
हमारे देश में ग्राम पंचायत के सरपंच काम नहीं करते हैं. यह वेदना कई ग्रामीणों के मूंह से सुनने को मिल जाती है. इसी वेदना के शिकार एक युवक ने भिखारी का भेष धारण कर गांव में भीख मांगने का फैसला किया. यह सुनकर आपको अचरज लग रहा होगा मगर यह सच है. गांव के रास्तों पर भिखारी भेष धारण कर भीख मांगते हुए युवक की तस्वीर भी सामने आई है. उनके साथ इस काम में गांव की महिलाएं और पुरुष भी शामिल हैं.
फटे कपड़े पहने, हाथ में लिया कटोरा
गुजरात के सूरत जिले के जोलवा ग्राम पंचायत में रहने वाले सुजीत जब हाथ में कटोरा और गले में जूते-चप्पल की माला पहनकर सड़क पर भिखारी बनकर भीख मांगने निकले तो उन्होंने कई लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा. उन्होंने भिखारी बनने के लिए फटे कपड़े पहने. साथ ही अपने गले में जूते चप्पल की माला भी पहनी. जब सुजीत इस हालत में घर से निकले तो गांव के और भी लोगों ने उनका साथ दिया.
सुजीत की जानकारी मिलते ही पुलिस प्रशासन भी उनके पीछे-पीछे पहुंच गया. पुलिस ने उन्हें समझाने की कोशिश भी की लेकिन उन्होंने कहा कि वह कोई कानून नहीं तोड़ रहे. इसके बाद वह सीधा ग्राम पंचायत के ऑफिस पहुंचे और वहां बैठकर भीख मांगने लग गए. वहां भी पुलिस ने उन्हें समझाने-बुझाने की पूरी कोशिश की. वह पुलिस के लोगों से यही कहते रहे कि वह कोई नियम नहीं तोड़ रहे बल्कि सिर्फ भीख मांग रहे हैं.
भीख मांगने पर क्या बोले सुजीत?
सुजीत ने भीख मांगने का कारण बताते हुए कहा कि ग्राम पंचायत के सरपंच उनकी समस्या को नहीं सुनते हैं. उन्होंने दावा किया कि जोलवा की सरपंच एक महिला हैं लेकिन उनके पति शासन चलाते हैं. महिला सरपंच के पति के पास जब कोई किसी काम के लिए जाता है तो वह उन्हें दुत्कार देते हैं. जब सुजीत को भी सरपंच कार्यालय में दुत्कार का सामना करना पड़ा तो उन्होंने भिखारी बनकर भीख मांगने का फैसला किया.
सुजीत मीडिया से बातचीत में कहते हैं, "पंचायत के पास कोई कुछ मांगने के लिए आता है... जैसे किसी को होम टेक्स का काम है या किसी को स्कूल का काम है तो उसे टाल दिया जाता है. कहते हैं 75% घरवेरा (होम टैक्स) होगा तो ही उन्हें सुविधाएं मिलेंगी. मेरा कहना है कि आप लिखित रूप से दे दो कि आपके पास 75 प्रतिशत घरवेरा होगा तो ही आपको सुविधा दी जाएगी. आप सभी सोसाइटियों में जाकर देखिए तो वहां पर लाइट की सुविधा नहीं है, पानी की सुविधा नहीं है, स्ट्रीट लाइट की सुविधा नहीं है."
वह कहते हैं, "प्रशासन पर लोग भरोसा करते हैं लेकिन सरपंच को कोई भी कुछ कहने जाता है तो वह सुनती नहीं हैं. महेश भाई (सरपंच के पति) सरपंच नहीं हैं. उनकी पत्नी सरपंच हैं लेकिन महेश भाई शासन करते हैं. हम स्कूल के एडमिशन के लिए जाते हैं तो कह देते हैं कि स्कूल में एडमिशन फुल हो गया है. इसलिए हम भीख मांग रहे हैं क्योंकि जोलवा ग्राम पंचायत में हमें कोई सुविधा नहीं मिल रही है."
सुजीत का कहना है कि ग्रामीणों ने दो-तीन महीने पहले भी यहां चक्का जाम किया था. अभी 15 दिन पहले चार करोड़ रुपए का रोड पास हुआ है लेकिन अभी इसपर काम शुरू नहीं किया गया है. वह कहते हैं, "यह लोग चुनाव के समय पर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं कि हम लोगों के लिए काम कर रहे हैं. हम लोगों के लिए हैं तो यह लोगों के लिए किस तरह से हैं? हमारे कहने का मतलब है कि जब आप सरपंच नहीं हैं आपकी पत्नी सरपंच है तो आपको इस पद पर बैठने का कोई हक नहीं है."
(सूरत से संजय सिंह राठौड़ की रिपोर्ट)