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देखा नहीं होगा ऐसा विवाह, मंदिर पहुंचे बाराती- फिर हुई बछड़ा और बछिया की शादी

गाय के बछड़े और बछिया की शादी करवाने के लिए बाक़ायदा मंडप भी बनाया गया है. दोनो की शादी करवाने वाले पंडित मंत्रोचार भी कर रहे हैं. मंडप में चारों तरफ वर और वधू पक्ष के लोग बैठे हुए हैं.

बछड़ा और बछिया की शादी बछड़ा और बछिया की शादी
हाइलाइट्स
  • मंदिर में हुई बछड़ा और बछिया की शादी.

  • बछड़े और बछिया की शादी कराने के लिए मंडप भी बनाया गया.

ज्योतिष शास्त्र अनुसार, खरमास में किसी भी तरह का मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. इन दिनों हर तरह के शुभ कार्य करना वर्जित होता है. कहा जाता है कि खरमास में शादी-विवाह, सगाई, मुंडन और भवन निर्माण जैसे मांगलिक काम पूरी तरह से वर्जित माने जाते हैं. जिसके बाद मकर संक्रांति के दिन से शुभ कार्यों का आरंभ होता है. गुजरात के सूरत में मकर संक्रांति के शुभ पर्व पर एक बछड़ा और बछिया की शादी रचाई गई. मंदिर प्रांगण में हुई इस अनोखी शादी में बछड़ा और बछिया पक्ष के लोग भी शामिल हुए. 

आपने लड़का-लड़की की शादी तो बहुत देखी होगी. यहां तक की दो लड़के या दो लड़कियों की शादी भी अब दखने-सुनने को मिलती है. पर क्या आपने कभी बछड़ा और बछिया का विवाह होते देखा है? जी हां, ढोल नगाड़ों की ताल पर नाचते-गाते बाराती सूरत के लाडवी गांव पहुंचे, जहां दूल्हे राजा और बारात में आए बारातियों के स्वागत के लिए वधू पक्ष के लोग मौजूद थे. शादी में शामिल हुए बारातियों को देख कर आपकी नजरें स्वाभाविक है दूल्हे राजा और दुल्हन को खोजेंगी. पर ये शादी जरा हटकर है. यहां दूल्हे के रूप में सिर पर साफा बांधे और कपड़े पहने एक तरफ गाय का बछड़ा बैठा है और दूसरी तरफ दुल्हन के रूप में सिर पर मुकुट बांधे और कपड़े पहने गाय की बछिया बैठी है. 

बछड़े और बछिया की शादी के लिए मंडप भी बनाया गया

गाय के बछड़े और बछिया की शादी करवाने के लिए बाक़ायदा मंडप भी बनाया गया है. दोनो की शादी करवाने वाले पंडित मंत्रोचार भी कर रहे हैं. मंडप में चारों तरफ वर और वधू पक्ष के लोग बैठे हुए हैं. बछड़ा और बछिया की शादी की तस्वीरें खूब वायरल हो रही हैं. ये शादी सूरत शहर से दूर कामरेज क्षेत्र के लाडवी गांव की एक गौशाला में हुई, जहां गौशाला के संचालक संत की वधू के रूप में बछिया है जबकि वर के रूप में जयंती भाई का बछड़ा है. वर के रूप में बछड़े का नाम शंखेस्वर है जबकि वधू के रूप में बछिया का नाम चन्द्रमौली है.  

बछड़ा और बछिया की शादी
बछड़ा और बछिया की शादी

वैदिक मंत्रोचार के साथ शादी की रस्म पूरी हुई

इंसानो के जैसे शादी समारोह की तरह ही सूरत के लाडवी गांव  में बछड़ा और बछिया की शादी के समारोह का आयोजन किया. पूरे वैदिक मंत्रोचार के साथ शादी की रस्म पूरी हुई. वर की तरफ से बारात लेकर आए जयंती भाई ने अपने बछड़े और बछिया के बीच शादी कैसे तय की इसके बारे में बताया था. बछिया के मालिक जयंती भाई ने बताया, "आज उत्तरायण का दिन पवित्र दिन माना जाता है आज गौ दान का काफी महत्व होता है. महाराज के मन में ऐसा था कि आज मकर संक्रांति के दिन ऐसा किया जाए. इसलिए आज ये आयोजन किया है."

बछड़ा और बछिया की शादी
बछड़ा और बछिया की शादी

उन्होंने आगे बताया, "आज से एक साल पहले बछड़ा और बछड़ी का जन्म हुआ था. में हवन में बैठा तो मन में संकल्प किया था कि शंखेस्वर महादेव मंदिर की स्थापना करनी है और बछड़े का शंखेस्वर नाम रख कर स्थापना करनी है, विवाह करना है." सूरत में हुई बछड़ा और बछिया की शादी में वधू के पक्ष से गौशाला संचालक संत पिपलादगिरी उपस्थित थे. उन्होंने कहा कि कन्या दान से बड़ा कोई दान नही होता है और संत कन्यादान से वंचित ना रह जाए इसलिए उन्होंने अपने गौ शाला की सबसे प्रिय बछिया की शादी कर कन्यादान का लाभ हासिल किया है. 

(संजय सिंह राठौर की रिपोर्ट)