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Baghpat: धर्म से मुस्लिम, पेशे से डॉक्टर... सावन में 23 सालों से शिवभक्तों की कर रहे हैं सेवा

सावन की गूंज और 'बोल बम' के जयकारों के बीच अगर आपको कोई टोपी पहने, लंबी दाढ़ी वाला शख्स 'जय भोले' बोलता दिखे तो हैरान मत होना. ये बागपत के बाबू खान है. ये पेशे से डॉक्टर हैं. लेकिन दिल से भोलेनाथ के भक्त हैं. बाबू खान पिछले 23 सालों से शिवभक्तों की सेवा में जुटे हैं.

Muslim Shiv Bhakt Muslim Shiv Bhakt

सावन का महीना, सड़कों पर शिवभक्तों की कतार, कंधों पर गंगाजल और हर ओर 'हर हर महादेव' के जयकारे. लेकिन इस बार कुछ ऐसा हुआ, जिसने सबका ध्यान खींचा. भीड़ में एक शख्स ऐसा भी था, जो ना तो कांवड़ लेकर चला, ना तिलक लगाए था और ना ही भगवा पहना था. सिर पर सफेद टोपी, चेहरे पर लंबी दाढ़ी, लेकिन जब उसने बोला 'जय भोलेनाथ', तो वहां मौजूद हर शख्स ठहर गया. भोलेनाथ के ये मुस्लिम भक्त पेशे से एक डॉक्टर हैं. लेकिन बागपत के इस डॉक्टर का दिल भोलेनाथ की भक्ति में है.

भोलेनाथ का मुस्लिम भक्त-
भोलेनाथ के इस भक्त का नाम डॉ. बाबू खान उर्फ बाबू मलिक है. मुस्लिम नाम के ये भक्त बागपत के रहने वाले  है और पेशे से एक डॉक्टर हैं. डॉ. बाबू खान पिछले 23 सालों से सावन में कांवड़ियों की सेवा में जुटे हैं. न धर्म देखा, न जात देखा, इन्होंने हर कांवड़ियों की सेवा की. डॉ. बाबू खान हर साल कांवड़ यात्रा में मेडिकल कैंप लगाते हैं. शिवभक्तों को दवाएं बांटते हैं, थके हुए यात्रियों को विश्राम की सुविधा देते हैं और जरूरत पड़ने पर खुद उठकर इलाज भी करते हैं.

मरीज की सेवा सबसे बड़ा धर्म- बाबू खान

उनकी सेवा देखकर कोई नहीं कह सकता कि वो किसी एक मजहब के प्रतिनिधि हैं. बाबू कहते है कि मैं डॉक्टर हूं और मेरे लिए मरीज़ का दर्द सबसे बड़ा धर्म है. जब कांवड़िए मेरे पास आते हैं तो मैं मजहब नहीं पूछता, बस ये सोचता हूं कि ये मेरे भाई हैं.

जब उनसे पूछा गया कि कट्टरपंथी लोग पर क्या कहेंगे, तो वो मुस्कुराते हुए कहते हैं कि समाज में सब तरह के लोग होते है. लेकिन हमें भाईचारा बांटने की ज़रूरत है.

उनका कैंप इस बात की मिसाल है कि भारत में धर्म की दीवारें तभी तक टिकती हैं, जब तक इंसानियत जागती नहीं. बाबू खान की सेवा ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अगर एक मुस्लिम डॉक्टर बिना किसी स्वार्थ के शिवभक्तों की सेवा कर सकता है, तो फिर समाज में नफरत फैलाने वालों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. कांवड़ मार्ग पर डॉक्टर बाबू खान आज सांप्रदायिक एकता के प्रतीक बन गए हैं. जब टोपी वाला भाई, 'हर हर महादेव' कहकर शिवभक्तों के पैर दबाता है, तो लगता है ये भारत वाकई में ग़जब है.

बाबू खान का नाम अब सिर्फ एक डॉक्टर का नहीं, बल्कि उस सौहार्द की आवाज़ बन चुका है, जिसे मिटाने की नफरत कोशिश करती है और मोहब्बत हर बार जीत जाती है. और यही वजह है कि एक मुस्लिम होकर हिंदू संगठन का हिस्सा हैं.

(मनुदेव उपाध्याय की रिपोर्ट)

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