
भारतीय सुरक्षा बलों और पुलिस ने एक संयुक्त सैन्य अभियान में तीन आतंकवादियों को मार गिराया. गृह मंत्री अमित शाह ने बाद में पुष्टि की कि ये वही तीन आतंकवादी हैं जिन्होंने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में 26 नागरिकों की हत्या कर दी थी. उसके बाद से ही सुरक्षा बल तीनों आतंकवादियों की तलाश में थे. ये आतंकवादी श्रीनगर के करीब डचीगाम जंगलों में मौजूद महादेव चोटी पर छिपे हुए थे, लेकिन 17 दिनों के दौरान दो बार सैटलाइट फोन का इस्तेमाल करने के कारण ये धर दबोचे गए.
क्या है आतंकवादियों के पकड़े जाने की इनसाइड स्टोरी?
गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में मंगलवार को आतंकवादियों की शनाख्त करते हुए कहा कि सुलेमान, अफग़ान और जिबरान वही तीन आतंकी हैं जिन्होंने बैसरन में भारतीय नागरिकों की हत्या की थी. ये आतंकवादी डचीगाम जंगल की पहाड़ियों में जा छिपे थे लेकिन अपने सैटलाइट फोन के इस्तेमाल की वजह से पकड़े गए.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट सूत्रों के हवाले से बताती है कि आतंकवादियों ने 11 जुलाई को बैसरन में यह सैटलाइट फोन इस्तेमाल किया था. उसके बाद से सेना और पुलिस की कई टीमें इनकी तलाश में जुटी हुई थीं. दिन-रात पुलिस की खोज से बचने के लिए आतंकवादी लगातार अपना ठिकाना बदल रहे थे.
दूसरे सिग्नल से शुरू हुआ ऑपरेशन महादेव
जब शनिवार को पुलिस और सैन्य बलों को महादेव नाम की चोटी के करीब सैटलाइट फोन के सिग्नल मिले तो उन्होंने ऑपरेशन महादेव शुरू कर दिया. यूं तो अनंतनाग के बैसरन और डचीगाम जंगलों के बीच की दूरी 120 किलोमीटर है, लेकिन अगर जंगल के बीच से होते हुए गुज़रा जाए तो यह फासला 40-50 किलोमीटर का ही रह जाता है. रिपोर्ट बताती है कि जब डचीगाम में आतंकवादियों की मौजूदगी की पुष्टि कर ली गई तो उन्हें ढूंढने के लिए जंगल के ऊपर हीट सिग्नेचर ड्रोन उड़ाए गए.
रिपोर्ट बताती है कि इलाके के बंजारों से मिली सूचना भी सैन्य बलों के काम आई. सैटलाइट फोन के जरिए पाकिस्तान में अपने हैंडलर से बात करने के बाद वे तीनों बेखबर थे और एक टेंट के अंदर आराम कर रहे थे जब सैन्य बलों ने उन्हें ढूंढ निकाला. मुठभेड़ के बाद सेना और पुलिस ने लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर सुलेमान शाह, हमज़ा अफगानी और जिबरान तीनों को मार गिराया. रिपोर्ट के अनुसार तीनों पाकिस्तानी नागरिक थे.
कैसे हुई आतंकवादियों की पहचान?
रिपोर्ट बताती है कि अधिकारियों ने आंतकवादियों की पहचान करने के लिए पूरा-पूरा समय लिया. उन्होंने सबसे पहले पहलगाम में 22 अप्रैल को मारे गए नागरिकों के परिजनों से उनकी पहचान करवाई. इसके बाद आतंकवादियों को पनाह देने वाले जेल में बंद परवेज़ अहमद जोथार और बशीर अहमद जोथार से भी तीनों की पहचान करवाई गई. गृह मंत्री शाह ने भी संसद में कहा कि एनआईए (National Investigation Agency) ने आतंकवादियों की मदद करने वालों को अपनी गिरफ्त में रखा था. जब उनके शव श्रीनगर लाए गए तो चार लोगों ने उनकी पहचान की पुष्टि की.