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Guru Purnima 2025:  इस साल 10 या 11 जुलाई... कब है गुरु पूर्णिमा... जान लें सही तिथि और गुरु की उपासना विधि

Guru Purnima: ऐसी मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन व्रत रखने और गुरु की आराधना करने से व्यक्ति को न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि जीवन में ज्ञान, शांति और प्रगति की भी प्राप्त होती है. आइए जानते हैं इस साल गुरु पूर्णिमा किस दिन पड़ेगी और क्या है गुरु की उपासना विधि?

Guru Purnima Guru Purnima
हाइलाइट्स
  • सनातन परंपरा में गुरु का स्थान ईश्वर से भी बताया गया है ऊपर

  • गुरु पूर्णिमा गुरुओं का सम्मान करने का है दिन

हिंदू पंचांग के मुताबिक हर साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. वेद व्यास जी ने महाभारत जैसे महान ग्रंथ की रचना की है. गुरु पूर्णिमा हमारे जीवन में गुरुओं का सम्मान करने का दिन है.

सनातन परंपरा में गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर बताया गया है. ऐसा कहा जाता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने सप्तऋषियों को प्रथम बार ज्ञान प्रदान किया था और वे प्रथम गुरु कहलाए. बौद्ध मान्यता के मुताबिक गुरु पूर्णिमा एक ऐसा दिन है, जब गौतम बुद्ध ने अपने पहले पांच शिष्यों को अपना पहला उपदेश दिया था. ऐसी मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन व्रत रखने और गुरु की आराधना करने से व्यक्ति को न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि जीवन में ज्ञान, शांति और प्रगति की भी प्राप्त होती है. आइए जानते हैं इस साल गुरु पूर्णिमा किस दिन पड़ेगी और क्या है गुरु की उपासना विधि?

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कब है गुरु पूर्णिमा
हिंदू पंचांग के मुताबिक इस साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जुलाई को रात 1 बजकर 36 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 11 जुलाई को रात 2 बजकर 6 मिनट पर होगा. उदयातिथि को देखते हुए 10 जुलाई 2025 को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन अभिजित मुहूर्त दोपहर 11:59 बजे से 12:54 बजे तक, गोधूलि मुहूर्त शाम 07:21 बजे से 07:41 बजे तक, अमृत काल रात 12:55 बजे से 11 जुलाई की रात 02:35 बजे तक, विजय मुहूर्त दिन में 02:45 बजे से 03:40 बजे तक रहेगा.

गुरु पूर्णिमा के दिन ऐसे करें गुरु की पूजा
1. सबसे पहले गुरु पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें.
2. इसके बाद साफ कपड़े पहनें और फिर घर के मंदिर को साफ करें.
3. फिर एक वेदी पर अपने गुरु की प्रतिमा स्थापित करें.
4. गुरु के समक्ष घी का दीपक जलाएं.
5. सफेद चंदन, अक्षत, फूल, जनेऊ, फल, मिठाई आदि चीजें चढ़ाएं.
6. गुरु की आरती करें और उनका आशीर्वाद लें.
7. यदि प्रत्यक्ष गुरु की पूजा कर रहे हैं तो उन्हें उच्च आसन पर बैठाएं.
8. उनके चरण जल से धोएं और पोंछे.
9. फिर उनके चरणों में पीले या सफ़ेद पुष्प अर्पित करें.
10. इसके बाद उन्हें श्वेत या पीले वस्त्र दें.
11. यथाशक्ति फल, मिष्ठान्न दक्षिणा, अर्पित करें.
12. गुरु से अपना दायित्व स्वीकार करने की प्रार्थना करें.
13. शास्त्रों में बताया गया है कि गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊपर होता है इसलिए गुरु के आसन पर कभी नहीं बैठना चाहिए. गुरु का अपमान करना भगवान का अपमान करने के समान है.
14. गुरु के पास जब भी रहें उनके मुख की ओर कभी पैर करके न बैठें. ऐसा करने से भी गुरु का अपमान होता है.
15. भूलकर भी कभी गुरु की बुराई किसी और के आगे नहीं करनी चाहिए. यदि कोई दूसरा व्यक्ति भी ऐसा कर रहा है तो उसे रोकने का प्रयास करें.

क्या है गुरु पूर्णिमा का महत्व
1. आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के पर्व के रूप में मनाया जाता है.
2. इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म भी हुआ था, अतः इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं.
3. इस दिन से ऋतु परिवर्तन भी होता है अतः इस दिन वायु की परीक्षा करके आने वाली फसलों का अनुमान भी किया जाता है.
4. इस दिन शिष्य अपने गुरु की विशेष पूजा करता है, और यथाशक्ति दक्षिणा, पुष्प, वस्त्र आदि भेंट करता है.
5. शिष्य इस दिन अपनी सारे अवगुणों को गुरु को अर्पित कर देता है, तथा अपना सारा भार गुरु को दे देता है.
6. गुरु की पूजा और उपासना करके जीवन में हर एक चीज बड़ी सरलता से पाई जा सकती है.