scorecardresearch

Explainer: पंजाब चुनाव में क्यों बढ़ गया है डेरों का महत्व, जानें कितनी है ताकत

पंजाब में चुनाव आते ही डेरे चर्चा में आ जाते हैं. चुनाव का एलान होते ही पंजाब में डेरे खास एक्टिव देखे गए हैं. कुछ समय पहले डेरा सच्चा सौदा के एक आयोजन में अकाली दल, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और भाजपा के नेता पहुंचे थे. एक अनुमान के मुताबिक करीब 200 प्रत्याशी और नेता सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा में दस्तक दे चुके हैं. बता दें कि पंजाब में 10 हजार से ज्यादा डेरों में से 300 बड़ें डेरों का चुनाव में सीधा असर होता है.

Punjab Politics Punjab Politics
हाइलाइट्स
  • चुनाव का एलान होते ही पंजाब में डेरे खास एक्टिव हो जाते हैं

  • पंजाब में 10 हजार से ज्यादा डेरे हैं

पंजाब में चुनाव आते ही डेरे चर्चा में आ जाते हैं. चुनाव का एलान होते ही पंजाब में डेरे खास एक्टिव देखे गए हैं. कुछ समय पहले डेरा सच्चा सौदा के एक आयोजन में अकाली दल, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और भाजपा के नेता पहुंचे थे. एक अनुमान के मुताबिक करीब 200 प्रत्याशी और नेता सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा में दस्तक दे चुके हैं. बता दें कि पंजाब में 10 हजार से ज्यादा डेरों  में से 300 बड़ें डेरों का चुनाव में सीधा असर होता है.

इसके साथ ही इनमें लाखों सी संख्या में लोग जुड़ें हैं. सूबे की 117 सीटों में से डेरे का 93 पर प्रभाव है. वहीं 47 सीटें ऐसी हैं, जहां डेरे की क्षमता चुनाव के हालात बदल सकती है, जबकि 46 सीटों पर डेरे वोट के आंकड़े में बड़ा अंतर पैदा करने की ताकत रखते हैं.

पंजाब में डेरों का प्रभाव
पंजाब में वोटरों की संख्या 2.12 करोड़ हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अनुमान लगाया गया है कि 53 लाख लोग यानि लगभग 25 प्रतिशत डेरों से जुड़े हुए हैं. राज्य में डेरों की 1.13 लाख शाखाएं 12 हजार 581 गांवों में हैं. दरअसल, लोगों के डेरों में शामिल होने के कई बड़े कारण हैं. इनमें जाति-धर्म, नशा और गरीबी को बड़ी वजह माना जाता है.

डेरे से क्यों जुड़ते हैं लोग
प्रदेश के 12,581 गांवों में डेरों की 1.13 लाख  शांखाएं हैं. अब हम आपको बताएंगे कि इन डेरों से लोग क्यों जुड़ते हैं. पंजाब में सबसे ज्यादा जाति धर्म फैक्टर काम करता है जिसकी वजह से लोग इनसे जुड़ते हैं. डेरा में जाति, धर्म व आर्थिक असमानता नहीं रहती है. यहां सभी समान हैं. इसके बाद आता है नशा फैक्टर. पंजाब में नशा हमेशा से बड़ा मुद्दा रहा है. डेरे में नशे से दूर रहने के लिए कहा जाता है इसलिए इसमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं. इसके अलावा डेरे में खासकर गरीब परिवारों को काफी मदद मिल जाती है क्योंकि यहां सामाजिक कार्य खूब होते हैं. 

प्रदेश के 5 बड़े डेरे

निरंकारी समुदाय
इसकी नींव 1929 में पेशावर में रखी गई थी. 27 देशों में इसकी 3 हजार शाखाएं हैं. इसका मालवा में 3 से 4 और माझा में 2 से 3 सीटों पर है.

डेरा राधा स्वामी
बाबा जैमल सिंह ने 1981 में इसकी शुरुआत की थी. डेरे का विस्तार 90 देशों में है. इसका प्रभाव पूरे पंजाब में है. चुनाव में यह 10-12 सीटों पर प्रभाव डाल सकता है.

डेरा सच्चा सौदा 
डेरा सच्चा सौदा के 6 करोड़ अनुयायी हैं. पंजाब में करीब 10 हजार डेरे हैं और मालवा में 35 सीटों पर इनका प्रभाव है.

नामधारी समुदाय
लुधियाना के भैणी साहिब स्थित इस डेरे की स्थापना रामसिंह ने की थी. इसकी 10 हजार से अधिक धर्मशाला हैं. माझा की 2 से 3 सीट और मालवा की 7 से 8 सीटों पर इसका प्रभाव है.

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान
1983 में नूरमहल में इसकी स्थापना हुई, जिसके संस्थापक आशुतोष महाराज हैं. इसका प्रभाव माझा में  4 से 5 सीटों पर दोआबा में 3 से 4 सीटों पर है.