
Rajasthan Royals Pink Promise
Rajasthan Royals Pink Promise राजस्थान रॉयल्स (Rajasthan Royals) और मुंबई इंडियंस (Mumbai Indians) के बीच 1 मई 2025 को एसएमएस स्टेडियम में खेले जाने वाला मैच सिर्फ क्रिकेट का रोमांच ही नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का प्रतीक भी है. यह मुकाबला IPL 2025 का आधिकारिक पिंक प्रॉमिस मैच घोषित किया गया है. इस खास मैच में हर बार छक्का लगने पर सांभर क्षेत्र के 12 घरों को सौर ऊर्जा से रोशन किया जाएगा. इनमें से 6 घर राजस्थान रॉयल्स फाउंडेशन (RRF) और 6 घर ल्यूमिनस पावर टेक्नोलॉजीज की ओर से रोशन किए जाएंगे.

क्या है इस पहल का उद्देश्य
इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को नेतृत्व और तकनीकी प्रशिक्षण के जरिए सशक्त बनाना है. RRF की ओर से चलाया जा रहा पिंक प्रॉमिस अभियान ऐसे ही बदलाव की मिसाल है, जिसमें कई महिलाएं अब सर्टिफाइड सोलर इंजीनियर बन चुकी हैं. पिछले वर्ष RRF ने 260 घरों तक सौर ऊर्जा पहुंचाई थी.
क्या है पिंक प्रॉमिस
पिंक प्रॉमिस राजस्थान रॉयल्स फाउंडेशन की एक सामाजिक पहल है, जिसका मकसद गांवों में महिलाओं के नेतृत्व में बदलाव लाना है. इसकी शुरुआत ग्रामीण घरों में सौर ऊर्जा पहुंचाने से हुई है, खासकर उन इलाकों में जहां बिजली नहीं थी या बहुत सीमित थी. आगे चलकर यह अभियान जल संरक्षण और सतत आजीविका के क्षेत्रों में भी विस्तार करेगा.
नया लक्ष्य 200 और घरों तक सौर ऊर्जा पहुंचाना
मार्च 2025 तक 260 घरों में सोलर लाइटिंग पहुंचाई जा चुकी है. इससे 1500 से अधिक ग्रामीणों को लाभ हुआ है. फिलहाल चार महिलाओं को सोलर इंजीनियर के रूप में प्रशिक्षित किया गया है और अब 4 नई महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं, जो 200 अतिरिक्त घरों को सौर ऊर्जा से रोशन करेंगी.

एक मिशन, जो ला रहा बदलाव
RRF सीईओ दिलीप पांडे का कहना है कि पिंक प्रॉमिस एक मिशन है, जो महिलाओं को सशक्त बनाता है और उनके नेतृत्व को आगे लाता है. ल्यूमिनस की एमडी और सीईओ प्रीति बजाज ने कहा कि खेल और सामाजिक उद्देश्य मिलकर बड़ा परिवर्तन लाते हैं.
पिंक प्रॉमिस जर्सी की खासियत
इस साल पिंक प्रॉमिस जर्सी भी लॉन्च की गई है. इसका डिजाइन चित्तौड़गढ़ के विजय स्तंभ से प्रेरित है, जबकि पीले कॉलर का रंग सूर्य का प्रतीक है. खास बात यह है कि इस जर्सी पर उन महिलाओं के नाम लिखे गए हैं, जो इस अभियान में सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं.

थारवी देवी गांव की पहली सोलर इंजीनियर
थारवी देवी पहले अंधेरे में जीवन बिताती थीं. अब वे गांव की पहली सोलर इंजीनियर बन चुकी हैं. उनके गांव में अब बच्चे रात में पढ़ सकते हैं, महिलाएं सिलाई कर सकती हैं और मोबाइल चार्ज करना भी संभव हुआ है. उन्होंने पांच महीने का तकनीकी प्रशिक्षण लिया है. पहले लोग उन्हें ताना मारते थे, अब उन्हें ‘इंजीनियर बहन’ कहा जाता है. थारवी देवी कहती हैं, औरतें भी सब कुछ कर सकती हैं, शुरुआत मुश्किल होती है, लेकिन रास्ते खुद बनते जाते हैं.