रदेश में एक ऐसी सरकार आए जो उनके हित के लिए काम करें.