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Trademark Rules in India: क्या 'नेहा', 'राहुल' जैसे आम नाम या हमारे नाम ट्रेडमार्क हो सकते हैं? दिल्ली Highcourt क्या कहता है?

'नेहा', 'राहुल' या 'प्रीति' जैसे नाम भले ही आम हों, लेकिन अगर आप इन्हें अपने प्रोडक्ट के साथ इतना जोड़ दें कि ग्राहक उसे सिर्फ आपके ब्रांड से पहचानें, तो आप ट्रेडमार्क की सुरक्षा पा सकते हैं. 

Common name trademark (Photo/GettyImages) Common name trademark (Photo/GettyImages)

क्या आपने कभी सोचा कि 'नेहा', 'राहुल' या 'प्रीति' जैसे आम भारतीय नाम किसी ब्रांड का हिस्सा बन सकते हैं? जी हां, दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसले में साफ कर दिया कि 'नेहा' जैसे आम नाम भी ट्रेडमार्क के तौर पर रजिस्टर हो सकते हैं, बशर्ते वे बाजार में अपनी खास पहचान बना लें. लेकिन रुकिए, कहानी में एक ट्विस्ट भी है! कोर्ट ने यह भी कहा कि कोई कंपनी ऐसे नामों पर हर तरह के प्रोडक्ट के लिए एकछत्र राज नहीं कर सकती. 

'नेहा' नाम पर लड़ाई 
दिल्ली हाई कोर्ट में यह मामला नेहा हर्बल्स और साहनी कॉस्मेटिक्स के बीच था. दोनों कंपनियां 'नेहा' नाम को अपने प्रोडक्ट्स के लिए ट्रेडमार्क के तौर पर इस्तेमाल कर रही थीं. साहनी कॉस्मेटिक्स ने दावा किया कि उन्होंने 1990 से अपने फेस क्रीम के लिए 'नेहा' नाम का इस्तेमाल शुरू किया था. दूसरी ओर, नेहा हर्बल्स ने कहा कि वे 1992 से मेंहदी और हर्बल प्रोडक्ट्स के लिए इस नाम का उपयोग कर रहे हैं. साहनी कॉस्मेटिक्स ने नेहा हर्बल्स के ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन को रद्द करने की मांग की, लेकिन कोर्ट ने उनकी दलील को खारिज कर दिया.

जस्टिस संजीव नरूला ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा, "'नेहा' जैसे नाम ट्रेडमार्क के तौर पर काम कर सकते हैं, लेकिन यह कोई अनोखा या बनाया हुआ शब्द नहीं है. यह भारत में एक लोकप्रिय नाम है, जिसके कारण इसकी पहचान कमजोर होती है." कोर्ट ने साफ किया कि 'नेहा' जैसे नाम को ट्रेडमार्क के रूप में पूरी तरह सुरक्षित करने के लिए कंपनी को यह साबित करना होगा कि यह नाम ग्राहकों के बीच उनकी कंपनी के साथ मजबूती से जुड़ गया है. इसे ट्रेडमार्क की भाषा में 'सेकेंडरी मीनिंग' कहते हैं.

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सेकेंडरी मीनिंग क्या होता है?
कोर्ट ने बताया कि 'नेहा' जैसे आम नाम को ट्रेडमार्क की सुरक्षा तभी मिल सकती है, जब वह ग्राहकों के दिमाग में किसी एक कंपनी के प्रोडक्ट से जुड़ जाए. उदाहरण के लिए, जब आप 'नेहा' सुनते हैं, तो अगर आपके दिमाग में तुरंत नेहा हर्बल्स की मेंहदी आती है, तो यह सेकेंडरी मीनिंग है. लेकिन साहनी कॉस्मेटिक्स यह साबित नहीं कर पाई कि उनका 'नेहा' नाम ग्राहकों के बीच फेस क्रीम के लिए मशहूर है. दूसरी ओर, नेहा हर्बल्स ने 1994 से अपने प्रोडक्ट्स की बिक्री के सबूत, जैसे इनकम टैक्स रिटर्न, पैकेजिंग सैंपल, प्रचार सामग्री और CA-सर्टिफाइड बिक्री आंकड़े पेश किए. इसीलिए कोर्ट ने नेहा हर्बल्स के पक्ष में फैसला सुनाया.

ट्रेडमार्क की जंग में ट्विस्ट
हालांकि नेहा हर्बल्स ने ट्रेडमार्क की वैधता और मालिकाना हक की लड़ाई जीत ली, लेकिन कोर्ट ने उनकी दूसरी मांग को खारिज कर दिया. नेहा हर्बल्स ने दावा किया था कि साहनी कॉस्मेटिक्स उनके ट्रेडमार्क का उल्लंघन कर रही है. लेकिन कोर्ट ने कहा कि मेंहदी और फेस क्रीम दो अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट्स हैं, भले ही दोनों ट्रेडमार्क क्लास 3 (कॉस्मेटिक्स और पर्सनल केयर) में आते हों. कोर्ट ने साफ किया, "ग्राहकों के बीच मेंहदी और फेस क्रीम को लेकर कोई भ्रम नहीं होगा. इसलिए साहनी का 'नेहा' नाम का इस्तेमाल उल्लंघन नहीं है."

जस्टिस नरूला ने यह भी कहा, "गुडविल कोई असीमित अधिकार नहीं है. यह प्रोडक्ट-विशिष्ट और संदर्भ से जुड़ा होता है." इसका मतलब है कि नेहा हर्बल्स मेंहदी के लिए 'नेहा' नाम पर अधिकार रख सकती है, लेकिन फेस क्रीम या अन्य कॉस्मेटिक्स के लिए नहीं.

आम नामों को ट्रेडमार्क बनाने का फॉर्मूला
कोर्ट ने इस फैसले में साफ किया कि 'नेहा' जैसे आम नामों को ट्रेडमार्क बनाने के लिए कुछ खास सबूत चाहिए. ये हैं:

1. लंबे समय तक उपयोग: कंपनी को यह दिखाना होगा कि उसने नाम का इस्तेमाल कई सालों से किया है.

2. बिक्री और टर्नओवर: प्रोडक्ट की बिक्री के आंकड़े पेश करने होंगे.

3. विज्ञापन खर्च: कंपनी ने नाम को प्रचारित करने में कितना खर्च किया, यह दिखाना होगा.

4. मार्केट शेयर: बाजार में उस नाम की हिस्सेदारी कितनी है.

5. ग्राहक पहचान: कंज्यूमर सर्वे या अन्य सबूतों से यह साबित करना होगा कि ग्राहक उस नाम को कंपनी से जोड़ते हैं.

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि एक ही ट्रेडमार्क क्लास में अलग-अलग प्रोडक्ट्स के लिए एक नाम का इस्तेमाल हो सकता है, बशर्ते ग्राहकों में भ्रम न हो.

'नेहा', 'राहुल' या 'प्रीति' जैसे नाम भले ही आम हों, लेकिन अगर आप इन्हें अपने प्रोडक्ट के साथ इतना जोड़ दें कि ग्राहक उसे सिर्फ आपके ब्रांड से पहचानें, तो आप ट्रेडमार्क की सुरक्षा पा सकते हैं.