
केरल की खूबसूरत पहाड़ियों की ओर बढ़ती एक बस में बैठी कुछ महिलाएं गाना गा रही हैं, तालियां बजा रही हैं और मुस्कुरा रही हैं. इनमें कोई हिजाब और दुपट्टे में है, तो कोई रंग-बिरंगी शर्ट और जींस में. लेकिन इन सबकी कहानी एक जैसी है—ये महिलाएं तलाकशुदा, विधवा या रिश्तों में संघर्ष से गुज़र रही हैं. यही महिलाएं जा रही हैं देश के पहले “डिवोर्स कैंप” की ओर, जिसकी शुरुआत 31 वर्षीय राफिया अफी ने की है.
राफिया का मानना है कि “तलाक अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है. जब दो लोग साथ नहीं रहना चाहते, तो अलग होना भी एक खूबसूरत रास्ता हो सकता है.” तलाक के बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर सिंगल पेरेंटिंग और हीलिंग (मानसिक संतुलन) पर चर्चा शुरू की, जिससे कई महिलाएं उनसे जुड़ीं. तभी उन्हें महसूस हुआ कि ऐसी महिलाओं के लिए एक सपोर्ट सिस्टम की जरूरत है.
तलाक से उबरने का कैंप – “ब्रेक फ्री स्टोरीज”
राफिया ने “ब्रेक फ्री स्टोरीज” नाम से यह कैंप शुरू किया. यहां महिलाएं दो दिन के नेचर रिट्रीट में शामिल होती हैं. कैंप में 15-20 प्रतिभागी होते हैं और इसकी फीस 1,700 रुपए से शुरू होती है. शुरुआत में गेम्स, हाइकिंग, डांस और म्यूजिक सेशन के ज़रिए महिलाएं सहज होती हैं. इसके बाद स्टोरीटेलिंग, हीलिंग और आत्मनिर्भरता पर चर्चाएं होती हैं. राफिया की योजना है कि जल्द ही ऐसे कैंप बेंगलुरु और मुंबई जैसे बड़े शहरों में भी आयोजित हों.
कानूनी और भावनात्मक सहयोग
इस कैंप में सिर्फ भावनात्मक ही नहीं, बल्कि कानूनी सलाह भी दी जाती है. म्यूजिशियन और वकील जकी जे यहां महिलाओं को उनके अधिकारों और सुरक्षा से जुड़े कानूनों की जानकारी देती हैं. उनका कहना है कि उनकी मां की मौत घरेलू हिंसा की वजह से हुई, और यही घटना उन्हें वकील बनने की प्रेरणा बनी.
बदली महिलाओं की जिंदगी
अब तक 150 से ज्यादा महिलाएं इस कैंप में हिस्सा ले चुकी हैं. इसमें शामिल हुईं सूर्य कलारिकल कहती हैं, “तलाक के बाद मैं पहली बार यहां खुलकर रोई और हंसी. अब अगर कोई मुझे बदनाम करेगा तो मैं कानूनी कार्रवाई करने से नहीं हिचकूंगी.”
वहीं शिफना बताती हैं, “पहले मैं अकेली और उदास थी, लेकिन इस कैंप ने मुझे एहसास कराया कि मैं अकेली नहीं हूं.”
समाज में बदलाव की कोशिश
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक, 18 से 49 साल की 32% विवाहित महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं. राफिया कहती हैं कि कई महिलाएं तलाक को शर्म समझती हैं और अपनी जिंदगी खत्म करने की सोच लेती हैं. लेकिन उनका मानना है कि चुपचाप सहना कोई आदर्श नहीं, बल्कि खतरनाक है. वह इस सोच को बदलने के लिए काम कर रही हैं.