
जिस ईसाई धर्मांतरण से पूरा पंजाब इस वक्त कराह रहा है वही धर्मांतरण अब उत्तर प्रदेश के पंजाब कहे जाने वाले तराई में भी जोर पकड़ रहा है, पीलीभीत जिसे यूपी की तराई का पंजाब कहते हैं वहां के सिखों के कई गांव में ईसाई धर्मांतरण ने जोर पकड़ लिया है. पीलीभीत के पूरनपुर में स्थानीय गुरुद्वारों ने बाकायदा पुलिस में ये शिकायत दर्ज कराई है कि उन गांव में जहां सिर्फ सिक्खों की आबादी है उसकी बड़ी आबादी को लालच या चंगाई प्रार्थना सभा के जरिए उनका धर्म बदलवाया जा रहा है.
पीलीभीत में बड़े पैमाने पर सिखों का धर्मांतरण
पीलीभीत के बेल्हा के नानक नगरी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने जिले के कलेक्टर और कप्तान को धर्मांतरण करने वाले लोगों की लिस्ट सौंपी है और शिकायती पत्र देकर आरोप लगाया है कि लालच तथा अंधविश्वास के जरिए पीलीभीत में बड़े पैमाने पर सिख को धर्मांतरण कराया जा रहा है. गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी ने आरोप लगाया है कि बेल्हा, बमनपुरी, भागीरथ सिंघाड़ा और टाटरगंज गांव के करीब 3 हजार सिखों ने अपने धर्म बदल लिए हैं. बता दें कि ये सभी गांव सिख बहुल हैं और आरोप है कि 22 हजार की आबादी में 10 फीसदी से ज्यादा अपना धर्म बदल चुके हैं.
कई लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए लालच दिया गया
क्या तराई में धर्मांतरण का खेल चल रहा है! आज तक की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर देखने की कोशिश की कि क्या सचमुच पंजाब की तरह का धर्मांतरण यहां भी शुरू हो चुका है. आज तक की टीम बलहा गांव के उस गुरुद्वारे में पहुंची तो यहां कई लोग जिन्होंने अपनी आपबीती बताई- कई ऐसे लोग मिले जिन्हें धर्म परिवर्तन के लिए लालच दिया गया या फिर जो कन्वर्ट होकर वापस लौट आए. बेल्हा गांव की मनजीत कौर की शिकायत पर धर्म परिवर्तन से जुड़े मामले में 8 नामजद व चार दर्जन अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया गया. पीड़ित महिला का कहना कि उसके पति को ईसाई बना दिया गया और ईसाई मिशनरियां उसको भी जबर्दस्ती ईसाई बनाना चाहती हैं.
आरोप है कि नेपाल के पास्टर नेपाल की सीमा पर मौजूद इन गांव में धर्म परिवर्तन के लिए आते हैं, कई ईसाई मिशनरी के लोग जालंधर लुधियाना और पंजाब से भी आते हैं और यहां सिखों को कन्वर्ट कर रहे हैं. इस गुरुद्वारे के प्रबंधक कमेटी के लोग पिछले कुछ सालों में अचानक से बढ़े धर्मांतरण से खौफ में हैं.
प्रशासन ने अवैध तरीके से बन रहे गिरिजा घर को भी हटवाया
इस गांव के कई घरों में क्रॉस की चिन्ह देखे जा सकते हैं हालांकि शिकायत के बाद प्रशासनिक सख्ती की वजह से कई लोगों ने अपने घरों से क्रॉस के चिह्न को हटा लिया है लेकिन वह खुद को कन्वर्टेड ही मान रहे हैं. प्रशासन ने कुछ दिन पहले अवैध तरीके से बन रहे गिरिजा घर को भी हटवाया. यहां हो रहे इसी कन्वर्जन का अहम पहलू यह है कि यह सिखों को न तो नाम बदलने के लिए कहते हैं ना ही उनकी पगड़ी हटाने के लिए वेशभूषा में यह लोग आज भी सिख ही दिखाई देते हैं लेकिन एक बड़ी तादाद इसी मशीनरींयों के जाल में फंस चुकी है. यहां कई और ऐसे लोग मिले जिनकी कन्वर्जन को लेकर अपनी ही कहानी है यहां लोग बता रहे हैं कि इसी मिशनरियां कैसे कन्वर्ट कर रही हैं.
गुरुद्वारा कमेटिया अब लोगों की घर वापसी भी करा रही हैं. अभी तक 160 लोगों के घर वापसी गुरुद्वारा कमेटी कर चुकी है और अमृतपान के कार्यक्रम को बड़े स्तर पर आयोजित कर रही है. यही नहीं गुरुद्वारा ने ऐसे नौ लोगों की सूची अपने गुरुद्वारा में टांग दी है जो इस इलाके में सिख से क्रिश्चियन बनकर सिख परिवारों को कन्वर्ट कर रहे हैं. यह सूची उनका हुक्का पानी बंद करने के लिए गुरुद्वारे में लगा दिया गया है.
बेल्हा के दो परिवारों की कहानी देखिए लखविंदर सिंह 2 साल पहले कन्वर्ट हो गए थे बेटे की तबियत खराब हुई और ठीक नहीं हो रहा था तो प्रार्थना में जाने लगे लेकिन फिर भी बेटे की हालत नहीं सुधरी तो वापस सिख में लौट आए. लखविंदर सिंह बलजीत की भी यही कहानी है करीब 1साल तक क्रिश्चियन बने रहे लेकिन फिर से सिख बनकर लौट गए.
हालांकि कन्वर्ट हुए कई परिवार खुलकर बात करने को तैयार नहीं थे कि वह क्रिश्चियन बन चुके हैं लेकिन बातचीत में उन्होंने बता दिया कि बीमारी और परेशानी उन्हें यीशु के तरफ खींच कर ले गई है. यह कहानी दलवीर सिंह की है जिसने कहा कि प्रार्थना सुनकर उसकी कैंसर जैसी बीमारी ठीक हो गई, हालांकि वह आज भी धर्म से खुद को अलग नहीं मानता लेकिन अब उसका विश्वास प्रार्थना में है.
धर्मांतरण की शिकायतों की जांच चल रही
पूरनपुर तहसील के SDM अजीत प्रताप सिंह का कहना है कि पूरनपुर का जिला प्रशासन यह नहीं मानता बड़े पैमाने पर किसी धर्मांतरण का कोई षड्यंत्र चल रहा है स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि धर्मांतरण की शिकायतों की जांच उन्होंने की है लेकिन कोई बहुत गंभीर मामला सामने नहीं आया है और अगर कोई अपनी आस्था से किसी प्प्रर्थना सभा में जाता है तो किसी को रोका नहीं जा सकता.
आल इंडिया सिख पंजाबी वेलफेयर कौंसिल के प्रदेश अध्यक्ष हरपाल सिंह ने 2020 से नेपाल से प्रोरेस्टेन्ट पादरियों द्वारा सिखों का जबरन धर्मान्तरण की गंभीर स्थिति पर चिंता जताई. उनका कहना है कि यह धर्म परिवर्तन प्रलोभन, अंधविश्वास और भूत-प्रेत या रोग निवारण सभाओं के माध्यम से हो रहा है. कई सिख अब पास्टर बन चुके हैं और धर्म परिवर्तन करवा रहे हैं. यह धर्म परिवर्तन विदेशी ताकतों द्वारा नेपाल के रास्ते कराया जा रहा है, जिससे देश की आंतरिक सुरक्षा पर खतरा हो सकता है. उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक से निष्पक्ष जांच की मांग की और कहा कि जिन सिखों का धर्म परिवर्तन हुआ है, वे अब भी अपने नाम के आगे 'सिंह' लगा रहे हैं, जो गलत है. यदि वे स्वेच्छा से धर्म बदल रहे हैं, तो उन्हें अपना प्रमाण पत्र बदलकर जिला अधिकारी को सूचित करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षा की कमी और निर्धनता के कारण धर्म परिवर्तन हो रहा है, और लगभग 3000 सिख ईसाई बन गए हैं, इसकी एक लिस्ट पुलिस को सौंप दी गई है.