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Rampur: 17 साल में जेल, 28 साल में कोर्ट से बरी... कमर अहमद के 11 साल के संघर्ष की कहानी

उत्तर प्रदेश के बरेली के रहने वाले एक शख्स को 11 साल बाद इंसाफ मिला. जब वो 17 साल का था तो उसे पुलिस ने बाइक चोरी के केस में गिरफ्तार किया था और जेल भेज दिया था. 3 साल जेल में रहने के बाद वो रिहा हुआ. लेकिन उसके दामन से चोरी का दाग नहीं हट पाया. इसके लिए उसे 11 साल तक कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाना पड़ा. अब उसे कोर्ट से बरी कर दिया गया है.

 Qamar Ahmed Qamar Ahmed

उत्तर प्रदेश के बरेली का एक शख्स 17 साल की उम्र में चोरी के मामले में फंस गया. इस मामले में उस युवक को जेल भेज दिया गया. 3 साल तक सलाखों के पीछे रहा. लेकिन इसके बाद भी अदालती कार्यवाही चलती रही. लेकिन उसके कलेक्टर पर लगा दाग नहीं धूल पाया. आखिरकार 11 साल बाद इस बेकसूर को कोर्ट से बेगुनाही प्रमाण मिला. अब ये शख्स इतने सालों का हिसाब मांग रहा है.
 
बाइक चोरी में जेल भेजा गया युवक-
बरेली के शीश गढ़ के रहने वाले कमर अहमद को रामपुर पुलिस ने साल 2014 में बाइक चोरी के एक मामले में गिरफ्तार किया था. जिसके बाद उसे जेल भेज दिया गया. करीब 3 साल की जेल काटने के बाद कमर अहमद जेल से रिहा हुआ और अपने ऊपर लगे चोरी के मुकदमे में कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटता रहा. कई बार वारंट पर उसे दोबारा भी जेल भेजा गया. 

11 साल बाद मिला बेगुनाही का सबूत-
इसके बाद कमर अहमद के अधिवक्ता अकील अहमद ने मजबूती के साथ पैरवी की. पीड़ित कमर अहमद को बेकसूर साबित किया. अधिवक्ता अकील अहमद ने बताया कि पुलिस के गवाह घटना को साबित नहीं कर सके कि मोटरसाइकिल का स्वामी कौन था? और कहां से चोरी हुई थी? वकील ने बताया कि इसके बाद 11 साल बाद पीड़ित कमर अहमद को निर्दोष माना गया.

कमर अहमद ने सुनाई आपबीती-
कमर अहमद ने बताया कि मैं बरेली के शीशगढ़ का निवासी हूं. साल 2014 में जब मेरे खेलने कूदने की उम्र थी. दाढ़ी मूंछें भी नहीं आई थी. उस समय पुलिस ने एक चोरी के केस में रामपुर जेल भेजा, सिर्फ बाइक चोरी थी. उसके बाद मैं 12 साल मुकदमा लड़ता रहा. 12 साल में 3 साल मैंने लगातार जेल काटी, तब जाकर मैं आज कोर्ट से बरी हुआ. मुकदमा मैं 11 से 12 साल लड़ता रहा. 

उन्होंने बताया कि नंबर प्लेट पर कभी मिट्टी वगैरह लग जाती है तो पुलिस को पैसे नहीं दो और उनसे कानून की बात करो तो वह कहते हैं कि कानून हम तुझे बताएंगे और हम पर जबरदस्ती का यह केस लाद दिया गया. इस केस से मेरी पूरी जिंदगी बर्बाद हो गई. मेरी जिंदगी थी खेलने कूदने की, पूरा मुकदमा लड़ने में गुजर गई. 

खाने को ढंग से रोटी नहीं मिलती थी- कमर
कमर अहमद ने कहा कि मैं शुक्रगुजार हूं जज साहब का, जिन्होंने मुझे बरी किया है. बहुत परेशानी का दौर गुजरा, कभी मैंने जीवन में नहीं सोचा था कि जेल ऐसी चीज होती है. आज तक फिल्मों में देखा था. अब जेल काटी तो जेल में परेशानी देखी. बहुत बुरी परेशानी होती है. खाने को ढंग से रोटी नहीं मिलती है. अब मैं कहता हूं कि सरकार मेरे बीते हुए दिन लौटा सकती है, नहीं लौटा सकती, अब तो मेरी पूरी जिंदगी बर्बाद हो गई. अब मैं यही चाहता हूं कि मुझे चैन सुकून से रहने दिया जाए. अकसर पुलिस आती जाती है. क्या काम कर रहे हैं? कहां रह रहे हैं? पूरा डाटा चाहिए. अब मुझे छोड़ दो. आप जानते हो, जब जिंदगी से आदमी परेशान हो जाता है तो क्या करता है. वही करने को मजबूर होता है.

सबूत नहीं दे पाई पुलिस- वकील
कमर अहमद के अधिवक्ता अकील अहमद ने बताया कि पुलिस ने थाना बिलासपुर में यह मुकदमा लिखाया था और कमर अहमद जो है, उसको गांव के भट्टे से उठाया गया था और वहां से मोटरसाइकिल बरामद दिखाई गई थी. लेकिन उस मोटरसाइकिल के वाहन स्वामी की पुलिस द्वारा कोई जांच नहीं की गई. उसका मालिक कौन है और कहां से चोरी की गई है. जिसका लाभ कमर अहमद को मिला, उसी का लाभ देते हुए न्यायालय ने बरी किया है कमर अहमद जब भी तारीख पर आता था, उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और मुझसे कहता था कि परिवार में काफी परेशानी चल रही है. वह बरेली के शीशगढ़ से आता था. वहां से तारीख करने आता था. बीच में कई बार वारंट हो गए थे तो तब भी जेल गया था कमर अहमद.

(आमिर खान की रिपोर्ट)

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