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Unknown Facts : भारत के इस हिल स्टेशन में रोज दोपहर में होती है बारिश, यहीं पर गिरी थी माता सती की आंख

नैनीताल हमेशा से ही अपनी सुंदरता के लिए लोकप्रिय है. यहां लाखों लोग दुनियाभर से छुट्टियां बिताने पहुंचते हैं. यात्रियों के लिए यहां कई स्पॉट आकर्षण का केंद्र रहे हैं लेकिन, यहां से जुड़ी कई ऐसी बाते हैं, जो आपको भी मालूम नहीं होंगी.

नैनीताल नैनीताल
हाइलाइट्स
  • नैनीताल में कैसे गिरी थी माता सती की आंख

  • अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी था नैनीताल

भारत में कई ऐसी जगह हैं, जिहां से जुड़ी कई बातों के बारे में बेहद कम लोगों को मालूम है. इनमें से एक है देवभूमि उत्तराखंड का नैनीताल शहर. होने को यह काफी फेमस है लेकिन, यहां से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं, जिनसे आज भी लोग अंजान हैं. चलिए आपको बताते हैं नैनीताल से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें, जिन्हें जानकर आप हैरान भी हो सकते हैं. 

नैनीताल हमेशा से ही अपनी सुंदरता के लिए लोकप्रिय है. यहां लाखों लोग दुनियाभर से छुट्टियां बिताने पहुंचते हैं. यात्रियों के लिए यहां कई स्पॉट आकर्षण का केंद्र रहे हैं लेकिन, क्या आपको पता है कि पौराणिक मान्यता के अनुसार प्राचीन काल में नैनीताल के एक स्थान पर महर्षि अत्रि, पुलस्त्य और पुलह ने तपस्या की और मानसरोवर से जल लाकर एक सरोवर का निर्माण किया था, जिसे त्रिऋषि सरोवर कहा जाता था और आज उसी सरोवर को नैनी झील के नाम से जाना जाता है. 

नैनीताल में कैसे गिरी थी माता सती की आंख 

इतना ही नहीं इस पवित्र झील के एक सिरे पर मां नैना देवी का मंदिर है, कहा जाता है कि इसका नाम भी हिंदू शास्त्रों के अनुसार ही रखा गया है क्योंकि, राजा दक्ष की बेटी सती का विवाह शिव से हुआ था लेकिन, दक्ष को शिव पसंद नहीं है. यही कारण था कि उन्होंने जब एक यज्ञ का आयोजन किया था तब शिव और सती को आमंत्रित नहीं किया था, जिससे सती को गुस्सा आ गया और उन्होंने यज्ञ को असफल बनाने के लिए उन्होंने अग्नि में छलांग लगा दी. 

इस बात की खबर जब शिव को हुई तो वह गुस्से में वहां पहुंचे और सती के जलते हुए शरीर को उठाकर दुनियाभर में घूमाने लगे. इस तरह जहां-जहां सती के शरीर अंग गिरे, वहां 'शक्तिपीठ' स्थापित कर दिए गए. जहां अब नैनीताल स्थित है, माना जाता है कि वहां सती की बायीं आंख गिरी थी. 

नैनीताल थी अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी

ब्रिटिश राज के दौरान नैनीताल में सबसे ज्यादा अंग्रेज आना पसंद करते थे. यही कारण है कि आज भी नैनीताल में आपको कोई न कोई अंग्रेस वहीं रहता हुआ मिल जाएगा. नैनीताल हमेशा से ही अंग्रेजों की पहली पसंद रहा था. यही कारण था कि यह उनकी ग्रीष्मकालीन राजधानी थी. वह अक्सर गर्मी से बचने के लिए यहां आया करते थे. इसका कारण था नैनीताल में ठंड ज्यादा पड़ना. अभी भी अंग्रेज अक्सर छुट्टियों में यहां आना पसंद करते हैं. 

नैनीताल में रोज दोपहर में होती है बारिश

जी हां, नैनीताल में हर दिन दोपहर में बारिश होती है. झील उत्तरी छोर पर होने के कारण यहां लगभग हर दोपहर बारिश होती है. हालांकि, यह बारिश बहुत तेज नहीं होती है. कभी-कभी केवल बूंदाबांदी होकर भी बंद हो जाती है. 

सबसे पुराना गोल्फ कोर्स 

नैनीताल के ज्योलिकोट में भारत का सबसे पुराना 18 होल्स का गोल्फ कोर्स है. यह गोल्फ कोर्स वर्ष 1926 से है, हालांकि, गोल्फ कोर्स को सार्वजनिक उपयोग के लिए साल 1994 से उपलब्ध कराया गया था. 

 

दो मॉल रोड

भारतीय हिल स्टेशनों में मॉल रोड की अवधारणा असामान्य नहीं है. हालांकि, नैनीताल में मॉल रोड के बारे में कुछ खास है क्योंकि ज्यादातर लोगों को केवल एक मॉल रोड के बारे में जानकारी है लेकिन, यहां दो मॉल रोड हैं, अपर मॉल और लोअर मॉल. अपर मॉल रोड विशेष रूप से ब्रिटिश निवासियों के लिए बनाया गया था और लोअर माल रोड भारतीयों के लिए था. भारतीयों को अपर मॉल रोड में जाने से मनाही थी. 

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