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Plastic Recycle Into Flower Pots: विदेशियों से सीख लेकर लौटे भारत, मशीन तैयार कर लगाया स्टार्टअप.. आज है 1.5 करोड़ का टर्नओवर

कनाडा में चार लाख रुपए प्रति महीना इंजीनियर की नौकरी छोड़कर करनाल के युवक ने शुरू किया वेस्ट प्लास्टिक से गमले बनाने का स्टार्टअप.

नितिन ललित नितिन ललित

आज के समय में ऐसे बहुत से लोग है जो विदेश में जा रहे हैं, ताकि वहां जाकर वह अच्छे पैसे कमा सकें. लेकिन करनाल के रहने वाला नितिन ललित वो हैं, जिन्होंने विदेश के हाई लाइफस्टाइल और प्रोफाइल की नौकरी को छोड़ा. जिसके बाद अपने वतन वापस आए और यहां पर अपना स्टार्टअप शुरू किया. जिसमें वह वेस्ट प्लास्टिक से गमले बना रहे हैं, साथ ही दूसरे युवाओं के लिए भी एक मिसाल बने हैं.

विदेशी लाइफस्टाइल से हुए प्रेरित
कनाडा में चार लाख प्रति महीना के पैकेज पर काम करने वाले नितिन इंजीनियरिंग की नौकरी करते थे. नितिन ललित बताते हैं कि वह अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई खत्म करके कनाडा में एक ऑटोमोबाइल कंपनी में जॉब करने गए थे. साथ ही उन्होंने कहा कि हर किसी का सपना होता है कि वह विदेश में रहकर अच्छा पैसा कमाए. साथ ही उन्होंने यह सब काबिलियत के चलते प्राप्त भी किया. 

उन्होंने इंजीनियर के तौर पर कनाडा में चार लाख रुपए प्रति महीना की नौकरी मिली. विदेश में रहकर वह वहां की लाइफस्टाइल जीने लगे. लेकिन उन्होंने वहां देखा कि लोग पर्यावरण संरक्षण पर काम करते हैं. जिसके बाद उन्होंने कई साल नौकरी करने के बाद अपने वतन वापस लौटने का निश्चय किया. 2016 में वह नौकरी छोड़कर अपने देश भारत लौट आए.

भारत में शुरू किया खुद का स्टार्टअप
भारत लौटकर उन्होंने पर्यावरण संरक्षण पर स्टार्टअप शुरू करने का प्लान किया.  नितिन ललित ने बताया कि उन्होंने कनाडा में रहकर वहां की हरियाली पर्यावरण सभी को बारीकी से समझा था. इसमें सबसे बड़ा योगदान वहां के लोगों का रहा है क्योंकि वह पानी की बचत करते हैं और प्लास्टिक जैसे कचरे का बहुत कम प्रयोग करते हैं. लेकिन भारत में पानी की बड़ी समस्या है और प्लास्टिक का वेस्ट भारत में सबसे बड़ी समस्या बनता जा रहा है. उन्होंने इसका हल निकालने के लिए अपना खुद का स्टार्टअप शुरू किया.

इच्छा है पर मारता पड़ता मन
स्टार्टअप में उन्होंने वेस्ट प्लास्टिक और कचरे से गमले बनाने शुरू किए. उन्होंने बताया कि आज के समय में जहां पानी की समस्या होती जा रही है तो वही वेस्ट प्लास्टिक भी एक बड़ी समस्या उभर कर सामने आ रही है. लेकिन इसके साथ-साथ जो लोग शहरों में रहते हैं उनके बागवानी के लिए भी काफी समस्या है, क्योंकि उनके पास बड़े शहरों में जगह की कमी होती है. वह बताते हैं कि हर कोई चाहता है कि कम से कम वह अपने लिए हरियाली लगाए और सब्जी लगाए. ऐसे में उन्होंने प्लान किया कि वह वेस्ट प्लास्टिक से गमले तैयार करेंगे. उन्होंने 2017 में अपनी कंपनी को रजिस्टर करवाई और वेस्ट प्लास्टिक और कचरे से गमले बनाने का काम शुरू किया.
 
खुद तैयार की स्टार्टअप के लिए मशीन 
नितिन बताते हैं कि उन्होंने अपनी कंपनी को एक प्लान के तहत रजिस्टर करवाया. लेकिन, उनके सामने एक बड़ी समस्या थी कि वह वेस्ट प्लास्टिक से गमले कैसे तैयार करें क्योंकि मार्केट में ऐसी कोई मशीन नहीं थी. जिसके बाद उन्होंने अपना इंजीनियरिंग वाला दिमाग लगाया, और कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने 3 साल में खुद गमले बनाने की मशीन तैयार की.

डेढ़ करोड़ है अब टर्नओवर
करीब 25 लाख से शुरू किया स्टार्टअप, अब डेढ़ करोड़ टर्नओवर दे रहा है. उन्होंने बताया कि जब उन्होंने 2017 में इस काम की शुरुआत की तो कोरोना का कहर टूट कर पड़ा. कोरोना के बाद ही उनका सही काम शुरू हो पाया. उन्होंने शुरू में करीब 25 लाख रुपए इन्वेस्ट किए थे. हरियाणा बागवानी विभाग को भी उनका यह प्रोजेक्ट काफी अच्छा लगा, जिसके चलते उनको 2021 में सरकार के द्वारा 24 लाख रुपए की ग्रांट दी गई थी.

शुरुआती सालों में उनका टर्नओवर एक महीने का करीब दो लाख तक था. लेकिन देखते ही देखते उनके प्रोडक्ट लोगों के बीच लोकप्रिय होने लगे और सेल बढ़ने लगी. इस साल उनका टर्नओवर करीब डेढ़ करोड़ साल का रहा है, और उम्मीद है कि आने वाले समय में यह और भी ज्यादा जाने वाला है.

- कमलदीप की रिपोर्ट