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पंजाब के मलेरकोटला की मुस्लिम महिलाएं हर घर तिरंगा मुहिम के लिए अपने घरों में बना रही हैं तिरंगे झंडे, देश के कोने-कोने में पहुंचा रही हैं अपना काम

पंजाब के मलेरकोटला के सभी घरों में तिरंगा झंडा बनाया जा रहा है. ये तिरंगा झंडा मुस्लिम महिलाएं 'हर घर तिरंगा' अभियान के लिए बना रही हैं. बता दें, मलेरकोटला एक मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है. इस जगह से तिरंगा झंडा के आर्डर पुणे, मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों से आ रहे हैं.

Har Ghar Tiranga Har Ghar Tiranga
हाइलाइट्स
  • मलेरकोटला है मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र 

  • बेरोजगारी के बीच मिला महिलाओं को काम 

केंद्र सरकार की ओर से हर घर तिरंगा एक मुहिम चलाई गई है. इसके तहत 13 अगस्त से 15 अगस्त तक देश के 75 वे साल में अमृत उत्सव पर हर घर की छत के ऊपर देश का तिरंगा झंडा लहराने के लिए कहा गया है. इसी कड़ी में अब पंजाब का मलेरकोटला अपना अहम योगदान डाल रहा है. आमतौर पर हिंदू-मुस्लिम-सिख सांप्रदायिकता को लेकर खबरों में रहने वाली इस जगह की मुस्लिम महिलाएं अपनी अनूठी पहचान बना रही हैं.  

मलेरकोटला है मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र 

इन दिनों पंजाब के मलेरकोटला और इसकी तंग गलियों में निकलेंगे तो आपको हर कोई व्यस्त नजर आएगा. जो महिलाएं अक्सर घर का दूसरा काम करती दिखाई देती हैं, खाना बनाती दिखाई देती हैं, आज आपको उनके हाथों में सिर्फ देश का तिरंगा मिलेगा. 

दरअसल, मलेरकोटला में सबसे ज्यादा आबादी मुस्लिम समुदाय के लोगों की है. लेकिन आज इस शहर के छोटे-छोटे घरों में देश की आन बान शान तिरंगा झंडा बन रहा है. और ये और कोई नहीं बल्कि यहां की महिलाएं बना रही हैं. कोई अपने छोटे से घर के एक कोने में तिरंगा बना रही हैं, तो कोई महिला अपने घर की छत के ऊपर दूसरी महिलाओं के साथ इकट्ठा होकर तिरंगा बनाने का काम कर रही हैं. बता दें, इसमें स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियां भी हैं और बुजुर्ग महिलाएं भी.

महिलाओं को मिल रहा है रोजगार 

जहां इस पहल से देश के हर घर की छत पर तिरंगा होगा वहीं इन महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है. ये महिलाएं काफी खुश हैं कि उनके घर से सिला हुआ झंडा देश के कई कोने में किसी की छत के ऊपर लहराने वाला है. उन्हें बहुत खुशी है कि वह देश के हर घर तिरंगा मुहिम में अपना योगदान दे रही हैं.

1500 से 2000 महिलाएं कर रही हैं काम 

मलेरकोटला के निवासी इबाद अली राणा का कहना है कि वह सेना के लिए झंडे और बेंच बनाने का काम करते हैं और इस बार उन्हें मलेरकोटला में बड़ी संख्या में तिरंगे झंडे के ऑर्डर मिल रहे हैं. इबाद के मुताबिक, उनके पास ढाई लाख झंडों ऑर्डर हैं और उन्होंने करीब एक लाख झंडे की आपूर्ति की है. इसके साथ वे आगे के ऑर्डर तैयाररी कर रहे हैं. उनका कहना है कि वे मुंबई, पुणे और दिल्ली को झंडे की सप्लाई कर रहे हैं. झंडा तैयार करने के लिए पहले इसे घर में महिलाओं द्वारा तैयार किया जाता है और उसके बाद मशीन पर उसके सफेद हिस्से ऊपर अशोक चक्र बनता है. 

इबाद अली का कहना है कि मलेरकोटला की करीब पंद्रह सौ से दो हजार महिलाएं पिछले एक महीने से काम कर रही हैं और उनकी अच्छी कमाई हो रही है. वे कहते हैं, “हमारे पास पहले जो सिर्फ 500 से लेकर 1000 झंडे का ही आर्डर होता था अब लाखों में आ रहे है. हमारे पास 300 से लेकर 1200 तक का झंडे हैं. मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है कि मलेरकोटला द्वारा बनाया गया झंडा इस बार यह पूरे देश में सरकारी भवनों और लोगों के घरों पर झूलने वाला है.” 

निवासियों को है काफी गर्व 

एक अन्य निवासी शहनाज ने बात करते हुए कहा कि पहले वह अपने घर में सिलाई और कढ़ाई का काम करते थे. लेकिन इस बार उन्हें रोजगार में काफी मदद मिली क्योंकि बड़ी मात्रा में उन्हें तिरंगा झंडा तैयार करने का आदेश मिला है. शहनाज कहते हैं, “हम व्यस्त है और हम सुबह से शाम तक लगभग 150 से 200 पीस तैयार करते हैं, जिसके लिए हमें अलग-अलग रेट मिलते हैं. हमें बहुत गर्व महसूस हो रहा है कि हमने अपने देश का झंडा तैयार किया है.” 

बेरोजगारी के बीच मिला महिलाओं को काम 

मलेरकोटला की महिलाएं घरों में सिलाई और कढ़ाई का काम करती थीं. इस काम के मिलने के बाद वे सभी अल्लाह का शुक्रिया अदा करती हैं कि उन्हें बेरोजगारी के बीच ये काम मिला. ऐसे में शुक्रिया नाम की महिला बताती हैं, “मेरे पास पांच लगभग महिलाएं काम करती हैं. तिरंगा बनाने के लिए मैं हूं और अन्य महिलाएं हैं, हम सभी के लिए मैं खुश हूं.”

आज मलेरकोटल के हर घर में महिलाएं तिरंगा बना रही हैं और शुक्रिया का भी मानना ​​​​है कि उन्हें गर्व होगा कि उनका तिरंगा 15 अगस्त को हर घर के लटका होगा. उनके मुताबिक इससे आने वाले समय में हिन्दू-मुसलमानों के बीच दूरियां कम हो जाएंगी. 
  
(विक्की भुल्लर की रिपोर्ट)