Sharda Menon
Sharda Menon भारत की पहली महिला मनोचिकित्सक, शारदा मेनन का 98 वर्ष की आयु में रविवार को चेन्नई में उनके घर पर निधन हो गया. मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनके कामों के लिए उन्हें पद्म भूषण सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. उनकी मृत्यु पर शोक व्यक्त करते हुए, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा, "उनका निधन चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक क्षति है."
1959 में बनीं देश की पहली महिला मनोचिकित्सक
मेंगलुरु में जन्मीं शारदा मेनन ने मद्रास मेडिकल कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और बेंगलुरु के NIMHANS में मनोचिकित्सा में प्रशिक्षण प्राप्त किया. 1959 में वह देश की पहली महिला मनोचिकित्सक बनीं, जब उन्होंने चेन्नई में मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (पहले सरकारी किलपौक मानसिक अस्पताल) में काम करना शुरू किया. वह 18 वर्षों से अधिक समय तक संस्थान के अधीक्षक के पद पर रहीं.
1984 में की सिज़ोफ्रेनिया रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना
अपनी सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद, मेनन ने 1984 में सिज़ोफ्रेनिया रिसर्च फाउंडेशन (SCARF) की स्थापना की. SCARF, 1996 से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ मानसिक स्वास्थ्य अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए एक सहयोगी केंद्र के रूप में संबद्ध है. मानसिक बीमारी वाले लोगों के लिए उपचार और पुनर्वास की व्यवस्था और उनकी देखभाल करने वालों के लिए सहायता प्रदान करने के लिए यह एक प्रमुख NGO बना हुआ है. वह 1995 में इसके निदेशक के पद से हट गईं और सलाहकार बनी रहीं. मनोचिकित्सक डॉ आर थारा, जिन्होंने SCARF के निदेशक के रूप में पदभार संभाला ने कहा कि शारदा ने ’ बहुत बढ़िया बदलाव’ लाए.
जयललिता के करीब थीं मेनन
मेनन ने इसे एक शरण से एक ऐसी जगह में बदल दिया जहां उन्होंने स्वयंसेवकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की भर्ती की. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि हर सरकारी अस्पताल में मनोरोग आउटपेशेंट वार्ड हो. डॉ थारा का कहना है कि दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता मेनन का बहुत सम्मान करती थीं, जिस वजह से SCARF को राज्य सरकार से वार्षिक अनुदान प्राप्त करने और SCARF के डेकेयर सेंटर और आवासीय सुविधाओं के निर्माण के लिए भूमि प्राप्त करने में मदद मिली थी.
कुछ समय पहले तक भी देखें मरीज
मेनन के साथ काम करने वालों का कहना है कि कुछ समय पहले तक भी सक्रिय रूप से मरीजों को मॉनिटर करती रहती थीं. सुसाइड प्रिवेंशन हेल्पलाइन, SNEHA फाउंडेशन की संस्थापक और मेनन की छात्रा डॉ लक्ष्मी विजयकुमार का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में गट माइक्रोबायोम पर नवीनतम शोध में तेजी लाने के लिए उन्होंने तीन महीने पहले चेन्नई में एक बैठक में भाग लिया था. उन्होंने कहा कि मेनन की क्लास मेरे लिए आंखें खोलने वाली थी. चेन्नई में अधिकांश मनोचिकित्सक उनके छात्र हैं. सेवानिवृत्ति के बाद भी उन्होंने कॉलेज में अपनी सेवा दी थी.