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55 साल की दिव्या ने पेश की मिसाल...किया मृत बेटी के अंगदान का फैसला....बचाई चार लोगों की जान

दिव्या ने बुधवार को कहा,"डॉक्टरों ने मुझे बताया कि मेरी बच्ची लता ब्रेन डेड हो गई है, वे उसे बचाने के लिए कुछ नहीं कर सकते. उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मैं उसके अंग दान करने के लिए तैयार हो गई तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती है. मैंने हमेशा किसी दिन उसका 'कन्यादान' करने का सपना देखा था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका, कम से कम मैं उसका 'अंगदान' (अंगदान) कर सकती थी.

लता 2016 से बीमार रहने लगी थी. लता 2016 से बीमार रहने लगी थी.
हाइलाइट्स
  • 'कन्यादान' की जगह ‘अंगदान’ ही सही

  • 2016 से थीं बीमार

  • दौरा पड़ने पर किया गया आईसीयू में ट्रांसफर 

  • दिल एम्स के मरीज को किया गया ट्रांसप्लांट 

55 वर्षीय दिव्या देवी ने दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान परिसर के बाहर लगे अंग दान करने के लिए प्रोत्साहित करने वाले होर्डिंग कई बार देखे होंगें. लेकिन, उन्होंने कभी नहीं सोचा होगा कि किसी दिन उन्हें अपनी बेटी के लिए ये फैसला लेना होगा. हालांकि, जब उन्हें यह निर्णय लेना पड़ा, तो दिव्या ने संकोच नहीं किया और चार लोगों की जान बचाने में मदद की.

'कन्यादान' की जगह ‘अंगदान’ ही सही 

दिव्या ने बुधवार को कहा,"डॉक्टरों ने मुझे बताया कि मेरी बच्ची लता ब्रेन डेड हो गई है, वे उसे बचाने के लिए कुछ नहीं कर सकते. उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मैं उसके अंग दान करने के लिए तैयार हो गई तो कई लोगों की जान बचाई जा सकती है. मैंने हमेशा किसी दिन उसका 'कन्यादान' करने का सपना देखा था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका, कम से कम मैं उसका 'अंगदान' (अंगदान) कर सकती थी … इससे कुछ और बच्चे जीवित रह पाएंगे."

2016 से थीं बीमार

लता 2016 से बीमार रहने लगी थी. डॉक्टरों ने कहा था कि उसके मस्तिष्क में तरल पदार्थ का निर्माण हुआ था और बाद में उसके फेफड़ों में टीबी का भी पता चला था जो बाद में उसके मस्तिष्क तक फैल गया. हम सफदरजंग अस्पताल में उसका इलाज करा रहे थे लेकिन उन्होंने लता को एम्स रेफर कर दिया क्योंकि उनके पास बेहतर सुविधाएं थीं. पिछले साल अक्टूबर में एम्स में उसका इलाज शुरू किया गया था.

दौरा पड़ने पर किया गया आईसीयू में ट्रांसफर 

लता के 21 वर्षीय भाई, प्रेम कुमार ने कहा कि वह 10 जनवरी को 19 वर्ष की हुई थी, और इसी समय वो लता के  गुर्दे की पथरी को हटाने के लिए एम्स में सर्जरी की तारीख का इंतजार कर रहे थे, जो कि उनकी न्यूरोलॉजिकल स्थिति से संबंधित नहीं था. परिवार को सर्जरी के लिए इंतजार करने के लिए कहा गया क्योंकि अस्पताल ने राजधानी में कोविड-19 संक्रमण के पीक के कारण सभी वैकल्पिक सर्जरी को रोक दिया था. 4 फरवरी को, उसे दौरा पड़ा और उसे एम्स के आपातकालीन विभाग में ले जाया गया, और दो दिनों के बाद उसे आईसीयू में ट्रांसफर कर दिया गया.

दिल एम्स के मरीज को किया गया ट्रांसप्लांट 

एम्स के डॉक्टरों ने कहा कि लता का दिल एम्स में एक मरीज को सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया गया था, उनके लीवर और एक किडनी को लिवर और पित्त विज्ञान संस्थान को आवंटित किया गया था, और दूसरी किडनी को राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन के माध्यम से राम मनोहर लोहिया अस्पताल भेजा गया. दिव्या ने कहा कि लता को उम्मीद थी कि उनकी लंबी और गंभीर चिकित्सा स्थिति के बावजूद, वह किसी दिन ठीक हो जाएंगी  और अपनी पढ़ाई और पेंटिंग सीखना फिर से शुरू कर पाएंगी.