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How To Do Saving: इनकम है भरपूर, लेकिन मंथ एंड पर पैसे के लिए होते हैं मजबूर.. तो इन तरीकों को अपना कर कर सकते हैं सेविंग

लोगों की अच्छी खासी इनकम होने के बाद भी वह पैसों की कमी से जूझते हैं. ऐसे में इश दिक्कत को दूर करने के लिए जरूरी है कि खर्चों को ट्रैक किया जाए. जिससे फालतू के खर्चों को फिल्टर आउट कर सकते हैं. साथ ही कोई इंवेस्टमेंट करें, जैसे कोई आरडी या एफडी या एसआईपी जिससे आप हर महीने कुछ पैसे बचाएं और इन पैसों को इमरजेंसी फंड के तौर पर इस्तेमाल कर सकें.

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अगर आपकी इनकम ठीक-ठाक है लेकिन हर महीने के आखिर में अकाउंट बैलेंस ज़ीरो नजर आता है, तो दिक्कत सैलरी में नहीं बल्कि पैसों के मैनेजमेंट में है. आज के समय में खर्च इतनी तेजी से बढ़ते हैं कि बिना प्लानिंग के बचत कर पाना मुश्किल हो जाता है.

यह सवाल नहीं है कि आप कितना कमा रहे हैं, बल्कि यह है कि हर रुपये का इस्तेमाल कितनी समझदारी से हो रहा है. सही तरीके से फाइनेंशियल प्लानिंग की जाए, तो उसी सैलरी से न सिर्फ बचत हो सकती है, बल्कि फ्यूचर में आर्थिक सुरक्षा भी दे सकती है.

फालतू खर्चें फिल्टर आउट करना जरूरी
अगर आप सच में सेविंग करना चाहते हैं, तो सिर्फ इरादा काफी नहीं है, बल्कि एक ऐसा सिस्टम चाहिए जो फालतू खर्चों को अपने आप फिल्टर कर दे. छोटे-छोटे बदलाव लंबे समय में बड़े नतीजे देते हैं. सही आदतें बना ली जाएं, तो खर्च कंट्रोल में रहते हैं और सेविंग धीरे-धीरे मजबूत होती जाती है. ज़्यादातर लोग अपने खर्चों का रिकॉर्ड नहीं रखते और यही सबसे बड़ी गलती होती है। जब यह ही नहीं पता कि पैसा कहां खर्च हो रहा है, तो बचत कैसे होगी?

खर्चों को फिल्टर करने के लिए शुरुआत में एक सिंपल बजट बनाएं और खर्चों को तीन हिस्सों में बांटें. ज़रूरी खर्च, सुविधा से जुड़े खर्च और फालतू खर्च. कम से कम एक महीने तक हर छोटा-बड़ा ट्रांजैक्शन नोट करें. इससे साफ पता चल जाएगा कि कहां बेवजह पैसा उड़ रहा है.

अपनाएं 50-30-20 फॉर्मूला!
पैसों को सही दिशा में रखने के लिए 50-30-20 रूल काफी कारगर माना जाता है. इसके तहत 50 प्रतिशत इनकम जरूरतों पर, 30 प्रतिशत लाइफस्टाइल पर, और 20 प्रतिशत रकम सीधे बचत या निवेश में डालनी चाहिए.

जो खर्च इस फॉर्मूले से बाहर जा रहे हों, उन्हें अगले ही महीने कम करना शुरू कर दें. शुरुआत में यह थोड़ा मुश्किल लग सकता है, लेकिन दो-तीन महीने में आपको खुद महसूस होगा कि आपकी इनकम में बचत की कितनी गुंजाइश बन रही है.

पैसा बचाने का सबसे आसान तरीका है कि उसे खर्च होने से पहले अलग कर दिया जाए. जैसे ही सैलरी आए, एक ऑटो-डेबिट सेट कर दें, जिससे तय रकम सीधे सेविंग अकाउंट, आरडी, एसआईपी या किसी इन्वेस्टमेंट फंड में चली जाए. जब बचत पहले हो जाती है, तो बाकी पैसा खुद-ब-खुद बजट में फिट होने लगता है और गैर जरूरी खर्च कम होने लगते हैं.

छोटे-छोटे खर्च करते हैं बड़ा नुकसान
महीने का बैलेंस खत्म करने में बड़ी चीज़ें नहीं, बल्कि छोटे-छोटे खर्च सबसे बड़ा रोल निभाते हैं. बाहर खाना, बेवजह के सब्सक्रिप्शन और बिना सोचे-समझे की गई शॉपिंग धीरे-धीरे बजट बिगाड़ देती है. इन पर हल्का सा कंट्रोल भी बड़ा असर डाल सकता है. चाहें तो हर खरीदारी से पहले 24 घंटे का नियम अपनाएं. जो चीज उस वक्त बेहद जरूरी लगती है, अगले दिन अक्सर उतनी जरूरी नहीं लगती.

सही मैनेजमेंट से बनेगी मजबूत सेविंग
जैसे ही आप पैसों को सही तरीके से मैनेज करना सीख जाते हैं, बचत अपने आप शुरू हो जाती है. जरूरी नहीं कि ज्यादा कमाई ही आपको अमीर बनाए, बल्कि स्मार्ट खर्च और सही प्लानिंग ही आपको आर्थिक रूप से मजबूत बनाती है.