

एक तरफ जहां आए दिन हम लड़कियों के साथ हो रही तमाम तरह की घटनाओं के बारे में पढ़ते हैं वहीं देश में कुछ ऐसी भी चीजें हो रही हैं जो वाकई तारीफ के काबिल हैं. राजस्थान में देश का एक ऐसा अनोखा गांव है जो कई सालों से अनोखी मिसाल पेश करता आ रहा है. यह गांव राजस्थान के राजसमंज जिले का पीपलंत्री गांव है. इस गांव के लोग बेटी के पैदा होने पर 111 पौधे लगाकर खुशियां मनाते हैं. गांव में यह परंपरा काफी समय से चली आ रही है.
गांव में बन गया ग्रीन कवर
एक तरफ जहां गांववालों की ये पहल लड़कियों को बचाने में कामयाब है वहीं इसके साथ ये पर्यावरण का भी ख्याल रख रही है. गांव में अब तक लगाए गए पेड़ ग्रीन कवर का काम कर रहे हैं. इसके साथ ही पिपलांत्री समुदाय इस बात का भी ख्याल रखता है कि पेड़ जीवित रहें और लड़कियां बड़े होने पर इसके फल भी खा सकें.पर्यावरण और नारीवाद का यह ब्रांड ग्रामीणों के लिए लड़कियों और पेड़ों दोनों के महत्व को समझने और उनकी सराहना करने का एक शानदार तरीका है. यहां सिर्फ पौधे लगाना ही काफी नहीं है बल्कि परिवार को अपनी बेटियों की तरह पेड़ों की देखभाल भी करनी पड़ती है.
लड़की के नाम खोल देते हैं एफडी
इतना ही नहीं लड़की के जन्म के समय लड़की के माता-पिता से 10,000 रुपये और दाताओं और भामाशाहों से 31,000 रुपये इकट्ठे किए जाते हैं और उनके लिए एक एफडी खोल दी जाती है. ग्राम पंचायत इसका हिसाब रखती है और समय पूरा होने पर एफडी में संशोधन किया जाता है. पंचायत रजिस्ट्रार के पास लड़की के जन्म की जानकारी दर्ज करती है. इसके साथ ही जननी सुरक्षा योजना और अन्य लाभकारी सरकारी बांड योजनाओं के लिए सभी आधिकारिक औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं.
श्याम सुंदर ने कहा कि जन्म के दौरान लड़की के माता-पिता से एक एग्रीमेंट भी साइन कराया जाता है. जिसके तहत वो 18 वर्ष से पहले अपनी बेटी की शादी नहीं कर सकते. इसके साथ ही उनसे बच्ची को पढ़ाने-लिखाने और पौधों का ध्यान रखने का वादा भी लिया जाता है. पिछले छह वर्षों में गांव के लोगों ने सवा लाख से अधिक पेड़ लगाने में कामयाबी हासिल की है. इनमें नीम, शीशम, आम, आंवला आदि के पेड़ शामिल हैं.
किसने की शुरुआत ?
गांव में इस प्रथा की शुरुआत गांव के पूर्व सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल ने की थी. सरपंच के अनुसार गांव हर साल औसतन गांव में 60 लड़कियां पैदा होती हैं. सुंदर पालीवाल ने इस पहल की शुरुआत अपनी बेटी किरण की याद में शुरू की है. पालीवाल की बेटी की 18 साल की उम्र में डिहाइड्रेशन की वजह से मृत्यु हो गई थी. उसी समय श्याम में तय किया कि वो अपने गांव को ग्रीन कवर बनाएंगे ताकि दोबारा यहां कभी पानी की कमी न हो सके. पालीवाल इन 20 सालों में अब तक 4 लाख पेड़ लगा चुके हैं. साल 2021 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया.
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