

बिहार के समस्तीपुर में नागपंचमी के दिन हर साल सांपों का अद्भुत मेला लगता है. इस अद्भुत मेले को देखने के लिए दूसरे राज्यों से काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं. ऐसी मान्यताएं है कि इस मेले में मांगी गई मुरादें पूरी होती है. विगत तीन सौ वर्षों से परंपरागत तरीके से सांपों के मेले का आयोजन हो रहा है.
नदी से सांपों को निकालते हैं भगत
समस्तीपुर जिले के सिंघिया में नागपंचमी के दिन एक अद्भुत सांपों का मेला लगाया जाता है. इसमें बूढ़ी गंडक नदी से सैकड़ों की संख्या में भगत सांपों को डुबकी लगाकर बाहर निकालते हैं. इस मेले को देखने के लिए देश के विभिन्न क्षेत्रों से काफी संख्या में लोग आते हैं. नागपंचमी पर लगने वाले इस सांपों के मेले का इतिहास लगभग तीन सौ साल पुराना है.
कई प्रजातियों के सांप निकालते हैं बाहर
हजारों की संख्या में लोग श्रद्धापूर्वक इस सांपों के मेले को देखने के लिए हर साल आते हैं. नदी से भगत तरह-तरह के प्रजातियों के सांप निकालते हैं और लोग उसपे ताली बजाकर काफी खुश होते है. भगत सांपों को नदी में डुबकी लगाकर हांथ और मुंह से पकड़ कर बाहर निकालते हैं. इसे देख कर लोग काफी अचंभित भी हो जाते है.
मां भगवती के मंदिर में करते हैं पूजा
मेले के शुरुआत में भगत सिंघिया बाजार स्थित मां भगवती के मंदिर से पूजा-अर्चना कर ढोल तासे के साथ बूढ़ी गंडक नदी पहुंचते हैं. इसके बाद नदी में भी पूजा-अर्चना कर डुबकी लगाते हैं. फिर शुरू हो जाता है नदी से सांपों को निकालने का सिलसिला. इस तरह से नदी से सांपों को निकालने के हैरतअंगेज मेला को देख कुछ लोग जहां अचंभित होते हैं, वहीं कई लोग इसे श्रद्धा से जोड़ कर भगवान का चमत्कार बताते हैं.
मेले का है विशेष महत्व
लोगों का कहना है की इस सांपों के मेले के दिन मांगी गईं मुरादें पूरी हो जाती हैं. भगत का कहना है कि सिद्धि पूरी होने पर नदी से निकाले गए सांपों को सुरक्षित स्थानों पर छोड़ दिया जाता है. इस तरह का अद्भुत सांपों का मेला दूसरी जगह देखने को नही मिलता है. यही कारण है कि इस मेले का एक अलग ही महत्व है. लोगों की मान्यता है कि समस्तीपुर जैसे जिले में एक जगह ऐसे मेले का आयोजन होता है, जो पुरे भारत में सिर्फ यहीं पर होता है.