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Toilet Clinic Muzaffarpur: क्या है टॉयलेट क्लिनिक... मुजफ्फरपुर की इस महिला मुखिया की पहल लाई रंग... सैकड़ों ग्रामीण स्वच्छता के प्रति हुए जागरूक... यूनिसेफ ने भी सराहा 

Toilet Clinic: बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बहनगरी पंचायत की मुखिया बबीता कुमारी ने टॉयलेट क्लिनिक के माध्यम से सैकड़ों बंद टॉयलेट को बनवाया है. इससे पंचायत की तस्वीर ही बदल गई है. सैकड़ों ग्रामीण स्वच्छता के प्रति जागरूक हुए हैं. यूनिसेफ ने अपनी रिपोर्ट में इसकी चर्चा की है. 

Toilet Clinic Toilet Clinic
हाइलाइट्स
  • बहनगरी की मुखिया बबीता कुमारी ने टॉयलेट क्लिनिक के माध्यम से सैकड़ों बंद टॉयलेट को बनवाया

  • मुखिया बबीता कुमारी के इस अभिनव प्रयास को अंतरराष्ट्रीय संस्था यूनिसेफ ने सराहा

कहते हैं, जब नीयत साफ हो और इरादे मजबूत तो कोई भी बदलाव असंभव नहीं होता. इसी सोच को जमीन पर उतारा है बिहार के मुजफ्फरपुर जिले स्थित बहनगरी विशनपुर पंचायत की मुखिया बबीता कुमारी ने. कोरोना काल में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से अपने गांव लौटने वाली बबीता कुमारी ने  टॉयलेट क्लिनिक के जरिए आज पंचायत की तस्वीर बदल दी है. आइए जानते हैं कैसे?

पंचायत का प्रतिनिधित्व करने का लिया निर्णय 
कोरोना महामारी के दौरान बबीता कुमारी अपने पति के साथ दिल्ली से वापस गांव लौटी थीं. गांव पहुंचने पर उन्होंने महसूस किया कि यहां की असली जरूरतें स्वच्छता और बुनियादी सुविधाएं हैं. गांव के लोगों से जुड़ाव इतना गहरा हुआ कि उन्होंने पंचायती व्यवस्था में सक्रिय होकर पंचायत का प्रतिनिधित्व करने का निर्णय लिया.

टॉयलेट क्लिनिक मॉडल
मुखिया बनने के बाद सबसे पहले उन्होंने पंचायत में वर्षों से बंद पड़े सैकड़ों शौचालयों को पुनः चालू कराने की दिशा में काम शुरू किया. इन शौचालयों को टॉयलेट क्लिनिक मॉडल के माध्यम से मरम्मत कराकर उपयोग के योग्य बनाया गया. यह मॉडल न सिर्फ स्वच्छता की दिशा में एक बड़ी पहल साबित हुआ, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य और जीवनशैली में भी बदलाव लाया.

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...तो पड़ते हैं दूरगामी प्रभाव
मुखिया बबीता कुमारी के इस अभिनव प्रयास को अंतरराष्ट्रीय संस्था यूनिसेफ ने भी सराहा है. यूनिसेफ की रिपोर्ट में इसे 'परिवर्तन की लहरें' शीर्षक के अंतर्गत स्थान दिया गया है, जो इस बात का प्रमाण है कि जब स्थानीय नेतृत्व ईमानदारी से काम करता है, तो उसका प्रभाव दूरगामी पड़ता है. पंचायत की महिलाएं, बच्चों और बुजुर्गों ने इस बदलाव को महसूस किया है. अब लोग न सिर्फ शौचालयों का उपयोग कर रहे हैं, बल्कि स्वच्छता के प्रति जागरूक भी हो रहे हैं. इस प्रयास ने पंचायत को एक आदर्श मॉडल के रूप में स्थापित कर दिया है.

क्या बोलीं मुखिया बबीता कुमारी 
मुखिया बबीता कुमारी ने कहा कि गांव मेरा घर है. जब मैं दिल्ली से वापस आई, तो मुझे लगा कि सिर्फ शिकायत करने से कुछ नहीं होगा. खुद जुड़कर काम करना होगा. यही सोच थी और आज उसका असर पूरी पंचायत में दिखाई देता है. मुखिया बबीता कुमारी ने बताया कि बने हुए टॉयलेट में छोटी-मोटी टूट-फूट के कारण लोग उसे इस्तेमाल करना छोड़ देते थे, क्योंकि जब टूट-फूट होता है तो लोगों के इसे बनवाने में काफी रुपए खर्च करने पड़ते थे. ऐसे में ग्रामीण इलाके के लोग उसे जल्द नहीं बनवाते थे. 

इस क्रम में लगभग तीन साल पहले एक टॉयलेट क्लिनिक का प्रपोजल आया था. उसको हम लोगों ने अपनी पंचायत में लागू किया. इस टॉयलेट क्लिनिक के लिए लोगों के जरूरत के मुताबिक बालू, सीमेंट, सीट और अन्य चीजें उपलब्ध कराई जाती हैं. सभी चीजें कम पैसे में लोगों को उपलब्ध कराई जाती हैं. इस वजह से लोग अपने शौचालयों का मरम्मत करवाते हैं. टॉयलेट टूटने-फूटने के कारण महिलाएं बाहर शौच के लिए जाने लगी थी. इस दौरान महिलाएं से बातचीत हुई तो उन्होंने अपनी परेशानी मुझे बताया. इसको ध्यान में रखते हुए टॉयलेट क्लिनिक के माध्यम इन सारी समस्याओं को हमने दूर किया. आज सभी महिलाएं टॉयलेट का इस्तेमाल कर रही हैं. 

(मुजफ्फरपुर से मणि भूषण शर्मा की रिपोर्ट)