
उत्तराखंड सरकार ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले शहीद सैनिकों के परिवारों के लिए एक बड़ा और संवेदनशील कदम उठाया है. सरकार ने शहीदों के परिवारों को दी जाने वाली अनुग्रह राशि को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दिया है. यह आदेश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर जारी किया गया है, जो 26 जुलाई 2024 से प्रभावी होगा.
इस फैसले ने न केवल शहीदों के प्रति सम्मान को दर्शाया है, बल्कि उत्तराखंड की उस माटी को भी गौरवान्वित किया है, जो वीरों की भूमि के नाम से जानी जाती है.
शहीदों के सम्मान में उत्तराखंड का ऐतिहासिक कदम
उत्तराखंड, जिसे 'देवभूमि' के साथ-साथ 'वीरभूमि' भी कहा जाता है, देश की सेना में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी के लिए जाना जाता है. यहां के हजारों युवा भारतीय सेना में सेवारत हैं और देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने से पीछे नहीं हटते. ऐसे वीर सैनिकों के परिवारों की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए उत्तराखंड सरकार ने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस फैसले को पहले ही घोषित किया था, और अब इसे औपचारिक रूप से लागू कर दिया गया है. इस आदेश के तहत, अब शहीद सैनिकों के परिवारों को 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि प्रदान की जाएगी, जो पहले की 10 लाख रुपये की राशि से पांच गुना अधिक है. यह कदम न केवल शहीदों के प्रति सरकार की कृतज्ञता को दर्शाता है, बल्कि उनके परिवारों के लिए एक मजबूत सहारा भी प्रदान करता है.
सैनिक कल्याण मंत्री का बयान
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने इस फैसले के लिए मुख्यमंत्री धामी का आभार व्यक्त किया है. उन्होंने कहा, "यह निर्णय उत्तराखंड सरकार की शहीदों के प्रति गहरी संवेदनशीलता और सम्मान को दर्शाता है. उत्तराखंड वीरों की भूमि है, जहां हर घर से कोई न कोई सैनिक देश की सेवा में तत्पर है. 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि शहीदों के परिवारों को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी. यह फैसला सरकार की सैनिक कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है."
उत्तराखंड है वीरों की भूमि
उत्तराखंड का हर कोना वीरता की कहानियां समेटे हुए है. पहाड़ों की गोद में बसे इस राज्य के युवा न केवल अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हैं, बल्कि देश की सीमाओं पर भी अपनी जान की बाजी लगाते हैं. ऐसे में, शहीदों के परिवारों के लिए सरकार का यह कदम एक नई उम्मीद की किरण लेकर आया है. यह राशि न केवल उनके आर्थिक बोझ को कम करेगी, बल्कि उनके बच्चों और परिवार के भविष्य को भी संवारेगी.
शहीदों के परिवारों के लिए यह अनुग्रह राशि सिर्फ आर्थिक मदद नहीं, बल्कि एक भावनात्मक संबल भी है. 26 जुलाई 2024 से लागू होने वाला यह फैसला शहीदों के परिवारों के लिए एक नई शुरुआत है. यह न केवल उनके बलिदान को सम्मान देता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि उनके परिवार कभी अकेले नहीं होंगे.