
क्या आपको लगता है कि बादलों और बारिश के मौसम में सूरज की किरणें आपकी त्वचा तक नहीं पहुंचतीं? अगर हां, तो आप अपनी स्किन को खतरे में डाल रहे हैं. दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के सीनियर डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. ऋषि पराशर का कहना है कि मॉनसून के दौरान सनस्क्रीन को स्किप करना स्किनकेयर की सबसे बड़ी गलती हो सकती है.
दरअसल, बादल सूरज की अल्ट्रावॉयलेट (UV) किरणों को रोक नहीं पाते. यहां तक कि गीली सतहों और पानी की बूंदों से टकराकर ये किरणें और ज्यादा तेजी से आपकी त्वचा तक पहुंच सकती हैं. यही वजह है कि मॉनसून में भी स्किन डैमेज, टैनिंग, एजिंग और यहां तक कि स्किन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
क्यों जरूरी है मॉनसून में भी सनस्क्रीन?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. पराशर बताते हैं, “क्लाउडी दिनों में भी 80% तक UV रेडिएशन धरती तक पहुंच जाता है.”
मॉनसून में किस तरह का सनस्क्रीन चुनें?
1. Broad Spectrum Sunscreen- जिसमें SPF 50 या उससे ज्यादा हो और जो UVA व UVB दोनों से बचाए.
2. Mineral Sunscreen- जिनमें Zinc Oxide या Titanium Dioxide हो. ये संवेदनशील त्वचा के लिए बेहतर हैं.
3. Lightweight Gel-based Sunscreen- मॉनसून की नमी में भारी क्रीम पोर्स को ब्लॉक कर सकती है. इसलिए हल्का, नॉन-ग्रीसी प्रोडक्ट चुनें.
4. Water-resistant Options- अगर आप बाहर ज्यादा समय बिताते हैं तो वॉटर-रेसिस्टेंट सनस्क्रीन लें, लेकिन हर 2 घंटे में दोबारा लगाना न भूलें.
सनस्क्रीन लगाने का सही तरीका
मॉनसून स्किनकेयर के और टिप्स
SPF 30 vs SPF 50- फर्क क्या है?
SPF का मतलब है कि आपकी त्वचा को UVB किरणों से कितनी देर तक सुरक्षा मिलेगी. SPF 50, SPF 30 से थोड़ा ज्यादा प्रोटेक्शन देता है, लेकिन UVA प्रोटेक्शन के लिए हमेशा Broad Spectrum लिखा होना जरूरी है.