scorecardresearch
धर्म

Bhagavad Gita lessons: ओवरथिंकिंग पर काबू पाने के लिए भगवद गीता से 5 जीवन पाठ क्या हैं?

 भाग-दौर की जिंदगी
1/7

आज की शहरी भाग-दौर की जिंदगी में ओवरथिंकिंग एक ऐसी आदत बन गई है, जिसको हम सब लोग छोड़ना चाहते हैं पर ओवरथिंकिंग को छोड़ने में हमारा बस नहीं चल पाता. छोटी-सी बात भी दिमाग में ऐसे घूमती रहती है कि जैसे सबसे जरूरी हो, लेकिन वह बात उतनी जरूरी और बड़ी भी नहीं होती. ओवरथिंकिंग से केवल मन बेचैन रहता है, नींद कम हो जाती है, काम में मन नहीं लगता, और दिल हमेशा डर या शक से घिरा रहता है. 

ओवरथिंकिंग, सेहत के लिए शराब और सिगरेट से भी ज्यादा खतरनाक है.
2/7

आज के वक्त में ओवरथिंकिंग, सेहत के लिए शराब और सिगरेट से भी ज्यादा खतरनाक है. लेकिन भगवद गीता, जो जीवन का एक गहरा मार्गदर्शन है. इस समस्या से बाहर निकलने का बेहद आसान रास्ता दिखाती है. अगर आप इसके उपदेशों को पढ़ेंगे तो आप जिंदगी को एक अलग नजर से देखना शुरू कर देंगे. गीता में श्रीकृष्ण ने मन को शांत रखने और अनावश्यक विचारों पर नियंत्रण पाने के कई तरीके बताए हैं.

कर्म कर फल की चिंता त्याग दे
3/7

कर्म कर फल की चिंता त्याग दे
ओवरथिंकिंग की सबसे बड़ी वजह होती है भविष्य की उस बात को सोच कर डर जाना जो होगी या नहीं, यह खुद भगवान जानते हैं यह भविष्य. गीता कहती है कि इंसान सिर्फ अपने कर्मों का मालिक है, न कि परिणामों का.
इसका मतलब है, हम वह करें जो हमारे हाथ में है, बाकी ईश्वर पर छोड़ दें. जब आप बिना किसी स्वार्थ के काम पर ध्यान देंगे बजाय नतीजों पर ध्यान देने के तो, मन हल्का होगा और अनावश्यक विचार खुद ही कम हो जाएंगे.

मन चंचल है, इसे संभालें 
4/7

मन चंचल है, इसे संभालें 
श्रीकृष्ण कहते हैं कि हमारा मन ही हमारा दोस्त भी है और दुश्मन भी. अगर मन को सही दिशा दी जाए तो यह हमें ऊंचाइयों तक ले जाता है, लेकिन अगर मन पर नियंत्रण न हो तो, यह चिंता और भ्रम में डाल देता है जिसको हम ओवरथिंकिंग बोल सकते हैं. 

जो हो गया, उसे जाने दो
5/7

जो हो गया, उसे जाने दो
गीता बताती है कि अतीत की बातें पकड़कर बैठना दुख का बड़ा कारण है. ज्यादातर लोग पुरानी बातें याद करके परेशान रहते हैं. किसने क्या कहा था, क्या गलती हो गई, क्या होना चाहिए था. लेकिन सच्चाई यह है कि अतीत कभी बदल नहीं सकता. जब मन इस बात को स्वीकार करता है, तब ओवरथिंकिंग अपने आप कम होने लगती है.

चिंता चिता के समान है
6/7

चिंता चिता के समान है
गीता में श्रीकृष्ण समझाते हैं कि चिंता इंसान को अंदर से खा जाती है. ओवरथिंकिंग इसलिए बढ़ती है क्योंकि हम हर चीज को लेकर डरते हैं और ज्यादा सोचते हैं, जैसे क्या होगा? क्यों होगा? कैसे होगा? अगर हम हर समस्या को ,सोच कर बड़ा बना देंगे तो मन के साथ-साथ शरीर भी बड़ा तनाव में रहेगा. ज्यादा सोचने से हार्ट और ब्लड सुगर जैसी और उनसे जुड़ी बीमारियों जल्दी हमें घेरने लगती है.

स्वयं पर विश्वास ही सबसे बड़ी ताकत है
7/7

स्वयं पर विश्वास ही सबसे बड़ी ताकत है
अगर अर्जुन सोच लेते कि पितामह और कर्ण जैसे माहारथी के आगे वह कैसे लड़ पाएंगे, तब शायद वह हार जाते. लेकिन उन्होंने न तो भविष्य की चिंता की और न ही खुद को कभी किसी से कम समझा.
ओवरथिंकिंग का असली कारण अक्सर यह होता है कि हम खुद पर भरोसा नहीं करते. गीता में श्रीकृष्ण बार-बार अर्जुन से कहते हैं, 'उठो, अपने आप पर विश्वास करो, तुममें शक्ति है.' भले श्रीकृष्ण के समझाने पर ही लेकिन अर्जुन को भी यह बात समझ आ गई कि हम खुद पर विश्वास करके ही खुद को युद्ध और मानसिक युद्ध से जितवा सकते हैं. इसलिए अपनी क्षमता पर भरोसा रखें, अपने फैसलों पर विश्वास रखें.