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विकासनगर से इंसानियत की मिसाल! मदरसा ईसातुल कुरान ने पंजाब बाढ़ पीड़ितों के लिए भेजी 11 लाख की राहत सामग्री

पंजाब की धरती इस समय प्राकृतिक आपदा की मार झेल रही है, लेकिन देशभर से उठते मदद के हाथ वहां के लोगों के लिए नई उम्मीद और नई रोशनी लेकर आ रहे हैं. जीवनगढ़ गांव और वहां के मदरसे की यह पहल न केवल राहत पहुंचाएगी, बल्कि यह याद दिलाएगी कि मुश्किल वक्त में इंसानियत ही सबसे बड़ी ताकत है.

मदरसा ईसातुल कुरान मदरसा ईसातुल कुरान

मुसीबत की घड़ी में इंसानियत का हाथ थाम लेना ही असली सेवा है. कुछ ऐसा ही नजारा उत्तराखंड के विकासनगर स्थित जीवनगढ़ गांव में देखने को मिला, जहां मदरसा ईसातुल कुरान ने पंजाब के बाढ़ पीड़ितों के लिए बड़ी पहल करते हुए 11 लाख रुपये की राहत सामग्री भेजी है.

रात के अंधेरे में जब लोग अपने घरों में सुकून से सो रहे थे, तब जीवनगढ़ मदरसे के छात्र और शिक्षक सैकड़ों राहत किटों की पैकिंग में जुटे हुए थे. मदरसा परिसर में चारों तरफ राशन और आवश्यक वस्तुओं से भरे बैग रखे हुए थे. यह नजारा न केवल इंसानियत की खूबसूरत तस्वीर दिखाता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि आपदा की घड़ी में पूरा समाज एकजुट होकर खड़ा हो सकता है.

पंजाब के लिए बढ़े मदद के हाथ
पंजाब बीते कई दिनों से भीषण बाढ़ से जूझ रहा है. लाखों लोग बेघर हो गए हैं, बच्चों और महिलाओं की स्थिति बेहद नाजुक है. ऐसे कठिन समय में विकासनगर के जीवनगढ़ गांव का यह योगदान बेहद अहम साबित हो रहा है. मदरसा ईसातुल कुरान ने स्थानीय लोगों से अपील की थी कि वे बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए खाद्य सामग्री, कपड़े, दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें दान करें. अपील के बाद गांवभर से लोग आगे आए और देखते ही देखते सैकड़ों किट तैयार हो गए.

इन राहत किटों में आटा, चावल, दाल, तेल, नमक जैसी खाद्य वस्तुएं तो हैं ही, साथ ही कपड़े, चप्पल, मच्छरदानी, बर्तन, बच्चों के लिए दूध पाउडर, दवाइयां और यहां तक कि पशुओं के लिए भी चारा और अन्य जरूरी सामान शामिल किया गया है.

मदरसे की पहल बनी आंदोलन
मदरसा ईसातुल कुरान के मुफ्ती मोहम्मद शादाब शौकत ने बताया, “जीवनगढ़ गांव से लगभग 11 लाख रुपये की राहत सामग्री पंजाब के लिए रवाना की गई है. यह पहल शुरू में छोटे पैमाने पर थी, लेकिन जैसे-जैसे जरूरतें बढ़ीं, पूरा गांव इस मुहिम से जुड़ गया. आज हम सैकड़ों परिवारों की मदद कर पाने में सफल हुए हैं.”

उन्होंने आगे कहा कि इस राहत सामग्री में सिर्फ खाने-पीने की चीजें ही नहीं बल्कि जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने वाली हर संभव वस्तु शामिल की गई है.

नन्हे मददगार भी जुटे
इस मुहिम में सबसे प्रेरक दृश्य मदरसे के छोटे-छोटे बच्चों का था, जो रातभर राहत सामग्री की पैकिंग में लगे रहे. मदरसा छात्र मोहम्मद सुहैल ने बताया, “हम पिछले एक दिन से लगातार पैकिंग कर रहे हैं. जब हमने टीवी और सोशल मीडिया पर पंजाब की हालत देखी तो हमें बहुत दुख हुआ. हम चाहते हैं कि वहां के बच्चों और परिवारों को थोड़ी राहत मिले.”

इन नन्हे मददगारों के उत्साह और जज्बे ने इस पहल को और भी खास बना दिया.

इंसानियत की ताकत का संदेश
यह राहत अभियान केवल पंजाब के बाढ़ पीड़ितों के लिए मदद नहीं है, बल्कि यह सामूहिक सहयोग और एकजुटता का प्रतीक है. जब पूरा गांव, मदरसे के शिक्षक, छात्र और आम लोग मिलकर मदद का हाथ बढ़ाते हैं, तो यह साबित करता है कि आपदा कितनी भी बड़ी क्यों न हो, इंसानियत उससे बड़ी है.
धार्मिक संस्थानों की इस तरह की पहल ग्रामीण समुदायों के लिए भी एक मिसाल है. अक्सर यह माना जाता है कि मदरसे सिर्फ शिक्षा और धार्मिक कार्यों तक सीमित रहते हैं, लेकिन जीवनगढ़ मदरसा ईसातुल कुरान ने यह साबित कर दिया है कि ऐसे संस्थान समाज सेवा में भी सक्रिय और अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं.

बहरहाल...

पंजाब की धरती इस समय प्राकृतिक आपदा की मार झेल रही है, लेकिन देशभर से उठते मदद के हाथ वहां के लोगों के लिए नई उम्मीद और नई रोशनी लेकर आ रहे हैं. जीवनगढ़ गांव और वहां के मदरसे की यह पहल न केवल राहत पहुंचाएगी, बल्कि यह याद दिलाएगी कि मुश्किल वक्त में इंसानियत ही सबसे बड़ी ताकत है.

(टीना साहू की रिपोर्ट)