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छोटी स्टिक बड़ा कमाल! मलबे में दबी जिंदगी को आसानी से ढूंढ लेती है ये छड़ी, और भी हैं खूबियां

मलबे में ये पता लगाना बहुत मुश्किल होता है कि आखिर किस हिस्से में कोई जिंदा बचा है. एनडीआरएफ कि इस चुनौती को थोड़ा कम करने की कोशिश ग्रेटर नोएडा के गुरु द्रोणाचार्य ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन के छात्रों ने की है

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भूकंप की स्थिति में या फिर अचानक किसी बिल्डिंग के गिर जाने की स्थिति में एनडीआरएफ रेस्क्यू करने के लिए पहुंचती है लेकिन एनडीआरएफ के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है मलबे में दबी जिंदगी को सुरक्षित बाहर निकालना. मलबे में ये पता लगाना बहुत मुश्किल होता है कि आखिर किस हिस्से में कोई जिंदा बचा है. एनडीआरएफ कि इस चुनौती को थोड़ा कम करने की कोशिश ग्रेटर नोएडा के गुरु द्रोणाचार्य ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन के छात्रों ने की है यहां छात्रों की एक टीम ने एक ऐसी स्टिक तैयार की है जो मलबे में दबी जिंदगी को आसानी से पहचान लेती है.

इस स्टिक को बनाने का आईडिया अंकित रघुवंशी नाम के छात्र को आया था. अंकित बताते हैं कि इस स्टिक को इस तरह से तैयार किया गया है और ऐसे उपकरणों से लैस किया गया है जिसके जरिए मलबे में दबी जिंदगी को पहचानना बेहद आसान हो जाता है. इस स्टिक में एक ऐसा सेंसर है जो ये बता सकता है कि मलबे में कितनी दूरी पर कोई जिंदा दबा हो सकता है.

स्टिक

इस स्टिक के स्क्रीन पर आसपास कितना कार्बन डाई ऑक्साइड है ये भी आसानी से देखा जा सकता है. मतलब अगर मलबे के नीचे भी कोई सांस ले रहा है तो कार्बन डाई ऑक्साइड का लेवल उस जगह पर बढ़ जाएगा. ठीक उसी जगह पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर एनडीआरएफ आसानी से लोगों को बचा पाएगी. अंकित का कहना है कि इस स्टिक को खासतौर पर एनडीआरएफ को ध्यान में रखकर ही तैयार किया गया है और एनडीआरएफ को भी यह इनोवेशन बेहद पसंद आया है.

इनोवेशन टीम के दूसरे छात्र श्रेयस वत्स कहते हैं कि इसे आगे एनडीआरएफ के लिए और बेहतर तरीके से तैयार किया जा रहा है. इस स्टिक में कैमरा और माइक भी लगाया जाएगा. जिसके जरिए मलबे में दबे लोगों से बात की जा सकेगी. छात्रों का यह इनोवेशन अभी प्रोटोटाइप मोड में है लेकिन जल्द ही साथ में तैयार करके एनडीआरएफ को सौंपेंगे जिससे किसी भी आपदा के वक्त इंसान या जानवर को बचाना और आसान हो पाएगा.