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वाह ताज! तो ऐसे तैयार हुई थी Taj Mahal की दीवारों पर 370 साल पहले 3D प्रिंटिंग    

दरअसल, ताज महल में हर पत्थर को अलग तरह से दूसरे पत्थर के साथ जोड़ा गया है. इसमें एक पत्थर की  नक्काशी को दूसरे के साथ इस तरह से मैच किया गया है कि आपको दूर से देखने पर ऐसा लगेगा की ये एक ही पत्थर से बना है. 

Taj Mahal Taj Mahal
हाइलाइट्स
  • लहराती हुई नक्काशी आती है नजर 

  • यहां हर पत्थर चमकता है 

कहते हैं दुनिया में अगर सबसे खास और नायब अगर कोई इमारत है तो वह ताज है. दूर-दूर से आने वाले लोग जब इस इमारत की एक झलक देखते हैं, तो इस इमारत की खूबसूरती को कैमरे में कैद किए बिना नही रह पाते हैं. आपको बता दें कि ताज महल का निर्माण 1631 में शुरू हुआ था और ये 1653 में बनकर तैयार हुआ. 

हर नक्काशी के साथ मिलती है एक अलग झलक

दरअसल, ताज महल के अंदर और बाहर आपको हर नक्काशी के साथ एक अलग झलक देखने को मिलती है. यहां हर पत्थर चमकता है. ये एकदम थ्री-डी जैसा लगता है. लेकिन क्या आप इसकी वजह जानते हैं? असल में हर पत्थर को अलग तरह से दूसरे पत्थर के साथ जोड़ा गया है. इसमें एक पत्थर की  नक्काशी को दूसरे के साथ इस तरह से मैच किया गया है कि आपको दूर से देखने पर ऐसा लगेगा की ये एक ही पत्थर से बना है. 

थ्री-डी नजर आते हैं पत्थर 

ताज महल के अंदर और बाहर दोनों तरफ कई नायब पत्थरों का प्रयोग किया गया है. इन पत्थरों को इस तरह से काटकर लगाया गया है कि पिलर या एल लाइन से जब भी आप देखेंगे तो ये आपको लहराते हुए नजर आएंगे. वहीं, जब इनपर लाइट पड़ती है तो हर पत्थर से आपको अलग रंग निकलता हुआ नजर आएगा. एक तरह से कहा जाए तो ताज महल 3डी प्रिंटिंग का एक नायब नमूना है जो 370 साल पहले अलग तरीके से तैयार किया गया था.