
गुजरात हाईकोर्ट में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें कोर्ट ने जिस व्यक्ति को दोषी करार दिया, उसकी 9 साल पहले ही मौत हो चुकी थी. यह केस खेडा जिले के रायजीभाई सोढा का है, जिस पर 2012 में अपनी पत्नी को जिंदा जलाने का आरोप था.
हाईकोर्ट में 2025 में सुनाया गया फैसला
इस केस में सेशन्स कोर्ट ने पहले आरोपी को बरी कर दिया था, जिसके खिलाफ सरकार ने हाईकोर्ट में अपील की थी. जुलाई 2025 में हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद आरोपी को दोषी करार दिया और उसके कोर्ट में मौजूद न होने पर गैर-जमानती वारंट जारी करते हुए आदेश दिया कि उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाए ताकि सजा सुनाई जा सके.
लेकिन जब अगली सुनवाई हुई, तब एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने कोर्ट को बताया कि आरोपी की मौत साल 2016 में ही हो चुकी थी. यह सुनकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर आरोपी मर चुका है, तो केस स्वतः ही समाप्त हो जाता है.
कोर्ट ने कहा, 9 साल तक नहीं दी गई मौत की जानकारी
कोर्ट ने पुलिस और एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर दोनों को फटकार लगाई और कहा कि दोनों की लापरवाही की वजह से कोर्ट का वक्त बर्बाद हुआ. कोर्ट ने कहा, “अगर आरोपी अकेला था और उसकी मौत हो चुकी है, तो यह जानकारी समय पर कोर्ट को क्यों नहीं दी गई?”
पुलिस और प्रॉसिक्यूटर ऑफिस को चेतावनी
हाईकोर्ट ने खेडा के जिला पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि वे इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई करें. साथ ही, कोर्ट ने पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के कार्यालय को भी जिम्मेदार मानते हुए कहा कि ऐसे मामलों में अंतिम सुनवाई से पहले आरोपी की स्थिति की पूरी जांच होनी चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि यह साफ दिखाता है कि पुलिस और पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के बीच सही समन्वय नहीं था. भविष्य में ऐसा दोबारा न हो, इसका ध्यान रखा जाए.
क्या था मामला?
अप्रैल 2012 में रायजीभाई सोढा ने शराब के लिए चांदी के गहनों की मांग को लेकर अपनी पत्नी रुक्मिणीबेन से झगड़ा किया और उस पर केरोसिन डालकर उसे जिंदा जला दिया. मरने से पहले रुक्मिणीबेन ने अपना मृत्यु पूर्व बयान दिया था, जिसमें उसने अपने पति पर आरोप लगाए थे. सेशन्स कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया था, लेकिन सरकार की अपील पर हाईकोर्ट ने उसे दोषी करार दिया बिना यह जानकारी दिए कि वह 2016 में ही मर चुका था.
-ब्रिजेश दोशी