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Advice Pollution: लोगों की ज़िंदगी में उलझन पैदा कर रहा, ‘थिंग्स आई हैव लर्न्ड’ वाला टेंड्र... जानें एडवाइस पॉलूशन की एबीसीडी

सोशल मीडिया पर ‘थिंग्स आई हैव लर्न्ड’ जैसे ट्रेंड्स तेजी से वायरल हो रहे हैं. हर कोई जीवन जीने के टिप्स और सलाहें साझा कर रहा है, लेकिन लगातार मिलने वाली ये अनचाही सलाहें अब यूजर्स को थकाने लगी हैं. विशेषज्ञ इसे ‘एडवाइस पॉल्यूशन’ कहते हैं, जो मानसिक थकावट और भ्रम को बढ़ा रहा है.

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हाल के दिनों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक ट्रेंड तेजी से फैल रहा है – “थिंग्स आई हैव लर्न्ड”. लोग अपने अनुभवों के नाम पर जीवन जीने के नियम साझा कर रहे हैं. कोई कहता है कि ये टिप्स आपके दिमाग की केमिस्ट्री बदल देंगे, तो कोई न्यूट्रिशन और फिटनेस के खास नियम बताता है. कई लोग शहरों में कुछ वक्त बिताकर वहां की “खास बातें” भी शेयर कर रहे हैं.

सामान्य बातें, विशेषज्ञों जैसा अंदाज
इन सलाहों की खासियत यह है कि ये अक्सर बहुत सामान्य होती हैं – जैसे प्रकृति से जुड़ना, फोन को थोड़ी देर के लिए नीचे रखना, दोस्तों से बातें करना या जिज्ञासु बने रहना. लेकिन इन्हें ऐसे प्रस्तुत किया जाता है जैसे कोई विशेषज्ञ बोल रहा हो. शुरुआत में ये बातें आकर्षक लगती हैं, पर अब कई यूजर्स कह रहे हैं कि यह कंटेंट उन्हें थकाने लगा है.

क्या है ‘एडवाइस पॉल्यूशन’?
इस स्थिति को विशेषज्ञ ‘एडवाइस पॉल्यूशन’ (सलाह प्रदूषण) कह रहे हैं. यह एक आधुनिक मानसिक समस्या है, जिसमें व्यक्ति को हर तरफ से अनचाही, असंगत या अत्यधिक सलाहें मिलती रहती हैं. चाहे सोशल मीडिया हो, परिवार और रिश्तेदार हों, या फिर ऑफिस के सहकर्मी. लगातार मिलने वाली यह जानकारी मानसिक थकावट और भ्रम पैदा कर देती है.

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इंटरनेट अब जुड़ाव का माध्यम नहीं रहा
ओक्लाहोमा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेनसन मूरे के अनुसार, यूजर्स को अब पुराने इंटरनेट की याद आने लगी है. पहले लोग मीम्स शेयर करते थे, ब्लॉग लिखते थे और इंटरनेट मनोरंजन व जुड़ाव का जरिया था. लेकिन अब हर पोस्ट एक “बुलेट-पॉइंटेड प्लान” की तरह बन गया है. परिणामस्वरूप, इंटरनेट मज़ेदार कम और दबाव देने वाला ज़्यादा लगने लगा है.

आकर्षण से उलझन तक का सफर
यूजर्स मानते हैं कि जब वे उलझन में होते हैं, तो ऐसी सलाहें उन्हें आकर्षित करती हैं. लेकिन बार-बार इन्हें पढ़ने के बाद भी कोई वास्तविक समाधान नहीं मिलता. उल्टा भ्रम और बढ़ जाता है. असल में ये कंटेंट अधिकतर एंगेजमेंट बढ़ाने के लिए बनाए जाते हैं, न कि जीवन की जटिलताओं का हल देने के लिए.

फर्जी जानकारी का खतरा
कुछ मामलों में तो यह और खतरनाक हो सकता है. जैक ब्रूस बताते हैं कि उनके 80 वर्षीय पिता भी ऐसे टिप्स के आदी हो गए हैं. कई बार वे फर्जी जानकारियां भी शेयर कर देते हैं और स्कैम का शिकार भी हो चुके हैं. भले ही उन्हें फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट्स के बारे में बताया गया है, लेकिन अक्सर उन्हें यह समझ नहीं आता कि किस जानकारी पर शक करना है और उसकी जांच कैसे करनी है.