
अब खेती सिर्फ हल चलाने या खेतों में सुबह-शाम दौड़ने तक सीमित नहीं रही. अमरावती के खारपी गांव के किसान गौरव बिजवे ने ये साबित कर दिया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) भी खेतों की देखभाल कर सकती है. उनके मोबाइल फोन पर एक ऐप की मदद से वे अपने 1,200 संतरे के पेड़ों की पूरी जानकारी हासिल करते हैं, वो भी बिना खेत में गए.
15 मिनट में मिलती है फसल की पूरी जानकारी
गौरव की 8 एकड़ की संतरे की बगिया में लगे सोलर-पावर्ड सेंसर हर पेड़ की नमी, तापमान और पोषक तत्वों का ध्यान रखते हैं. ये सेंसर सैटेलाइट से जुड़ी AI टेक्नोलॉजी के जरिए आंकड़ों का विश्लेषण करते हैं और स्मार्ट सिंचाई और खाद प्रबंधन की सलाह देते हैं.
गौरव बताते हैं, “रोजाना सिर्फ 15 मिनट में मुझे अपनी फसल का पूरा हाल मिल जाता है. नमी का स्तर ठीक है, कीटों का खतरा नहीं है, और पोषक तत्व सही हैं. अगर कहीं कुछ गलत हुआ तो तुरंत नोटिफिकेशन आता है.”
कम पानी, कम खर्च, ज्यादा पैदावार
इस AI तकनीक से खेती का तरीका पूरी तरह बदल गया है. अब पेड़ों को जितनी पानी की जरूरत होती है, उतनी ही मिलती है, जिससे पानी की बचत 50% से भी ज्यादा हो चुकी है. साथ ही कीटनाशकों और फफूंदनाशकों का इस्तेमाल भी घटा है क्योंकि कीटों का पता तुरंत चल जाता है. फसल भी पहले से बेहतर है. हर पेड़ पर 1,000 से 1,500 संतरे लगते हैं, वो भी बुरा मौसम होने के बावजूद. गौरव के पिता विजय बिजवे कहते हैं, “जब आसपास के 15 किलोमीटर तक के खेतों में फल नहीं होते, हमारे पेड़ फलों से लदे होते हैं. ये पहली बार है जब हमें उम्मीद है कि हम अच्छा मुनाफा कमाएंगे.”
इतने में तैयार हुई ये AI तकनीक
गौरव ने इस पूरी AI तकनीक पर करीब 60,000 रुपये खर्च किए, जिसमें सेंसर, सोलर पैनल और ऐप शामिल हैं. वे कहते हैं, “शुरुआत में ये लग सकता है महंगा, लेकिन जो फायदा मिला है वो उससे कई गुना ज्यादा है. समय, पैसा, और मेहनत बची है.”
AI की मदद से फल उठी संतरे की बगिया
इस सफल प्रयोग की चर्चा आसपास के जिलों अमरावती, अकोला, वाशिम और यवतमाल तक फैल गई है. किसान और कृषि विशेषज्ञ दूर-दूर से आकर खारपी गांव की इस मॉडल फार्म को देख रहे हैं. विदर्भ क्षेत्र जो कभी कृषि संकट से जूझता था, आज यहां की संतरे की बगिया में नयी उम्मीदें जाग रही हैं. किसान गौरव बिजवे ने यह दिखा दिया है कि आधुनिक तकनीक से परंपरागत खेती भी बदल सकती है.