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Do You Know: पूजा में घंटी क्यों बजाई जाती है? जानिए इसके पीछे छिपे हैं चौंकाने वाले वैज्ञानिक और धार्मिक कारण!

अब जब भी आप मंदिर जाएं या घर में पूजा करें और घंटी बजाएं, तो याद रखिए यह सिर्फ एक परंपरा नहीं है. इसके पीछे धार्मिक आस्था के साथ-साथ गहरे वैज्ञानिक कारण भी हैं. घंटी की गूंज आपके मन को शांत करती है, वातावरण को पवित्र बनाती है और आपके आराध्य को आपके करीब ले आती है.

पूजा में घंटी क्यों बजाते हैं पूजा में घंटी क्यों बजाते हैं

क्या आपने कभी सोचा है कि मंदिर में प्रवेश करते ही सबसे पहले घंटी क्यों बजाई जाती है? पूजा के समय पंडित जी या श्रद्धालु घंटी बजाए बिना आराधना को अधूरी क्यों मानते हैं? अक्सर लोग इसे मात्र परंपरा समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन इसके पीछे गहरे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण छिपे हैं.

भगवान का ध्यान आकर्षित करने का माध्यम

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, घंटी की आवाज दिव्य मानी जाती है. यह ध्वनि वातावरण को पवित्र कर देती है और इसे देवताओं को आमंत्रित करने का माध्यम माना जाता है. मान्यता है कि जब घंटी बजती है तो नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं और घर या मंदिर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. यही वजह है कि मंदिर में प्रवेश करते ही श्रद्धालु सबसे पहले घंटी बजाते हैं ताकि भगवान का ध्यान उनकी प्रार्थना की ओर आकर्षित हो सके.

मस्तिष्क और शरीर पर असर

घंटी की आवाज केवल आध्यात्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है. घंटी से निकलने वाली ध्वनि तरंगें (साउंड वेव्स) पूरे वातावरण में फैलती हैं. ये तरंगें हमारे मस्तिष्क की एकाग्रता बढ़ाती हैं और तनाव कम करती हैं.

विशेषज्ञ बताते हैं कि जब घंटी बजती है तो उसकी गूंज लगभग 7 सेकंड तक रहती है, जिससे दिमाग की ‘अल्फा वेव्स’ सक्रिय होती हैं. यह स्थिति ध्यान (Meditation) जैसी होती है और शरीर को मानसिक शांति प्रदान करती है.

नकारात्मक ऊर्जा को करता है खत्म

वास्तु और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, घंटी बजने से घर या मंदिर के आस-पास मौजूद नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) स्वतः नष्ट हो जाती है. यही कारण है कि बड़े-बड़े यज्ञ, हवन या आरती के समय घंटियों का विशेष महत्व होता है. घंटी की ध्वनि वातावरण में एक ऐसा कंपन (Vibration) पैदा करती है, जिससे केवल इंसान ही नहीं, बल्कि पूरा वातावरण ऊर्जा से भर उठता है.

मनोवैज्ञानिक लाभ

घंटी बजाने से श्रद्धालु का मन भटकता नहीं है और पूजा में उसकी एकाग्रता बनी रहती है. जैसे ही घंटी बजती है, मनुष्य की इंद्रियां सजग हो जाती हैं और ध्यान भगवान पर केंद्रित हो जाता है. यह प्रक्रिया न केवल मानसिक शांति देती है, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ाती है.

सिर्फ परंपरा नहीं, विज्ञान भी है शामिल

अब जब भी आप मंदिर जाएं या घर में पूजा करें और घंटी बजाएं, तो याद रखिए यह सिर्फ एक परंपरा नहीं है. इसके पीछे धार्मिक आस्था के साथ-साथ गहरे वैज्ञानिक कारण भी हैं. घंटी की गूंज आपके मन को शांत करती है, वातावरण को पवित्र बनाती है और आपके आराध्य को आपके करीब ले आती है.

(डिस्क्लेमर: यहां बताई गई बातें सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. Gnttv.com इसकी पुष्टि नहीं करता है)