
उत्तर प्रदेश के औरैया जनपद के बिधूना तहसील स्थित देवघाट शिव मंदिर इस श्रवण मास में श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. हजारों की संख्या में शिवभक्तों की भीड़ मंदिर में उमड़ रही है. महिलाएं, पुरुष और बच्चे, सभी भक्तजन भगवान भोलेनाथ के दरबार में जलाभिषेक व पूजा-अर्चना करने पहुंचे. लेकिन इस मंदिर की खासियत सिर्फ उसकी प्राचीनता ही नहीं, बल्कि उससे जुड़ी पौराणिक मान्यताएं और ऐतिहासिक घटनाएं भी हैं- जिनमें सबसे प्रमुख है भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इस मंदिर में पूजा किए जाने की कथा.
जब श्रीकृष्ण ने देवघाट में की थी शिव आराधना
स्थानीय मान्यताओं और पुरातन कथाओं के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण किया था, उससे पहले वे अपने रथ को अरिंद नदी के तट पर स्थित देवघाट शिव मंदिर पर रोक कर भगवान शंकर की आराधना करने आए थे. उन्होंने मंदिर में शिवलिंग का पूजन कर आशीर्वाद लिया था और फिर कुंदनपुर जाकर रुक्मिणी जी का हरण कर लिया. इस वजह से यह मंदिर कृष्ण-भक्तों के लिए भी विशेष आस्था का केंद्र बन गया है.
महाभारत काल से जुड़ता है मंदिर का इतिहास
मंदिर के महंत शारद विज्ञानानंद नंद पुरी जी महाराज के अनुसार, यह मंदिर केवल कृष्ण युग से ही नहीं, बल्कि महाभारत काल से भी जुड़ा है. कहा जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी कुछ समय देवघाट मंदिर के पास बिताया था. पहले यह स्थान घने जंगलों के बीच स्थित था, लेकिन धीरे-धीरे इसकी ख्याति फैलने लगी और अब यहां वर्षभर भक्तों का तांता लगा रहता है.
12 ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृति
भक्तों के सहयोग से इस मंदिर में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृतियां स्थापित की गई हैं. हर शिवलिंग एक विशेष शैली और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है, जो भक्तों के बीच गहरी आस्था का कारण बना हुआ है. मंदिर परिसर में विभिन्न शिव स्वरूपों के दर्शन भी किए जा सकते हैं, जिनमें भैरव, नटराज और अराध्य शिव की मूर्तियां प्रमुख हैं.
श्रवण मास में विशेष इंतजाम
श्रवण सोमवार के अवसर पर देवघाट मंदिर में विशेष सुरक्षा और व्यवस्थाएं की गई हैं. बड़ी संख्या में महिला और पुरुष पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है ताकि सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रहे. महिला पुलिसकर्मी विशेष रूप से महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही हैं, जबकि पुरुष पुलिसकर्मी और प्रशासनिक अधिकारी यातायात और भीड़ नियंत्रण की जिम्मेदारी निभा रहे हैं.
देवघाट मंदिर इस श्रवण मास में केवल पूजा स्थल नहीं, बल्कि इतिहास, आस्था और आध्यात्मिकता का संगम बन चुका है. जहां भगवान श्रीकृष्ण से लेकर पांडवों तक की कथाएं सांस लेती हैं, वहीं आज भी हजारों भक्त उसी श्रद्धा से ‘भोलेनाथ’ की अराधना कर रहे हैं. देवघाट सिर्फ एक मंदिर नहीं, एक जीवंत परंपरा है जो युगों से चले आ रही है.
(रिपोर्ट: सूर्या शर्मा)