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Popular Front of India: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की कैसे हुई शुरुआत, जानिए क्या है इसका इतिहास

Popular Front of India: देशभर में लगभग एक साथ छापेमारी में, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देश में आतंकी गतिविधियों का कथित रूप से समर्थन करने के आरोप में 11 राज्यों में पीएफआई के 100 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया. बता दें कि, इससे पहले भी कई बार पीएफआई सुर्खियों में रहा है. जानिए क्या है PFI और इसकी शुरुआत कैसे हुई..

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हाइलाइट्स
  • पीएफआई अध्यक्ष ओएमए सलाम की हुई गिरफ्तारी

  • PFI के 100 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को आतंकी फंडिंग के संदिग्धों के खिलाफ देशव्यापी छापेमारी की और 100 से अधिक पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया. पीएफआई अध्यक्ष ओएमए सलाम और प्रदेश अध्यक्ष सीपी मुहम्मद बशीर को मलप्पुरम के मंजेरी से हिरासत में लिया गया. जांच एजेंसी ने गुरुवार सुबह साढ़े तीन बजे ओखला से दिल्ली पीएफआई प्रमुख परवेज अहमद और उनके भाई को भी गिरफ्तार किया.

अमित शाह ने की बैठक

अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बैठक की, जिसमें पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया से जुड़े परिसरों में चल रही तलाशी और आतंकी संदिग्धों के खिलाफ कार्रवाई पर चर्चा हुई. बैठक में एनएसए, गृह सचिव, डीजी एनआईए सहित बड़े अधिकारी मौजूद थे.

बता दें कि एनआईए ने 19 सितंबर को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में छापेमारी के बाद चार आरोपियों की गिरफ्तारी के संबंध में एक रिमांड रिपोर्ट दायर की थी. रिपोर्ट से पता चला है कि पीएफआई आतंकवादी गतिविधि की साजिश रचने की कोशिश कर रहा है और पीएफआई कार्यकर्ताओं को एक विशेष धर्म के लोगों की पहचान करने और उन्हें मारने का प्रशिक्षण दे रहा है.

आज देश के कई स्थानों पर छापे मारे गए हैं. एनआईए ने इसे 'अब तक की सबसे बड़ी' जांच प्रक्रिया करार दिया. जांच एजेंसी ने दस राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में छापेमारी की और 106 लोगों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तारियां आंध्र प्रदेश (5), असम (9), दिल्ली (3), कर्नाटक (20), केरल (22), मध्य प्रदेश (4), महाराष्ट्र (20), पुडुचेरी (3), राजस्थान (2)तमिलनाडु (10) और उत्तर प्रदेश (8) से की गईं.

कैसे हुई पीएफआई की शुरुआत और क्या है इतिहास?

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की स्थापना वर्ष 2006 में हुई. पीएफआई के लिए केरल से नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (एनडीएफ), कर्नाटक से फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु से मनिता नीति पसरई साथ में आए. ऐसी कई रिपोर्टें आई हैं जो बताती हैं कि पीएफआई देश में आतंकी फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथ के तरफ भटकाने में शामिल रहा है. यह भी आरोप है कि जब भारत में आतंकी संगठन सिमी पर प्रतिबंध लगा था, तो उसके सदस्य पीएफआई में शामिल हो गए थे. PFI पर शुरू से ही सांप्रदायिक दंगे भड़काने और नफरत का माहौल बनाने के आरोप लगते रहे हैं. 2014 में केरल उच्च न्यायालय में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत एक हलफनामे के अनुसार, पीएफआई कार्यकर्ता केरल में 27 राजनीतिक हत्याओं और 106 सांप्रदायिक घटनाओं के लिए जिम्मेदार थे.

पीएफआई दावा करता है कि उसकी देश के 23 राज्यों में इकाइयां है. संगठन देश में मुसलमानों और दलितों के लिए काम करता है. और मध्य पूर्व के देशों से आर्थिक मदद भी मांगता है. जिससे उसे अच्छी-खासी फंडिंग मिलती है.पीएफआई का मुख्यालय कोझीकोड में था, लेकिन लगातार विस्तार के कारण इसका सेंट्रल ऑफिस दिल्ली में खोल दिया गया.

बता दें कि, PFI की अपनी यूनिफॉर्म भी है. हर साल 15 अगस्त को PFI फ्रीडम परेड का आयोजन करता है. 2013 में केरल सरकार ने इस परेड पर रोक लगा दी थी. क्योंकि पीएफआई के यूनिफॉर्म में पुलिस की वर्दी के तरह सितारे और एम्बलम लगे हैं.

विवादों से रहा है नाता

मई 2022 में, ईडी ने 22 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पीएफआई के दो चरमपंथियों अब्दुल रजाक पीडियाक्कल उर्फ ​​अब्दुल रजाक बीपी और अशरफ खादिर उर्फ ​​अशरफ एमके के खिलाफ 'अभियोजन का मामला' दर्ज किया था. चार्जशीट के अनुसार, पीएफआई के इन नेताओं ने केरल के मुन्नार में विदेशों में अर्जित धन को सफेद करने और संगठन की 'कट्टरपंथी गतिविधियों' का समर्थन करने के लिए एक व्यवसाय स्थापित किया. यह भी दावा किया जाता है कि ये नेता पीएफआई द्वारा एक कथित 'आतंकवादी समूह' के गठन में शामिल थे.

ईडी के अनुसार, दोनों पीएफआई सदस्य अंशद बधारुद्दीन को 3.5 लाख रुपये (अगस्त 2018 से जनवरी 2021 तक) के भुगतान से भी संबंधित हैं, जिन्हें पिछले साल उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद विरोधी दस्ते ने पीएफआई सदस्य फिरोज खान के साथ पकड़ा था.अधिकारियों ने उनके पास से घरेलू विस्फोटक उपकरण, एक 32-बोर की पिस्तौल और सात जिंदा गोलियां बरामद कीं.

इस ऑपरेशन की कैसे की गई प्लानिंग?

बता दें कि छापेमारी दोपहर एक बजे शुरू हुई. छापेमारी में एनआईए के कम से कम 200 जवान शामिल थे. जिनमें 4 आईजी, 1 एडीजी, 16 एसपी शामिल थे. राज्य पुलिस और सीएपीएफ की भारी तैनाती थी. निगरानी के लिए 6 कंट्रोल रूम बनाए गए थे. गृह मंत्रालय (एमएचए) में कमांड कंट्रोल सेंटर स्थापित किया गया था. 200 से अधिक संदिग्धों के सभी डोजियर संबंधित टीम को सौंपे गए. 200 से अधिक मोबाइल, 100 लैपटॉप और आपत्तिजनक सामग्री जिसमें दस्तावेज, दृष्टि दस्तावेज, नामांकन फॉर्म और बैंक विवरण शामिल हैं, उसे जब्त किया गया. एक सप्ताह से अधिक समय तक सभी संदिग्धों की रेकी की गई और संबंधित स्थानों पर स्पॉटर बनाए गए.