Victorian lawyer become first in Australia to face professional sanctions for using AI in a court case
Victorian lawyer become first in Australia to face professional sanctions for using AI in a court case ऑस्ट्रेलिया में एक वकील को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर जरूरत से ज्यादा भरोसा करना महंगा पड़ गया. वकील ने एक घरेलू विवाद के केस में अदालत को पुराने मामलों की एक लिस्ट सौंपी थी, जो बाद में फर्जी निकली. यह लिस्ट AI से तैयार की गई थी, लेकिन वकील ने खुद उसकी जांच नहीं की.
19 जुलाई 2024 को हुई सुनवाई के दौरान जज अमांडा हम्फ्रीज ने जब अपने चैम्बर्स में इन केस लॉ को जांचा, तो पाया कि इनमें से कोई भी केस असल में था ही नहीं. मामले के दोबारा कोर्ट में आने पर वकील ने माना कि उन्होंने AI से तैयार लिस्ट को बिना जांच किए कोर्ट में पेश कर दिया था.
वकील को कोर्ट में मांगनी पड़ी माफी
वकील ने कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी और कहा कि उन्होंने इससे सबक ले लिया है. उन्होंने अनुरोध किया कि उन्हें जांच के लिए न भेजा जाए. साथ ही, उन्होंने माना कि उन्हें सॉफ्टवेयर के काम करने के तरीके की पूरी समझ नहीं थी, और भविष्य में ऐसी गलती नहीं दोहराई जाएगी.
उन्होंने दूसरी पार्टी के वकीलों को बेकार हुई सुनवाई की लागत भी चुकाई. हालांकि, जस्टिस हम्फ्रीज ने उनकी माफी स्वीकार की लेकिन कहा कि यह मामला पब्लिक इंटरेस्ट से जुड़ा है, इसलिए इसकी जांच जरूरी है.
कोर्ट ने वकील की प्रैक्टिस पर रोक लगा दी
विक्टोरियन लीगल सर्विसेज बोर्ड ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए वकील के प्रैक्टिसिंग सर्टिफिकेट में बदलाव कर दिया. अब वे खुद की लॉ फर्म नहीं चला सकेंगे, न ही ट्रस्ट मनी को हैंडल कर सकेंगे. अगले दो साल तक वे सिर्फ एक सीनियर वकील की निगरानी में कर्मचारी वकील के तौर पर काम कर सकेंगे और हर तिमाही बोर्ड को रिपोर्ट देनी होगी.
बोर्ड ने कहा, AI के इस्तेमाल को लेकर यह कार्रवाई दिखाती है कि हम चाहते हैं कि वकील जिम्मेदारी से इन टूल्स का इस्तेमाल करें और अपने पेशेवर कर्तव्यों को ना भूलें.
AI से बनाए गए 20 से ज्यादा मामले सामने आए
इस घटना के बाद से ऑस्ट्रेलिया की अलग-अलग अदालतों में 20 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां वकीलों या खुद अपनी पैरवी करने वाले लोगों ने AI के जरिए तैयार किए गए दस्तावेजों में फर्जी केस लॉ दिए. वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया और न्यू साउथ वेल्स में भी ऐसे वकीलों को उनके राज्य की रेग्युलेटरी बॉडी के पास भेजा गया है. एक केस में तो किसी ने दावा किया कि डॉक्यूमेंट ChatGPT से बना है, लेकिन जांच में पाया गया कि वो डॉक्यूमेंट उस समय का है जब ChatGPT पब्लिक के लिए उपलब्ध ही नहीं था.
AI का इस्तेमाल पूरी तरह बैन नहीं
ऑस्ट्रेलिया की लॉ काउंसिल की अध्यक्ष जुलियाना वॉर्नर ने कहा, AI का इस्तेमाल रोकना न तो व्यावहारिक है और न ही न्याय तक पहुंच के लिए सही रास्ता. लेकिन वकीलों को बेहद सावधानी बरतनी होगी. कोर्ट इस तरह के मामलों को बेहद गंभीरता से ले रही है और वकीलों की नैतिक और पेशेवर जिम्मेदारी बनी रहती है, चाहे वो किसी भी टूल का इस्तेमाल करें.
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