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14 जनवरी को मकर संक्रांति के साथ पूरे देश में मनाया जाएगा ‘भोगी पोंगल’, कई मायनों में खास है ये त्यौहार

Bhogi Pandigai 2022: इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और अपने घर के सामने रंगों और फूलों की रंगोली बनाते हैं. लोग अपने घर को गेंदे की माला और आम के पत्तों से भी सजाते हैं. यह भी कहा जाता है कि यह घर और आसपास की सभी नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाता है और सकारात्मक ऊर्जा के लिए रास्ता बनाता है.

इस दिन  लकड़ी और गोबर के उपले से बनी वस्तुओं को आग में फेंक दिया जाता है. इस दिन लकड़ी और गोबर के उपले से बनी वस्तुओं को आग में फेंक दिया जाता है.
हाइलाइट्स
  • किसान हलों की करते हैं पूजा

  • पुरानी वस्तुओं को आग में जलाने की है परंपरा 

  • घरों के सामने बनाई जाती है रंगोली

  • अतीत को भूल जाने और नई शुरुआत का प्रतीक है पोंगल 

नए साल के साथ ही त्यौहारों का मौसम भी शुरू हो गया है. लोग लोहरी, मकर संक्रांति और पोंगल की तैयारियों में जोर-शोर से जुट गए हैं. आज हम इन्हीं में से एक, पोंगल के बारे में बात करने वाले हैं. तमिल समुदाय पोंगल को बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं. यह त्योहार चार दिनों तक तमिलनाडु और केरल के कुछ हिस्सों में बड़े जोश और उमंग के साथ मनाया जाता है. यह उत्सव 14 जनवरी से शुरू होता है और 17 जनवरी तक चलता है. इन उत्सवों में भोगी पोंगल, थाई पोंगल, मट्टू पोंगल और कानुम पोंगल शामिल हैं. भोगी चार दिवसीय पोंगल त्यौहार का पहला दिन है जिसे लोग मकर संक्रांति के साथ मनाते हैं. 

किसान हलों की करते हैं पूजा 

भोगी पोंगल भगवान इंद्र के सम्मान में मनाया जाता है जिन्हें बारिश के देवता के रूप में भी जाना जाता है. कई किसान भगवान इंद्र की पूजा करते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि वह खेती में समृद्धि और खुशी लाते हैं. इस दिन  देश में किसान अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए इंद्र की पूजा करते हैं जिससे धन और वैभव भी बढ़ता है. इसके अलावा, वे इस दिन अपने हल और अन्य कृषि उपकरणों की भी पूजा करते हैं.

पुरानी वस्तुओं को आग में जलाने की है परंपरा 

भोगी के अवसर पर लोग अपने पुराने और बेकार घरेलू सामान, लकड़ी और कपड़े आदि को त्याग देते हैं. इस दिन  लकड़ी और गोबर के उपले से बनी वस्तुओं को आग में फेंक दिया जाता है. इस परंपरा को "भोगी मंटालू" कहा जाता है और इसका उद्देश्य आपके जीवन से पुरानी और नकारात्मक चीजों से छुटकारा पाना और नई शुरुआत पर ध्यान केंद्रित करना है. इस दिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और अग्नि के चारों ओर परिक्रमा करते हुए मंत्रों का जाप करती हैं.

घरों के सामने बनाई जाती है रंगोली 

इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और अपने घर के सामने रंगों और फूलों की रंगोली बनाते हैं. लोग अपने घर को गेंदे की माला और आम के पत्तों से भी सजाते हैं. यह भी कहा जाता है कि यह घर और आसपास की सभी नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाता है और सकारात्मक ऊर्जा के लिए रास्ता बनाता है. अलाव में बहुत सारे खेती के कचड़े भी जलाए जाते हैं, जिससे ठंड के मौसम में गर्मी पैदा करने की उम्मीद की जाती है.

अतीत को भूल जाने और नई शुरुआत का प्रतीक है पोंगल 

पोंगल उत्तरायण की शुरुआत का प्रतीक है, जिसमें सूर्य अगले छह महीनों के लिए उत्तर की ओर यात्रा करता है. पोंगल का शाब्दिक अर्थ है छलकना या उबालना. दूसरे मायनों में इसका अर्थ समृद्धि है. पोंगल में साल भर अच्छी फसल देने के लिए भगवान को धन्यवाद दिया जाता है. पोंगल अतीत को भूल जाने और जीवन में नई चीजों का स्वागत करने के बारे में है. इसके साथ ही पोंगल का नाम एक मीठे व्यंजन पर भी रखा गया है जिसे चावल, गुड़ और दूध से बनाया जाता है.