Nizam Mukarram Jah Bahadur (Photo Twitter)
Nizam Mukarram Jah Bahadur (Photo Twitter) हैदराबाद रियासत के आखिरी निजाम नवाब मीर बरकत अली खान वालाशन मुकर्रम जाह बहादुर का तुर्की के इस्तांबुल में निधन हो गया. वे पिछले एक दशक से तुर्की में रह रहे थे. वे भारत से ऑस्ट्रेलिया गए थे, उसके बाद तुर्की में जाकर रहने लगे थे. आइए मुकर्रम जाह की जीवन से जुड़ी रहस्यमय कहानियों के बारे में जानते हैं.
मुकर्रम जाह का जन्म 6 अक्टूबर, 1933 को मीर हिमायत अली खान उर्फ आजम जाह बहादुर के घर हुआ था. नवाब मीर बरकत अली खान को प्रिंस का दर्जा 1954 में उनके दादा व तत्कालीन हैदराबाद रियासत के सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान दिया था. तब से उन्हें हैदराबाद के आठवें और आखिरी निजाम के रूप में पहचाना जाता है.
तुर्की के सुल्तान की बेटी थीं मां
मुकर्रम जाह की मां राजकुमारी दुर्रू शेवर तुर्की के अंतिम सुल्तान (ओटोमन साम्राज्य) सुल्तान अब्दुल मजीद द्वितीय की बेटी थीं. प्रिंस मुकर्रम जाह को आधिकारिक तौर पर 1971 तक हैदराबाद का राजकुमार कहा जाता था, उसके बाद सरकार द्वारा खिताब और प्रिवी पर्स को समाप्त कर दिया गया था.सातवें निजाम ने अपने पहले बेटे प्रिंस आजम जहां बहादुर के बजाय अपने पोते को गद्दी का उत्तराधिकारी बनाया था.1967 में हैदराबाद के अंतिम पूर्व शासक के निधन पर मुकर्रम जाह आठवें निजाम बने थे.
अपार संपत्ति विरासत में मिली थी
जाह भारत से पहले ऑस्ट्रेलिया गए थे, उसके बाद तुर्की में जाकर रहने लगे. हालांकि हैदराबाद के लोगों को उम्मीद थी कि राजकुमार मुकर्रम जाह बहुत कुछ करेंगे, खासकर गरीबों के लिए क्योंकि उन्हें अपने दादा से अपार संपत्ति विरासत में मिली थी. जो एक समय में दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति थे. हालांकि, ऐसा नहीं हुआ. मुकर्रम ने ऑस्ट्रेलिया में एक एस्टेट खरीदा था. अय्याशी में निजाम ने धीरे-धीरे हैदराबाद का खजाना खाली करना शुरू कर दिया था.
राजकुमारी इसरा से की थी पहली शादी
मुकर्रम जाह ने पांच शादियां कीं लेकिन सभी असफल रहीं. बेगम से तलाक के लिए उन्हें मोटी अदायगी करनी पड़ी. पहली शादी 1959 में तुर्की की राजकुमारी इसरा से की थी. एक इंटरव्यू में राजकुमारी इसरा ने बताया था कि वह हमेशा शहर के लिए कुछ करना चाहती थी, लेकिन जब उनकी शादी हुई तो थोड़ा मुश्किल था, क्योंकि जीवन बहुत प्रतिबंधित था. हालांकि बाद उनके विशेषाधिकार ले लिए गए और जमीन ले ली गई. राजकुमारी का बाद में तलाक हो गया था.
अंतिम दर्शन के लिए खिलवत पैलेस में रखा जाएगा पार्थिव शरीर
मुकर्रम जाह के पार्थिव शरीर चौमहल्ला पैलेस ले जाया जाएगा. इसके बाद 18 जनवरी 2023 को सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक खिलवत पैलेस में रखा जाएगा, ताकि लोग अंतिम दर्शन कर सकें. राजकुमार मुकर्रम जाह के कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि उन्हें यहां आसफ जाही परिवार के मकबरे पर दफनाया जाएगा. उधर, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि सर्वोच्च राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाए.
भारत में विलय करने वाली 562वीं रियासत
मुकर्रम के दादा उस्मान अली खान चाहते थे कि हैदराबाद पाकिस्तान का हिस्सा हो और 1947 में भारत की आजादी के बाद एक स्वतंत्र देश न हो. निजाम की निजी सेना, रजाकारों ने आतंक के शासन की शुरुआत की. भारतीय सेना को हैदराबाद में तैनात किया गया और कुछ ही दिनों में रजाकारों को हरा दिया. हैदराबाद भारत में विलय करने वाली 562वीं रियासत बन गई.