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मारपीट के मामले में 29 वर्षो तक चली सुनवाई के बाद, अब मिली एक-एक दिन की सजा और 500 रुपये जुर्माना

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में एक पुराने मारपीट मामले में आखिरकार 29 साल बाद अदालत ने फैसला सुना दिया. फरेंदा के न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने तीन अभियुक्तों को दोषी ठहराते हुए उन्हें एक-एक दिन की न्यायिक हिरासत और 500-500 का जुर्माना भरने की सजा सुनाई है.

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हाइलाइट्स
  • वर्ष 1996 में वादी मोहम्मद अली मारपीट के मामले में दर्ज कराया था मुकदमा

  • 500-500 अर्थदंड न देने पर भुगतनी पड़ सकती है 20-20 दिन की अतिरिक्त सजा

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में एक पुराने मारपीट मामले में आखिरकार 29 साल बाद अदालत ने फैसला सुना दिया. फरेंदा के न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने तीन अभियुक्तों को दोषी ठहराते हुए उन्हें एक-एक दिन की न्यायिक हिरासत और 500-500 का जुर्माना भरने की सजा सुनाई है. साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगर वे जुर्माना नहीं भरते हैं तो उन्हें बीस-बीस दिन की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी.

29 साल पहले पड़ोसियों के बीच हुआ था विवाद
यह मामला साल 1996 का है, जब बृजमनगंज थाना क्षेत्र के बरजी गांव के रत्नापार टोला निवासी मोहम्मद अली ने अपने पड़ोसियों सुमेव पुत्र मुबीन, रहमत पुत्र असगर अली और जलालुद्दीन पुत्र अमजद अली के खिलाफ धारा 323 व 504 में मुकदमा दर्ज कराया था.

पीड़ित का आरोप था कि मामूली विवाद को लेकर तीनों ने उसके साथ गाली-गलौज और मारपीट की थी. मामला कोर्ट पहुंचा लेकिन सालों तक सुनवाई होती रही.

29 साल बाद आया कोर्ट का फैसला
करीब तीन दशक तक चली इस कानूनी लड़ाई में कई बार तारीखें बदलती रहीं, गवाह पेश हुए और गवाही होती रही. आकिरकार न्यायालय ने तीनों अभियुक्तों को दोषी मानते हुए मामूली सजा सुनाई है. इस केस में पैरोकार कृष्णकांत यादव, थानाध्यक्ष सत्यप्रकाश सिंह और एपीओ सौरभ सिंह की प्रभावी पैरवी के चलते कोर्ट ने ये फैसला सुनाया.

-महराजगंज से अमितेश त्रिपाठी की रिपोर्ट